*मुबारक रात लेकर साथ पैगामे नजात आइ*
*ईबादत के लीये जो सबसे बहेतर है वो रात आइ*
*🌺शाबान इस्लामी साल का आठवां महीना है हज़रत अबु हुरैरा रदी अल्लाहुता’ला अन्हु से मरवी है कि हुज़ुर (सल्ललल्लाहु अलयहि वस्सल्लम) ने फ़रमाया “शाबान मेरा महीना है रजब अल्लाह ता’ला का महीना है और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है ” शाबान गुनाहों को दूर करने वाला है और रमज़ान बीलकुल पाक करने वाला है शाबान दो मुबारक महीनो (रजब- रमज़ान) के दरमीयान है इस महीने में बंदे के आमाल रब्बुल आलमीन के हुज़ुर पेश कीये जाते है इस महीने में खुदा ता’ला की तरफ़ से बंदो पर बडी बरकतें नाज़ील होती है , नेअमतें अत्ता की जाती है नेकीयों के दरवाज़े खोल दीये जाते है, खता एं माफ़ की जाती है और गुनाहों का कफ़फारा होता है*
*इस माह में जब 15 वी रात (शबे बरात) आए तो रात में इबादत करो और दीन को रोज़ा रखो इस रात में कीस्मत लीखी जाती है कीरामन कातेबीन का पुराना दफ़तर बंध होता है और नया दफ़तर खुलता है , कीसीको इसमे सआदत नसीब होती है और कीसी को शकावत, सालभर में जो आपकी कीसमत में होने वाला है वो तहेरीर कीया जाता है.*
*14 वी के दीन*
*असर मगरीब के बीच में गुसल करे 15 वी शाबान की इबादत की नीय्यत से तो पानी के हर कतरे के बदले 700 रका’त नफ़ील नमाज़ का सवाब मीलेगा*
*सुरज डूबने से पहेले 40 बार “ला हवला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाहील अलीय्यील अज़ीम “पड़े , तो खुदा ता’ला उसके 40 साल के गुनाह माफ़ कर देगा और 4 हुरें उसको जन्नत मे मीलेगी*
*मगरीब की नमाज़ के बाद*
*1 – दो रका’त नमाज़ उम्रे दराज़ की निय्यत से पड़े फ़ीर 1 मरतबा सुरह यासीन शरीफ़ पड़े*
*2 – दो रका’त नमाज़* *रोज़ी मे बरकत की निय्यत से पड़े फ़ीर 1 ,बार सुरह यासीन शरीफ़ पड़े.*
*3 – दो रका’त नमाज़* *बीमारी बला व मुसीबत दुर करने की निय्यत से पडे़ फ़ीर 1 बार सुरह यासीन शरीफ़ पड़े फ़ीर 1 बार दुआ ए निश्फुश्शाबान पड़े*
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*15 वी रात शबे बरात**इस मुबारक रात में गुस्ल करके दो रका’त तहीयतुल वुज़ु पड़े सुरमा लगाए (दांइ आंख में तीन सलाइ और बांइ आंख मे दो सलाइ) , मीस्वाक करे खुश्बु लगाए कब्रस्तान जाए हलवा बनाए और फ़ातेहा दे, बीमार की अयादत करे नफ़ील नमाज़े पड़े दुरुदो सलाम पड़े सुरह यासीन शरीफ़ की तीलावत करे और अपने मर्हुमों की मगफ़ीरत की दुआ ए करे क्युंकि हदीष शरीफ़ मे आया है कि शबे बरात की रात को मर्हुमो की रुहें अपने घरों के दरवाज़े पर जाकर पुकारती है अय घर वाले रहम करो आज की रात हमारे लीये कुछ सदक़ा करो क्युंकि हम लोग इसाले सवाब चाहते है , अगर तुमने उनके नाम कुछ इसाले सवाब कर दीया तो वो खुश होकर दुआ ए देकर जाती है और जब कुछ नहीं पाती तो ना उम्मीद हो कर वापीस जाती है*
*शबे बरात के नवाफ़ील*
*2 रका’त* *नमाज़ तहीयतुल वुज़ु पड़े अल्हम्दु के बाद हर रका’त मे 1 बार आयतुल कुर्सी और तीन बार क़ुलहुवल्लाहु अहद पड़े.*
*8 रका’त (दो दो रका’त) अल्हम्दु शरीफ़ के बाद 1 बार इन्ना अन्ज़ल्ना और 25 बार क़ुल हुवल्लाहु अहद पड़े.*
*2 रका’त* *अल्हम्दु शरीफ़ के बाद 50 बार क़ुल हु वल्लाहु शरीफ़ पड़े*
*4 रका’त (दो दो रका’त) अल्हम्दु शरीफ़ के बाद 1 बार आयतुल कुर्सी और 15 बार क़ुलहुवल्लाहु शरीफ़ पड़े.*
*14 रका’त (दो दो रका’त) अल्हम्दु शरीफ़ के बाद कोइ भी सुरह पड़े.*
*2 रका’त* *अल्हम्दु शरीफ़ के बाद 11 बार क़ुल हु वल्लाहु अहद पडे.*
*और इसका सवाब हज़रत बीबी फ़ातेमतुज़्ज़ोहरा (रदी अल्लाहु ता’ला अन्हा) की रुहे पाक को बख्शे, इस के हक्क मे खातुने जन्नत फ़रमाती है के में हरगीज़ जन्नत में पांउ नहीं रखुंगी जब तक शफ़ाअत न करा लुंगी*
*गौषे समदानी शैख अब्दुल क़ादीर जीलानी (रदी अल्लाहु ता’ला अन्हु) फ़रमाते है हदीषे पाक मे आया है कि हुज़ुर (सल्ललल्लाहु ता’ला अलयहि वस्सल्लम) ने इर्शाद फ़रमाया कि शाबान की 15 वी शब जीब्रीले अमीन मेरे पास आए तो मैंने शबे बरात के बारे में दरयाफ़्त फ़रमाया तो जीब्रीले अमीन ने अर्ज़ कीया की ये वो रात है जीसमें अल्लाह ता’ला तीन सो रहेमत के दरवाज़े खोल देता है और हर उस शाख्स को बख्श देता है ,मगर जो मुशरीक हो , जादुगर हो , शराबी हो और सुदखौर जब तक तौबा ना करले नहीं बख्शता*
_(गुनीयतुल तालाबीन -527)_
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