लोगो अपने परवरदिगार
से डरो की क़यामत का जलजला एक हादसा-ऐ-अज़ीम होगा।
(सूरह-हज्ज,आयात-01)
इल्म-ए-ह़दीस का गहराई से मुत’आला करने वाले अच्छी तरह जान और समझ रहे हैं कि दुनिया मे अब अमन नामुमकिन है बल्कि नाइंसाफी, ख़ून-रेज़ी और अमीर ग़रीब के बीच बढ़ती खाई है जिसकी तरफ दुनिया खिंचती चली जा रही है और जिसका अंजाम एक जंग-ए-अज़ीम के सिवा कुछ नही..।।
नबी(स.अ.व.) की ह़दीस के मुताबिक़…
“तुम पर चार फ़ितने आयेंगे पहले फ़ितने मे क़त्ल-ओ-ख़ून हलाल समझा जायेगा दूसरे फ़ितने मे लूट-खसोट और हत्या को हलाल समझा जायेगा..तीसरे फ़ितने मे लूट खसोट हत्या के साथ-साथ ब्लात्कार को जायज़ समझा जायेगा..और चौथा फित़ना इतना अज़ीम होगा कि गूंगा ,बहरा ,अंधा कोई भी उससे बच नही सकेगा वह समुद्री लहरों की तरह चिंघाड़ रहा होगा यहां तक किसी कोने मे भी कोई बचने की राह नही होगी””
यह चौथा फितना मुल्क-ए-शाम(Syria) मे दंदनाता फिरेगा इराक़ को ढांप लेगा और अरब महाद्वीप को अपने हाथ-पैर से रौंद डालेगा..(बा-ह़वाला किताब-उल-फ़ितन..नईम बिन ह़म्माद:89)
इस दौर-ए-फ़ितन के आख़िर मे एक अज़ीम जंग की पेशिनगोई है जिसमे हक़ का ग़लबा साबित है। इन फितनों के बारे मे दुनिया की तीन बड़ी क़ौमे़ं(यह़ूद नसारा और मुसलमान) न सिर्फ अच्छी तरह जानती हैं बल्कि लगभग मुत्तफिक़ हैं..लेकिन इन फितनों पर पुख़्ता ईमान सिर्फ यहूदियों को है जिसका उदाहरण इज़्राईल है जहां दुनिया भर के यहूदी अपना अरबों-खरबों का कारोबार त्याग कर यूरोशलम के इर्द-गिर्द जमा हो रहे हैं और उनकी तैयारी अपने आखरी मराह़िल मे है…लेकिन सद्’हाय अफसोस हमारी तैयारी की शुरूआत तो क्या दूर-दूर तक उसका अता-पता भी नही??😢
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