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(1) जिसने जादू से नज़र बन्दी की और लोगों को लाठी अजगर नज़र आने लगी और गेहूवाँ रंग का हाथ सूरज से ज़्यादा चमकदार मालूम होने लगा.

(2) मिस्त्र.(3) हज़रत हारून.

(4) जो जादू में माहिर हो और सबसे योग्य. चुनांचे लोग रवाना हुए और आसपास के क्षेत्रों में तलाश करके जादूगरों को ले आए.

(5) पहले अपनी लाठी.

(6) जादूगरों ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का यह अदब किया कि आपको पहल करने को कहा और आपकी इजाज़त के बिना अपने अमल या मंत्र तंत्र में मशग़ूल न हुए. इस अदब का बदला उन्हें यह मिला कि अल्लाह तआला ने उन्हें ईमान और हिदायत से पुरस्कृत किया.

(7) यह फ़रमाना हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का इसलिये था कि आप उनकी कुछ परवाह न करते थे और पक्का भरोसा रखते थे कि उनके चमत्कारों के सामने जादू नाकाम और परास्त होगा.

(8) अपना सामान, जिसमें बड़े बड़े रस्से और शहतीर थे. तो वो अजगर नज़र आने लगे और मैदान उनसे भरा मालूम होने लगा.

(9) जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी लाठी डाली तो वह एक बड़ा अजगर बन गई. इब्ने ज़ैद का कहना है कि यह सम्मेलन इस्कंदरिया में हुआ था और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के अजगर की दुम समन्दर के पार पहुंच गई थी. वह जादूगरों की सहरकारियों को एक एक करके निगल गया और तमाम रस्से लठ्ठे, जो उन्होंने जमा किये थे, जो तीन सौ ऊंटों का बोझा था, सब का अन्त कर दिया. जब मूसा अलैहिस्सलाम ने लाठी को अपने दस्ते मुबारक में लिया तो पहले की तरह लाठी हो गई और उसकी मोटाई और वज़न अपनी हालत पर रहा. यह देखकर जादूगरों ने पहचान लिया कि मूसा की लाठी जादू नहीं और इन्सान की क़ुदरत ऐसा चमत्कार नहीं दिखा सकती. ज़रूर यह आसमानी बात है. यह बात समझकर बोले, “आमन्ना बि रब्बिल आलमीन”
यानी हम ईमान लाए जगत के रब पर, कहते हुए सज्दे में गिर गए.

(10) यानी यह चमत्कार देखकर उन पर ऐसा असर हुआ कि वो बेइख़्तियार सज्दे में गिर गए. मालूम होता था कि किसी ने माथे पकड़कर ज़मीन पर लगा दिये.

(11) यानी तुमने और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने, सब ने मिलकर.

(12) और ख़ुद इस पर क़ब्ज़ा कर लो.

(13) कि मैं तुम्हारे साथ किस तरह पेश आता हूँ.

(14) नील के किनारे. हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हुमा ने फ़रमाया कि दुनिया में पहला सूली देने वाला, पहला हाथ पाँव काटने वाला, फ़िरऔन है. फ़िरऔन की इस बात पर जादूगरों ने यह जवाब दिया जो अगली आयत में आया है.

(15) तो हमें मौत का क्या ग़म, क्योंकि मर कर हमें अपने रब की मुलाक़ात और उसकी रहमत नसीब होगी. और जब सबको उसी की तरफ़ पलटना है तो वह ख़ुद हमारे तेरे बीच फ़ैसला फ़रमा देगा.

(16) यानी हमको भरपूर सब्र अता फ़रमा और इतना अधिक दे जैसे किसी पर पानी उंडेल दिया जाता है.

(17) हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हुमा ने फ़रमाया, ये लोग दिन के पहले पहर में जादूगर थे और उसी रोज़ आख़िर पहर में शहीद.

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