निडर था , जर्नल था , ताजवर था , गवर्नर था पकड़ कर लाया गया और मस्जिदे नबवी में सतून के साथ बाँध दिया गया .. रसूल्लल्लाह तशरीफ़ लाएं और देखा खूबसूरत चेहरा , लंबा क़द , तावाना जिस्म ,भरा हुआ सीना , अकड़ी हुई गर्दन गरज़ के हुक्मरानी की सारी निशानियां मौजूद थी ….. सरवरे क़ाएनात ने आगे बढ़ कर पूछा शमामा कैसे हो ???
बोला गिरफ़्तार कर के पूछते हो कैसा हूँ ……??? रसूल पाक़ ने फ़रमाया कोई तक़लीफ़ तो नहीं पहुँची ?????
कहता क्या है तुम्हारी तक़लीफ़ और राहत की कोई परवाह नहीं जो जी चाहे कर लो !
रसूल पाक़ ने फ़रमाया बड़े तेज़ मिजाज़ आदमी हो ,, आपने सहाबा की तरफ़ देखा और फ़रमाया इसको कोई तक़लीफ़ तो नहीं पहुँचाई ????
सहाबा अर्ज़ करते है या रसूल्लल्लाह गिरफ़्तार ही किया है कोई तक़लीफ़ नहीं पहुँचाई है !!
पैकर हुस्न ओ जमाल ने फ़रमाया शमामा ज़रा मेरी तऱफ देखो तो सही ….शमामा कहता है क्या देखने की बात करते हो जाओ नहीं देखता अगर मुझे मारा गया तो मेरी ख़ून का बदला लिया जाए गा …….
जवाब सुन कर उमर की पेशानी पर सिलवटे उभर आई और हाथ तलवार के दस्ते पर चला गया के कब इसारा हो और उसकी गर्दन मोहम्मद के क़दमो में दिखाई दे …….
लेकिन रहमतुल लील आलमीन के होठों पर मुस्कुराहट है फ़रमाया …. जितना गुस्सा है जी चाहे निकाल लो लेकिन एक बार हमारी तरफ़ देख लो …….
शमामा ने जवाब दिया तुम्हारा चेहरा क्या देखूं क़ाएनात में तुम से बदसूरत कोई नहीं है ( माज़ल्लाह )
ये वो पैगम्बर रहमतुल लील आलमीन है जब बे आसरा थे तब लोगो की गुस्ताखाना बाते सहता था लेकिन पेशानी पर शिकन नहीं डाली लेकिन आज ताजदार था तब भी ऐसी बाते सुन कर पेशानी पर शिकन नहीं आई फ़रमाया ….. कोई बात नहीं मेरी तऱफ न देखो मेरी बस्ती की तऱफ देख लो ……. उसने कहा मैं ने रोम व यूनान , ईरान व मिस्र की बस्तियां देखि है मगर तेरी बस्ती क़ाएनात की सब से बदसूरत बस्ती है ( माज़ल्लाह) इस बस्ती को क्या देखूं …….
रहम्मतुल लील आलमीन ने कहा कोई बात नहीं ……….. दूसरे दिन तशरीफ़ लाएं और फ़रमाया हम तुझ से कुछ नहीं कहते मगर ज़रा देख तो लो हमारी तरफ़ ……वो फ़िर कहता नहीं देखना….अब आसमान सहमा , ज़मींन खामोश के अब क्या हुक़्म होता है आज इस नबी ए रहमत की जुबांन से क्या हुक़्म सादिर होता है और इस गुस्ताख़ को क्या सज़ा मिलती है मगर हमेशा मुस्कुराने वाले आक़ा ने उसे देखा , मुस्कुराया और फ़रमाया जाओ हम ने तुम्हे छोड़ दिया है चले जाओ तुम , हम ने आज़ाद कर दिया और हम तुझे कुछ नहीं कहते तू तो एक मुल्क़ का हुक्मरान है …..और अपने सहाबा से जिनकी तलवार उसकी गर्दन उड़ाने को तैयार थी से फ़रमाया इसको मदीने से रुखसत करो ……. उसने मदीना छोड़ा जाते हुए उसे ख्याल आया बड़े हुक्मरान देखे , बादशाह देखे , जर्नल देखें , वज़ीर देखे इतने हौसले वाला तो कभी न देखा इसके चेहरे को देखूं तो कैसा है ?? बस एक निगाह पे ठहरा है दिल का फ़ैसला फिर देखता है देख कर सर पट भागा आगे देखिये वो क्या कहता है ……..
क़दम आगे की तरफ़ भाग रहे थे दिल पीछे की तरफ़ भाग रहा था दो मील भागा होगा जितनी रफ़्तार से भागा होगा उतनी रफ़्तार से वापिस आ गया वो माह तमाम नंगी ज़मींन पर अपनी सहाबा के साथ बैठा था सुबह मस्जिद के नंगे फर्श पर आया नबी करीम ने निगाह डाली सामने शमामा खड़ा है ….फ़रमाया हम ने तुझे आज़ाद कर दिया था फ़िर आ गया ……. उसने कहा मुझे अपना बना कर छोड़ दिया कहा ,,, आप ने छोड़ा तब था जब आप का चेहरा नहीं देखा था अब आप का चेहरा देख लिया अब ज़िन्दगी भर के लिए आप का गुलाम बन गया हूँ ……
तो ऐसे थे हमारे प्यारे आक़ा हज़रत मोहम्मद
जिससे आपको प्रतिदिन मुस्तफ़ा और ये था उनका सिलाह रहमी का एक निहायत ही छोटा सा वाक़या , अगर हम उनकी तमाम ज़िन्दगी का मुताला करे तो कहीं आप पर कचरा फेंकने वाली की तिमादारी करते हुए नज़र आते हैं तो कहीं फ़तह मक्का के वक़्त उन लाखो लोगो को बिना हिसाब व किताब मुआफ़ करते हुए देखते हैं जिन्हों ने आप को इतना सताया और तशद्दुद किया के आप के नालें मुबारक आप के लहू से भर गई , आप ने हर हर मौके पर ऐसी क़ुरबानी और सिला रहमी का मुज़ाहिरा फ़रमाया …….सभी लोगों से गुजारिश है मेरे इस पेज को जरूर LIKE कर लें,जिससे आपको प्रतिदिन इस्लामिक मैसेज मिल सके..
- Allah subhanahu se Magfirat aur Aafyiat manga karo kyuki - 14th June 2017
- Sajda e Tilawat ki dua - 14th June 2017
- Bewaon aur miskeenon ke kaam aaney wala - 14th June 2017