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रोज़ा साईन्स की नज़र में👇🏼*
हकीम मुहम्मद तारिक़ महमूद चुगताई अपनी तस्नीफ “ सुन्नते नबवी व जदीद साईन्स ” में रक़मतराज़ हैंप्रोफेसर मोरपार्ल्ड ओक्सफोर्ड
युनिवर्सिटी की पहचान हैं, उनहों ने अपना वाक़िआ बयान किया:की मैंने ईस्लामी उसूल का मुताला किया और रोज़े के बाब (Topic) पर पहुँचा तो चौंक पड़ा कि ईस्लाम ने अपने मानने वालों के लिए कितना अज़ीम फॉर्मूला (Formula) दिया है ! अगर ईस्लाम अपने मानने वालों को और कुछ न देता सिर्फ यही रोज़े का फॉर्मूला ( Formula ) ही देता तो
फिर भी ईस से बढ़कर उनके पास और कोई नेअमत न होती। मैंने सोचा कि ईस को
आज़माना चाहिए।फिर मैंने रोज़े मुसलमानों के तर्ज़ पर रखना शुरू कर दिए। मैं अरस ए दराज़ ( लम्बे समय ) से मेअदे के वरम
*Stomatch Inflammation* की बिमारी में मुबतिला था। कुछ दीनों के बाद ही मैंने
महसूस कियाकि ईसमे कमी वाक़ेअ हो गई है मैंने रोज़ो की मश्क़ जारी रखी, फिर मैंने जिस्म में कुछ और तबदीली भी महसूस की
और कुछ अरसा बाद मैंने अपने जिस्म को नॉर्मल (Normal) पाया। हत्ता कि मैंने एक माह (One Month)के बाद अपने जिस्म के अंदर ईन्क़ीलाबी तबदीली महसूस की।
📚(बहवाला सुन्नतेनबवी व जदीद साईन्स)

मुसलमानों ज़रा गौर तो करो !
जब रोज़ा गैरों को इतने सारे जिस्मानी व दुनियवी फाएदों से मालामाल कर देता है
तो हम तो अल्हम्दुलिल्लाह साहिबे ईमान है,
ईन्शाअल्लाह ! अगर हम रोज़े की कद्र करेंगे तो दुनिया के साथ साथ आखिरत में भी कामयाब नज़र आयेंगे।*
📚 *(हवाला) माहे रमज़ान कैसे गुजारे*
मुसन्निफ़ अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
*मौलाना मोहम्मद शाकिर अली नूरी*
अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे

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POST NO – 14
👉🏻MAAHE RAMDHAN👈🏻

Hazrat Abu Huraira Radiallahu Taala Anhu Se Riwayat Hai Ke Allah Ke Rasool ﷺ Ne Irshaad Farmaya Ke ALLAH Taala Farmata Hai ROZE MERE Liye Hai Aur MAI Hi Unka BADLA DUNGA Aur Dusri NEKIYON Ka AJAR 10 GUNAA Kardunga.

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