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दाऊद अलैहिस्सलातु वस्सलात की तौबा वक़्ते मगिरब कुबूल हुई *चार रकाअतें पढ़ने खड़े हुए थक कर तीसरी पर बैठ गये मगिरब की तीन ही रहीं।*

और इशा सबसे पहले हमारे *नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने पढ़ी।*

📄दोम : कौल इमाम अबुल-फ़ज़ल सबसे पहले फ़ज़्र को दो रकाअतें हज़रत आदम
*जुहर को चार रकाअतें हजरत इब्राहीम।*
*अस्र हजरत यूनुस।*
*मरिरब हज़रत ईसा।*
*इशा हज़रत मूसा ने पढ़ी,* अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम इमाम ज़न्दोस्ती किताबुरौंजा हर नमाज़ एक नबी ने पढ़ी है उसका खुलासा यह है :

📿आदम अलैहिस्सलातु वस्सलाम जब जन्नत से जमीन पर तशरीफ लाए दुनिया आँखों में तारीक थी और उधर रात की अंधेरी आई, उन्होंने रात कहाँ देखी थी बहुत खाइफ हुए जब सुबह चमकी दो रकाअतें शुक्रे इलाही की पढ़ीं, एक उसका शुक्र कि तारीकी शब से नजात मिली, दूसरा उसका कि दिन की रोशनी पाई, उन्होंने नफ्ल पढ़ी थीं हम पर फर्ज की गई कि हम से गुनाहों की तारीकी दूर हो और इताअत का नूर हासिल हो।

🌟जवाल के बाद सबसे पहले इब्राहीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने चार रकाअतें पढ़ीं जबकि
इस्माईल अलैहिस्सलातु वस्सलाम का फिदिया उतरा है, पहली उसके शुक्र में कि बेटे का गम दूर
हुआ, दूसरा फिदिया आने के सबब, तीसरी रजाए इलाही मौला सुब्हानहू तआला का शुक्र, चौथी
उसके शुक्र में कि अल्लाह अज़्जा व जल्ला के हुक्म पर इस्माईल अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने गर्दन
रख दी, यह उनके लिए नफ्ल थीं हम पर फर्ज हुई, कि मौला तआला हमें कत्ले नफ्स पर कुदरत दे जैसी उन्हें ज़बहे वल्द पर कुदरत दी और हमें भी गम से नजात दे और यहूद व नसारा को हमारा फिदिया करके नार से हमें बचा ले और हम से भी राजी हो।

*(📚फैजाने आला हजरत सफ़ह,537)*
*पोस्ट जारी है….*

*नमाज़ के मसाईल व फ़ज़ाइल का ये उन्वान आफ़ताब आलम साहब सिटी उज्जैन मध्प्रदेश की फ़रमाइश पर भेजा जा रहा है गुजारिश दोस्त व अहबाब में शेयर जरूर करें)*

आपकी ख़ास दुआओं का तलबगार
*★ इस्माइली वर्क टीम★*
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Asalam-o-alaikum , Hi i am noor saba from Jharkhand ranchi i am very passionate about blogging and websites. i loves creating and writing blogs hope you will like my post khuda hafeez Dua me yaad rakhna.
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