* ईमान 60 से ज़्यादा शाखों पर मुश्तमिल है और हया ईमान की एक शाख है
* हया में बेहतरी ही बेहतरी है
* हया ईमान से है और ईमान जन्नत में और बेहूदगी जफा से है और जफा जहन्नम में
* इसलाम की ख़ल्क़ हया है
* ईमान और हया दोनों साथी है अगर एक उठ गया तो दूसरा भी चला जाता है
हिक़ायत – चंद लड़के गेंद खेल रहे थे इत्तेफ़ाक़ से एक बार उनकी गेंद हज़रत इमामे आज़म रज़ी अल्लाहु तआला अन्हु के मजमे में आकर गिरी किसी लड़के की यह हिम्मत न पड़ी कि गेंद वहां से उठा लाये मगर एक लड़के ने कहा कि अगर कहो तो गेंद मैं उठा लाऊं फिर इन्तेहाई गुस्ताखी के साथ गया और वह गेंद जाकर उठा लाया हज़रत इमामे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया मालूम होता है कि यह लड़का हलाली नहीं है लोगों ने दरयाफ्त किया तो वाक़ई वह लड़का वैसा ही निकला जैसे कि हज़रत इमामे आज़म ने फ़रमाया था लोगों ने पूछा हुज़ूर आपने यह कैसे जान लिया कि वह लड़का हलाली नहीं है फ़रमाया अगर वह हलाली होता तो उसमे शर्म व हया होती
*** बच्चा किसका है ये तो बाप भी नहीं जानता सिवाये उसकी मां के,मगर सुब्हान अल्लाह औलिया अल्लाह की नज़रों से कोई राज़ भी नहीं छिपता,उनके सामने माज़ी और मुस्तक़बिल मिस्ल आइना के होते हैं जहां नज़र उठाई सब कुछ देख लिया
*** ये भी पता चला कि जो हलाली नहीं है उसके अन्दर शर्मो हया हरगिज़ नहीं पायी जायेगी,अब इसका ये मतलब नहीं है कि जितने बेग़ैरत ज़माने में घूम रहे हैं सब के सब ज़िना से ही पैदा हुए हैं बल्कि कभी कभी बाप से पैदा हुआ बच्चा भी हलाली नहीं होता,ये रिवायत पढ़िए इंशा अल्लाह सब कुछ समझ में आ जाएगा
हदीस – एक मर्तबा हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम मस्जिदे नबवी शरीफ में कुछ सहाबा इकराम रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन के साथ जलवागर थे,तभी एक गेंद मस्जिद के अन्दर आ गई,सारे बच्चे सहम गए मगर एक ने आकर जुर्रत के साथ गेंद उठायी और चला गया,हुज़ूर ने फ़रमाया कि ये बच्चा हलाली नहीं है,उस बच्चे का बाप सहाबिए रसूल और उसी मजमे में बैठे भी थे,महफ़िल ख़त्म होने के बाद ये घर पहुंचे और अपनी बीवी से सारा माजरा कह दिया,बीवी भी नेक ईमान वाली सहाबिया थीं,उन्होंने जवाब दिया कि हुज़ूर फरमाते हैं कि ये बच्चा हलाली नहीं है तो यक़ीनन ये हलाली नहीं है मगर मैंने हरगिज़ आपके साथ बेवफाई नहीं की अब आप जाकर हुज़ूर से ही पूछें कि अस्ल बात क्या है,ये वापस गए और बीवी से हुई सारी बात हुज़ूर से कही तो आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि बेशक वो औरत पारसा है मगर बात ऐसी है कि इक रोज़ तुम खजूर वाले से खजूर खरीद रहे थे वो तौल रहा था कि तुमने ये सोचकर उसके तौलने में कुछ खजूरे गिर गई वो तुमने उठाकर खा ली,हालांकि वो खजूर तुम्हारी नहीं थी,उसी खजूर से वो नुत्फा बना और वही नुत्फा तुम्हारी बीवी के हमल में क़रार पाया तो इस तरह तुम बाप तो उसी के हो मगर फिर भी वो हलाली नहीं है
अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर
*** ज़रा सोचिए जब एक हराम लुक़्मे का ये असर है तो जो सारी ज़िन्दगी हराम ही की कमाई खा रहे हैं और अपने बच्चों को खिला रहे हैं तो उनकी औलाद क्युंकर ग़ैरत वाली होगी,आज मुआशरे की ये बे हयाई सिर्फ और सिर्फ हराम ग़िज़ा की वजह से है,हदीसे पाक में आता है कि
* लोगों पर एक ज़माना ऐसा आएगा कि वो ये भी न देखेंगे कि ये रोज़ी जो हमने कमाई ये हलाल है या हराम
* एक हराम लुक़मा अगर पेट में चला गया तो उसकी 40 दिन की इबादत क़ुबूल नहीं होगी
* हराम खाने की वजह से लोगों की दुआएं क़ुबूल नहीं होती
* हराम माल से पला बढ़ा जिस्म हरगिज़ जन्नत में नहीं जाएगा बल्कि उसका ठिकाना जहन्नम है
* जिसने चोरी का माल ख़रीदा ये जानते हुए कि ये चोरी का है तो वो भी इस चोरी में शरीक हुआ
📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 16,सफह 186,हिस्सा 11,सफह 4-5
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 518
📕 मुक़ाशिफ़ातुल क़ुलूब,सफह 494,495
📕 तज़किरातुल औलिया,सफह 248
*** मर्ज़ी है आपकी आखिर जिस्म है आपका,इसको कहां ले जाना है जन्नत या जहन्नम,खुद ही फैसला कर ले..
Source :facebook
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