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आज कल मस्जिद के अन्दर ही अज़ान देने का रिवाज पड़ गया हैं जो कि ख़िलाफ़े सुन्नत हैं !

🔮आला ह़ज़रत रह़मतुल्लाह तआ़ला अ़लैहे फ़रमाते हैं :

सेहने मस्जिद के नीचे जहां जूते उतारे जाते हैं वो जगह ख़ारिजे मस्जिद होती हैं वहां अज़ान देना बिला तकल्लुफ़ सुन्नत के मुत़ाबिक़ हैं !

📚(ऐज़न, सफ़ह़ा-408)

🔮जुमुआ़ की अज़ाने सानी जो आज कल (ख़ुत़्बे से पहले) मस्जिद में ख़त़ीब के मिम्बर के सामने मस्जिद के अन्दर दी जाती हैं ये भी ख़िलाफ़े सुन्नत हैं, जुमुआ़ की अज़ाने सानी (ख़ुत़्बे की अज़ान) भी मस्जिद के बाहर दी जाए मगर अज़ान देने वाला ख़त़ीब के सामने हो !

📚(फ़त्ह़ुल क़दीर, जिल्द-2, सफ़ह़ा-29)

🔮आला ह़ज़रत फ़रमाते हैं :
मस्जिद में अज़ान देना मस्जिद व दरबारे इलाही की गुस्ताख़ी व बे अदबी हैं !

📚(ऐज़न, सफ़ह़ा-411)

🔮आ़लमगीरी में हैं कि अज़ान ख़ारिजे मस्जिद में कही जाए, मस्जिद में अज़ान न कहे!

📚(फ़तावा आ़लमगीरी, जिल्द-1, सफ़ह़ा-55)

🔮आला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत शाह इमाम अह़मद रज़ा ख़ान रह़मतुल्लाह तआ़ला अ़लैहे फ़रमाते हैं :

एक बार भी साबित नही कि हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम ने

मस्जिद के अन्दर अज़ान दिलवाई हो !

📚(फ़तावा रज़विय्या, तख़रीज शुदा, जिल्द-5, सफ़ह़ा-214)

🔮आला ह़ज़रत फ़रमाते हैं :
उ़लमाओ का तो ख़ास फ़र्ज़े मन्सबी हैं और

जिस मुसलमान से मुम्किन हो उस के लिए हुक्मे आ़म हैं !
हर शहर के मुसलमानों को चाहिए कि

अपने शहर या कम से कम अपनी अपनी मस्जिदों में (अज़ान और जुमुआ़ की अज़ाने सानी मस्जिद के बाहर देने की) इस सुन्नत को ज़िन्दा करे और 100 शहीदों का सवाब कमाए !

📚(फ़तावा रज़विय्या, तख़रीज शुदा, जिल्द-5, सफ़ह़ा-403)

🔮प्यारे आक़ा सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम का फ़रमान हैं :

जो फ़सादे उम्मत के वक़्त मेरी सुन्नत को मज़बूत़ थामें उसे 100 शहीदों का सवाब मिले

📚(मिश्कातुल मसाबीह़, सफ़ह़ा-30)….

As-salam-o-alaikum my selfshaheel Khan from india , Kolkatamiss Aafreen invite me to write in islamic blog i am very thankful to her. i am try to my best share with you about islam.
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