नमाज़ के फ़राइज़ में से एक फ़र्ज़ तक्बीरे तह़रीमा भी हैं! दर ह़क़ीक़त तक्बीरे तह़रीमा (यानी तक्बीरे ऊला) शराइत़े नमाज़ में से हैं मगर नमाज़ के अफ़्अ़ाल से बिल्कुल मिली हुई हैं इसलिए इसे नमाज़ के फ़राइज़ में भी शुमार किया गया हैं!
इसके कुछ मसाइल भी हैं जिन पर अक्सर लोग ग़ौर नही करते, तो आइए इसके कुछ मसाइल पर ग़ौर करे और इन पर पाबन्दी से अ़मल भी करे!
═══════════════════
*1-* मुक़्तदी ने तक्बीरे तह़रीमा का लफ़्ज़ “अल्लाह” इमाम के साथ कहा मगर “अक्बर” इमाम से पहले ख़त्म कर लिया तो नमाज़ नही होगी!📘(आ़लमगीरी, जिल्द-1,सफ़ह़ा-68)*
*2-* इमाम को रुकूअ़ मे पाया और तक्बीरे तह़रीमा कहते हुए रुकूअ़ में गया यानी तक्बीर उस वक़्त ख़त्म हुई कि हाथ बढ़ाए तो घुटने तक पहुंच जाए तो नमाज़ नही होगी!
*📗(नमाज़ के अह़काम, सफ़ह़ा-202)*
➡(ऐसे मौक़े पर काइदे के मुत़ाबिक़ पहले खड़े खड़े तक्बीरे तह़रीमा कह लीजिये, इसके बाद अल्लाहु अक्बर कहते हुए रुकूअ़ कीजिये, इमाम के साथ अगर रुकूअ़ में मामूली सी भी शिर्कत हो गई तो रक्अ़त मिल गई, अगर आपके रुकूअ़ में दाख़िल होने से पहले इमाम खड़ा हो गया तो रक्अ़त नही मिली!)
*3-* जो शख़्स तक्बीर के तलफ़्फ़ुज़ पर क़ादिर न हो मसलन गूंगा हो या किसी और वजह से ज़बान बन्द हो गई हो उस पर तलफ़्फ़ुज़ लाज़िम नही दिल में इरादा काफ़ी हैं!
*📕(तबय्यिनुल ह़क़ाइक़, जिल्द-1, सफ़ह़ा-109)*
*4-* लफ़्ज़े “अल्लाह” को आल्लाह या “अक्बर” को आक्बर या अक्बार कहा तो नमाज़ नही होगी बल्कि अगर इनके मानए फ़ासिदा समझ कर जान बूझ कर कहे तो काफ़िर हैं!
*📒(दुर्रे मुख़्तार, रद्दुल मुह़तार, जिल्द-2, सफ़ह़ा-177)*
➡(नमाज़ियों की तादाद ज़्यादा होने की सूरत में पीछे आवाज़ पहुंचाने वाले मुकब्बिरों की अक्सरिय्यत इ़ल्म की कमी की वजह से आजकल “अक्बर” को अक्बार कहती सुनाई देती हैं, इस त़रह़ उनकी अपनी नमाज़ भी टूटती हैं और उनकी आवाज़ पर जो लोग इन्तिक़ालात करते यानी नमाज़ के अरकान अदा करते हैं उनकी नमाज़ भी टूट जाती हैं, लिहाज़ा बग़ैर सीखे कभी मुकब्बिर नही बनना चाहिए!)
*5-* पहली रक्अ़त का रुकूअ़ मिल गया तो तक्बीरे ऊला कि फ़ज़ीलत पा गया! 📔(आ़लमगीरी, जिल्द-1, सफ़ह़ा-69)*
═══════════════════
*🔮
🙌🏼 तक्बीरे तह़रीमा के वाजिबात
🙌🏼
🔮*
═══════════════════
*1-* तक्बीरे तह़रीमा में लफ़्ज़ “अल्लाहु अक्बर” कहना वाजिब हैं! 📓(नमाज़ के अह़काम, सफ़ह़ा-217)*
═══════════════════
*🔮
🙌🏼 तक्बीरे तह़रीमा की सुन्नतें
🙌🏼
🔮*
═══════════════════
*1-* तक्बीरे तह़रीमा के लिए हाथ उठाना!
*2-* हाथों की उंग्लियां अपने ह़ाल पर (Normal) छोड़ना, यानी न बिल्कुल मिलाए न इनमें तनाव पैदा कीजिये!
*3-* हथेलियों और उंग्लियों का पेट क़िब्ला रू होना!
*4-* तक्बीर के वक़्त सर न झुकाना!
*5-* तक्बीर शुरू करने से पहले ही दोनो हाथ कानों तक उठा लेना!
*6-* तक्बीरे कुनूत और
*7-* तक्बीराते ई़दैन में भी यही सुन्नतें हैं!
*📙(दुर्रे मुख़्तार, रद्दुल मुह़तार, जिल्द-2, सफ़ह़ा-208)*
*8-* इमाम का बुलन्द आवाज़ से अल्लाहु अक्बर कहना!
*9-* “समि अल्लाहु लिमन ह़मिदह” और
*10-* सलाम कहना सुन्नत हैं!
➡(ह़ाजत से ज़्यादा बुलन्द आवाज़ करना मकरूह हैं)
*📘(रद्दुल मुह़तार, जिल्द-2, सफ़ह़ा-208)*
*11-* तक्बीर के फ़ौरन बाद हाथ बांध लेना सुन्नत हैं!
➡(कुछ लोग तक्बीरे ऊला के बाद हाथ लटका देते हैं या कोहनियां पीछे की त़रफ़ झुलाने के बाद हाथ बांधते हैं, उनका ये फ़े’ल सुन्नत से हट कर हैं!)
*📗(दुर्रे मुख़्तार, रद्दुल मुह़तार, जिल्द-2, सफ़ह़ा-229)*
*12-* इस्लामी बहनों के लिए तक्बीरे तह़रीमा और तक्बीरे कुनूत में सुन्नत ये हैं कि (सिर्फ़) कन्धों तक हाथ उठाए!
📙(अल हिदाया मअ़ फत़्हुल क़दीर, जिल्द-1, सफ़ह़ा-236
- Allah subhanahu se Magfirat aur Aafyiat manga karo kyuki - 14th June 2017
- Sajda e Tilawat ki dua - 14th June 2017
- Bewaon aur miskeenon ke kaam aaney wala - 14th June 2017