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‘‘रमज़ान का महीना वर्ष के सारे महीनों में सबसे श्रेष्ठ महीना है, क्योंकि अल्लाह तआला ने विशेष रूप से इस महीने के रोज़ों को अनिवार्य किया है और उसे इस्लाम के स्थंभों में से चौथा स्तंभ क़रार दिया है। तथा मुसलमानों के लिए उसकी रातों में क़ियाम करने को धर्मसंगत किया है, जैसा कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का कथन है : ” इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ों पर आधारित है: इस बात की गवाही देना कि अल्लाह तआला के अलावा कोई सत्य पूज्य नहीं और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के रसूल हैं, नमाज़ क़ायम करना, ज़कात अदा करना, रमज़ान के रोज़े रखना और अल्लाह के घर अर्थात काबा का हज्ज़ करना।’’ इसे बुख़ारी और मुस्लिम ने रिवायत किया है।

आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का कथन है कि : ‘‘जिस व्यक्ति ने रमज़ान का रोज़ा आस्था और सवाब प्राप्त करने की नीयत से रखा तो उसके पिछले गुनाह क्षमा कर दिए जायेंगे।’’ इसे बुख़ारी और मुस्लिम ने रिवायत किया है।

और मैं रमज़ान का स्वागत करने के विषय में कोई विशिष्ट चीज़ नहीं जानता, सिवाय इस के कि मुसलमान इस महीने का स्वागत हर्ष व उल्लास के साथ और इस पवित्र महीने के प्राप्त होने तथा उसकी तौफीक़ दिए जाने पर अल्लह तआाला के धन्यवाद के साथ करे, कि अल्लाह ने उसे उन जीवित लोगों में से बनाया जो नेक कार्य करने में एक दूसरे से आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं। क्योंकि रमज़ान के पवित्र महीने का प्राप्त होना अल्लाह की ओर से एक महान अनुग्रह और वरदान है। इसीलिए अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान के आगमन पर उसकी प्रतिष्ठाओं का और अल्लाह तआला ने उस में रोज़ा रखने वालों और क़ियाम करने वालों के लिए जो महान सवाब तैयार कर रखा है, उनका उल्लेख करते हुएअपने सहाबा को उसकी शुभसूचना देते थे।

तथा मुसलमान के लिए धर्मसंगत यह है कि वह इस पवित्र महीने का स्वागत विशुद्ध तौबा, तथा अच्छी नीयत और सत्य संकल्प के साथ उसके रोज़ों और क़ियाम के लिए तैयारी के साथ करे।’’ अंत हुआ।

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