ह़ज्जाज बिन यूसुफ़ एक मर्तबा दौराने सफ़रे ह़ज मक्कए मुकर्रमा व मदीनए मुनव्वरह के दरमियान एक मन्ज़िल में उतरा और दोपहर का खाना तय्यार करवाया और अपने ह़ाजिब (यानी चौबदार) से कहा कि किसी मेहमान को ले आओ! ह़ाजिब ख़ैमे से बाहर निकला तो उसे एक आराबी लेटा हुआ नज़र आया, इसने उसे जगाया और कहा: “चलो तुम्हे अमीर ह़ज्जाज बुला रहे हैं”!
आराबी आया तो ह़ज्जाज ने कहा: “मेरी दावत क़बूल करो और हाथ धोकर मेरे साथ खाना खाने बैठ जाओ”!
आराबी बोला: “मुआ़फ़ फ़रमाइए, आपकी दावत से पहले मैं आपसे बेहतर एक करीम की दावत क़बूल कर चुका हूं”!
ह़ज्जाज ने कहा: “वो किसकी”?
आराबी बोला: “अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ की जिसने मुझे रोज़ा रखने की दावत दी और मैं रोज़ा रख चुका हूं”!
ह़ज्जाज ने कहा: “इतनी सख़्त गर्मी में रोज़ा”?
आराबी ने कहा: “हां, क़यामत की सख़्त त़रीन गर्मी से बचने के लिए”!
ह़ज्जाज ने कहा: “आज खाना खा लो और ये रोज़ा कल रख लेना”!
आराबी बोला: “क्या आप इस बात की ज़मानत देते हैं कि मैं कल तक ज़िन्दा रहूंगा”!.
ह़ज्जाज ने कहा: “ये बात तो नही”!
आराबी बोला: “तो फिर वो बात भी नही”!
ये कहा और चल दिया!
📗(रौज़ुर्रियाह़ीन, सफ़ह़ा-48)
🖊प्यारे इस्लामी भाईयों और इस्लामी बहनों,
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ का करोड़ करोड़ एह़सान हैं कि ये रमज़ानुल मुबारक हमने अपनी ज़िन्दगी में पाया! भले ही इस बार के रोज़े बहुत शदीद गर्मी में आए हैं मगर इस गर्मी से ड़रकर रोज़े क़ज़ा मत कर देना क्या पता अगला माहे रमज़ान नसीब होगा भी या नही?
और ये ख़याल मत करना कि ‘इस साल गर्मी ज़्यादा हैं मगर अगली साल रोज़े ज़रूर रखेंगे’ हां, अगर ज़िन्दगी बाक़ी रही तो ज़रूर रखेंगे लेकिन ज़िन्दगी का कोई भरोसा नही कि अगले माहे रमज़ान तक हम ज़िन्दा रहे!
👉🏼इसलिए ये ख़याल करे कि इस बार गर्मी ज़्यादा हैं तो क्या हुआ मेरा रब عَزَّ وَجَلَّ मुझे सवाब भी बेशुमार अ़त़ा फ़रमाएगा!
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ के जो नेक बन्दे होते हैं वो ये जानते हैं कि क़यामत की गरमी के आगे दुनिया की गरमी कुछ भी नही और वो अपने रब عَزَّ وَجَلَّ को राज़ी करने के लिए मुश्किल से मुश्किल नेकी भी कभी नही छोड़ते!
👏🏻अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमें माहे रमज़ानुल मुबारक की क़द्र करने की त़ौफ़ीक़ अ़त़ा करे!
🌺आमीन🌺
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