✿ 🌹 *मोहब्बत ए रसूल ﷺ*🌹 ✿
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*_औरत का लफ़्ज़ी मा’ना #01_*
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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_सुवाल :-_* औरत के लफ़्ज़ी मा’ना क्या हैं ?
*_जवाब :-_* औरत के लुगवी मा’ना हैं “छुपाने की चीज़ ।”
अल्लाह के महबूब,दानाए गुयूब,मुनज्जहुन अनिल उयूब صَلَّی الله تَعَالٰی عَلَیْہِ وَسَلَّم का फ़रमाने आलीशान है कि :- औरत *”औरत”* (या’नी छुपाने की चीज़) है जब वोह निकलती है तो उसे शैतान झांक कर देखता है। (या’नी उसे देखना शैतानी काम हैे)
*_क्या आज कल भी पर्दा ज़रूरी है ?_*
*_सुवाल :-_* क्या पर्दा इस दौर में भी ज़रूरी है ?
*_जवाब :-_* *जी हां ।* चन्द बातें अगर पेशे नज़र रहें तो ان شاء الله पर्दे के मसाइल समझने में आसानी रहेगी ।
पारह 22 *सू-रतुल अहूज़ाब* की आयत नम्बर 33 में पर्दे का हुक्म देते हुए परवर्दगार عَزَّوَجَلَّ का इर्शादे नूरबार है :-
*_तर-ज-मए कन्जुल ईमान :-_* और पर अपने घरों में ठहरी रहो और बे पर्दा न रहो जैसे अगली जाहिलिय्यत की बे,पर्दगी ।
ख़लीफ़ए आ’ला हज़रत सदरुल अफ़ाज़िल हज़रते अल्लामा मौलाना सय्यिद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादआबादी عَلَیْہِ رَحْمَۃُ اللّٰهِ الْھَادِی इस के तहत फ़रमाते हैं :- “अगली जाहिलिय्यत से मुराद क़ब्ले इस्लाम का ज़माना है , उस ज़माने में औरतें इतराती निकलती थीं,अपनी ज़ीनत व महासिन *(या’नी बनाव सिंघार और जिस्म की खूबियां म-सलन सीने के उभार वगैरा)* का इज़हार करती थीं कि गैर मर्द देखें।
लिबास ऐसे पहनती थीं,जिन से जिस्म के आ’ज़ा अच्छी तरह न ढकें ।”
*_📓खज़ाइनुल इरफ़ान,स.673_*
_अपसोस !_ मौजूदा दौर में भी ज़मानए जाहिलिय्यत वाली बे पर्दगी पाई जा रही है।
यकीनन जैसे उस ज़माने में पर्दा ज़रूरी था वैसा ही अब भी है।
*_📓पर्दे के बारे में सवाल.? जवाब :-02_*
*_✍🏼बाकी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله_*
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