शुरू अल्लाह के नाम से जो बहुत मेहरबान और रहम वाला है और दरुद-सलाम हमारे प्यारे नबी मोहम्मद (स• अ•) पर।
सहिह बुखारि की रिवायत है, हुजेफा बिन यमान (र•अ•) फरमाते हैं,”शर और फितनो के ताल्लुक से जितने सवालात मैं करता था कोई दूसरा सहाबा न करता था। हम फितने के मुताल्लिक से सवाल करते थे कि कहीं इसमें मुब्तिला ना हो जाएं।”
और हम ये बता चुके है कि दज्जाल आदम (अ•स•) से लेकर कयामत तक सबसे बड़ा फितना है तो क्या उसके बारे में हमारे लिए जानना जरूरी नहीं कि हम उस फितने से बचें और अपनी आल-औलाद और उम्मत-ए-मुस्लिमा को उस फितने से होशियार करें। और खास तौर से आज के दौर में दज्जाल के बारे में जानना और भी जरूरी है क्योंकि आजकल दज्जाल के बारे में लोगों में बहुत गलत फहमिया हैं। दज्जाल के बारे में इतनी सारी रिवायत हैं और जिनमें ये वाजेह तौर पर लिखा है कि दज्जाल इब्न आदम में से एक शख्स होगा फिर भी लोग दज्जाल को satellite camera, TV, Media, अमेरिका, फ्रान्स और पता नहीं किस किस चीज़ से जोड़ देते हैं।
और यहाँ एक बात और बताना है कि किसी भी बड़ी निशानी के जाहिर होने के बाद इन्सान की तौबा कुबुल नहीं होगी, जिस तरह से मौत के वक़्त फरिश्तों को देखने के बाद इन्सान तौबा करता है लेकिन उस वक़्त तौबा कुबुल नहीं होती।
सहिह मुस्लिम की रिवायत है, अबु हुरेरा (र•अ•) फरमाते हैं कि हुजूर (स•अ•) ने फरमाया,”तीन चीजें जब जाहिर हो जाएंगी तो किसी शख्स का ईमान लाना उसको फायदा न देगा इससे पहले अगर ईमान ना ला चुका हो, सूरज का मगरिब से तुलु होना, दज्जाल का जाहिर होना और जमीन से बड़े जानवर का निकलना।”
दज्जाल के जहुर से ठीक पहले तीन ऐसे साल गुजरेंगे जिसके बारे में हुजूर (स•अ•) ने फरमाया कि बहुत सख्त साल होगे।
दुसरी चीज़ दज्जाल तब तक जाहिर न होगा जब तक लोग इसको भूल न जाएं। आप (स•अ•) फरमाते हैं कि दज्जाल तब तक जाहिर न होगा जब तक लोग इसके जिक्र से गाफिल न हो जाएं हत्ता कि खतिब अपने वाज और नसीहत में इसको भूल जाएगा।
* दज्जाल की जिसमानि सिफात
आप (स•अ•) ने दज्जाल की जो जिसमानि सिफात बताई है उसके मुताबिक –
– वो एक पस्त कद (छोटे कद का) इन्सान होगा
– मजबूत जिस्म वाला होगा
– बड़े सिर वाला होगा
– उसकी दोनों आंखें ऐबदार होगी, बाईं आंख नहीं होगी या उसपर चमड़ा लगा होगा और दाईं आंख खराब अन्गुर की तरह होगी जिससे वो देख सकता होगा। या एक दूसरी रिवायत में आता है बाईं आंख खराब होगी अन्गुर की तरह और दाईं से देख सकता होगा। दोनों रिवायत सही है क्योंकि हो सकता है बाईं आंख बंद रखता होगा जिससे लगे कि उसपर चमड़ा है, और जब खोलता होगा तो खराब अन्गुर की तरह ऐबदार होगी।
– पेशानी चौड़ी होगी
– बाल बहुत घने और घुघराले होंगे
– उसकी दोनों आंखों के बीच तीन हुर्फ लिखे होगे “काफ” “फे” “रे” (ك ف ر) (كافر या كفر) जिसे हर ईमान वाला पढ़ सकेगा चाहे वो पढ़ा लिखा हो या अनपढ़।
* दज्जाल कब जाहिर होगा?
इसके बारे में मैं “इमाम महदि का जोहुर” में बता चुका हूँ, कि जब इमाम महदि अपने लश्कर के साथ “कुस्तुनतुनिया” फतह कर के लौट रहे होंगे और एक जगह पर पड़ाव डालेंगे और माले गनीमत तकसिम कर रहे होंगे उसी वक़्त कोई आवाज़ देगा कि तुम्हारे घरों में दज्जाल जाहिर हो गया है। ये सुनते ही वो लोग सब छोड़ छाड कर अपने घरों की तरफ़ रवाना होगे। रास्ते में पता चलेगा की वो खबर झूठी थी मगर जब वो अपने घर पहुँचेंगे तब दज्जाल जाहिर हो जाएगा।
* दज्जाल कहाँ जाहिर होगा?
इब्न माजा की रिवायत है, हजरत अबु बकर सिद्दीक (र•अ•) कहते हैं, रसूल-अल्लाह (स•अ•) ने हमें आगाह फरमाया, “दज्जाल मशरिक़ की सरजमीन से निकलेगा जिसका नाम “खुरासान” है। चमड़ा भरी ढालो जैसे चेहरों वाले लोग उसके साथ होंगे।”
नोट- खुरासान ईरान का एक जिला है।
और उसे शोहरत ईरान और शाम (सीरिया) के दर्मियान मिलेगी।
अल्लाह हम सब को सही इल्म हासिल करने की तोफिक अता करे और हम सब को दज्जाल के फितने से बचाए। आमीन।
- Allah subhanahu se Magfirat aur Aafyiat manga karo kyuki - 14th June 2017
- Sajda e Tilawat ki dua - 14th June 2017
- Bewaon aur miskeenon ke kaam aaney wala - 14th June 2017