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जो लोग क़ुरआन को सिर्फ़ इसलिए नहीं खोलते, क्योंकि वे पढ़ना नहीं जानते, तो वे क़ुरआन पढ़ें.
दक्षिण अफ़्रीका में एक अल्लाह वाले बुज़ुर्ग मौलाना यूनुस साहब दावत-ए-हक़ दे रहे थे. जो शख़्स उनकी ख़िदमत में था, रात को उसका इंतक़ाल हो गया. जब बुज़ुर्ग को ख़बर दी गई, तो वह जनाज़े के साथ हो लिए. आप फ़रमाते हैं- जब क़ब्रिस्तान पहंचे, तो देखा कि उसकी क़ब्र से मुश्क की ख़ुशबू आ रही है. मैयत को दफ़नाने के बाद आप लौटे, तो आपने मक़ामी साथी से कहा कि अपनी बीवी को मरने वाले के घर भेजो और पता करो कि वह कौन सा आमाल था, जिसकी वजह से उसकी क़ब्र से मुश्क की ख़ुशबू आ रही है.

लिहाज़ा ऐसा ही हुआ. लौट कर उस साथी की बीवी ने ख़बर दी कि उसकी बीवी ने बताया कि वह क़ुरआन पढ़ना नहीं जानता था. बस अलहम्द और क़ुल की सूरह ही जानता था और नमाज़ भी इन्हीं से ही पढ़ता था. हां, मगर वह रोज़ क़ुरआन लेकर बैठता और आयतों पर उंगली घुमाते हुए कहता- अल्लाह ये सही है, आगे-आगे उंगली घुमाता जाता और कहता जाता- अल्लाह ये भी सही है. इस तरह पूरा क़ुरआन ख़त्म होने पर मीठा लाता. क़ुरआन सिर पर रखकर कहता- अल्लाह तू भी सही है, तेरा दीन भी सही है, ये क़ुरआन भी सही है. बस मैं ग़लत हूं. बस तू, इस किताब में मेरे हिस्से की जो हिदायत है, मुझे नसीब करके ग़लती माफ़ कर दे.

दोस्तों ! वो पढ़ना नहीं जानता था, मगर क़ुरआन की निस्बत, उसके शौक़, उसकी तड़प का अल्लाह ने ये सिला दिया कि उसकी क़ब्र को मुश्क की ख़ुशबू से महका दिया. अल्लाह हम सबको क़ुरआन पढ़ने की तड़प अता फ़रमा. उसमें जो हिदायत हमारे हिस्से की है, हमें नसीब कर दे, सारे आलम को हिदायत नसीब कर दे. आमीन

मुआफ़ करना सीखो

ज़बान का एक बोल सब कुछ बर्बाद कर देता है या आबाद कर देता है. माफ़ करना सीखो. हमारे नबी को सब ज़्यादा दुख- तकलीफ़ ताएफ़ वालों ने दी. आप (सअस) को पत्थरों से मार कर लहूलुहान कर दिया. आप (सअस) बेहोश हो गए. ख़ुद नबी (सअस) फ़रमाते- सारी ज़िन्दगी में जितनी तकलीफ़ ताएफ़ ने पहुंचाई और किसी ने नहीं पहुंचाई. मगर जब वे लोग ईमान लाने आए, तो आपने (सअस) ने उन्हें भी गले से लगाया. उनके साथ रोज़ रात का खाना खाते. एक रोज़ तिलावत की वजह से खाना नहीं खा सके, तो उनसे माफ़ी मांगी. ये वे लोग थे, जिन्होंने आपको (सअस)जिस्मानी तकलीफ़ दी थी.
अब दो लोग और आए, वे भी ईमान लाए. एक आप (सअस) के चाचा का बेटा अबु सुफ़यान बिन हारिस, दूसरा आप (सअस) की फुफी का बेटा अबदुल्लाह बिन अबी उमय्या. जब ये दोनों ईमान लाए आए, तो आप (सअस) ने मना कर दिया और कहा- मुझे नहीं मिलना इनसे. इन्होंने मुझे बहुत बुरा-भला कहा है. अबु सुफ़यान मेरे बारे में बुरे बुरे शेअर कहता था.
और अबी उमय्या ये वह है, जिसने हरम में खड़े होकर कहा था- तुम अल्लाह से क़ाग़ज़ पर लिख कर लाओ, साथ में चार फ़रिश्ते लाओ, तब भी मैं तुमको नबी नहीं मानूंगा. इन्होंने मेरा दिल दुखाया है. उम्मे-सलमा ने कहा या रसूल अल्लाह आपने तो ग़ैरों को भी माफ़ किया है. इन्हें भी माफ़ कर दें. आपने कहा- ठीक है.
ज़बान का निकला एक बोल बहुत गहरा ज़ख़्म देता है. बर्दाश्त करना सिखो, माफ़ करना सीखो. नबी (सअस) का हुकुम है. अमल करना सीखो.

जन्नतुल फ़िरदौस का सवाल करो…

जब तुम अल्लाह से सवाल करो, तो जन्नतुल फ़िरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का आला और अफ़ज़ल हिस्सा है. (बुख़ारी फ़िल तारीख़ :4/146)
اللھم انی اسئلک الجنة الفردوس
अल्लाहुम्मा इन्नी असआलुकल जन्नतुल फ़िरदौस…
तर्जुमा- ऐ अल्लाह! मैं तुझसे जन्नतुल-फ़िरदौस का सवाल करता हूं.

जन्नत का सवाल और जहन्नम से पनाह
जो शख़्स अल्लाह पाक से तीन बार जन्नत का सवाल करे, तो जन्नत कहती है- ऐ अल्लाह ! इसको जन्नत में दाख़िल कर दे और जो शख़्स तीन बार जहन्नम से पनाह मांगे, तो जहुन्नम कहती है- ऐ अल्लाह ! इसको जहन्नम से बचा ले. [सही तिर्मिज़ी]

اَللَّهُمَّ أَجِرْنِي مِنَ النَّارِ
तर्जुमा- ऐ अल्लाह! मैं तुझसे जहन्नुम से पनाह मांगता हूं.

ऐ अल्लाह! हम तुझ से जन्नत का सवाल करते हैं और जहन्नम से तेरी पनाह मांगते हैं. आमीन

Asalam-o-alaikum , Hi i am noor saba from Jharkhand ranchi i am very passionate about blogging and websites. i loves creating and writing blogs hope you will like my post khuda hafeez Dua me yaad rakhna.
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