بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रते बिलाल के क़दमों की आहट*
जन्नत कि सैर के दौरान हुज़ूर ﷺ ने किसी के क़दमो की आहट समाअत फ़रमाई जिसके बारे में आपको बताया गया कि ये हज़रते बिलाल رضي الله عنه है!
क़ुर्बान जाइये! क्या शान है मुअज़्ज़िने रसूल बिलाल हबशी رضي الله عنه की, कि प्यारे आक़ा इनके क़दमो की आहट जन्नत में समाअत फरमा रहे है। आप رضي الله عنه को ये मक़ाम किस अमल के सबब हासिल हुवा? आइये! मुलाहज़ा कीजिये: हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है, एक दफा हुज़ूर ﷺ ने फज्र के वक़्त हज़रते बिलाल رضي الله عنه से फ़रमाया: ऐ बिलाल! मुझे बताओ तुमने इस्लाम में कौन सा ऐसा अमल किया है जिस पर सवाब की उम्मीद सबसे ज़्यादा है क्योंकि में ने जन्नत में अपने आगे तुम्हारे क़दमों की आहट सुनी है। अर्ज़ किया: मेने अपने नज़्दीक कोई उम्मीद अफ़ज़ा काम तो नहीं किया। हाँ! मेने दिन रात की जिस घड़ी भी वुज़ू या गुस्ल किया तो इस क़दर नमाज़ पढ़ली जो अल्लाह ने मेरे मुक़द्दर में की थी।
यानी दिन रात में जब भी मेने वुज़ू किया तो दो नफ्ल तहिय्यातुल वुज़ू पढ़ ली।
ख्याल रहे की हुज़ूर ﷺ का बिलाल رضي الله عنه से ये पूछना इसलिये था ताकि आप ये जवाब दे और उम्मत इस पर अमल करे, वरना हुज़ूर ﷺ तो हर शख्स के हर छुपे खुले अमल से वाक़ीफ़ है।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 77
🌹GULAM-E-PANJATAN🌹
*शबे में’राज के मुशाहदात* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*ज़बरजद और याकूत के ख़ैमे*
जन्नत की हसीनो जमील और प्यारी वादियों की सैर फ़रमाते हुवे प्यारे आक़ा ﷺ एक नहर पर तशरीफ़ लाए जिसे बैज़ख़् कहा जाता है। उस पर मोतियों, सब्ज़ ज़बरजद और सुर्ख याक़ूत के ख़ैमे थे। इतने में एक आवाज़ आई: अस्सलामु अलैक या रसूलल्लाह।
आप ﷺ ने जिब्राइल से दरयाफ़्त फ़रमाया ये कैसी आवाज़ है? अर्ज़ किया: ये ख़ैमों में पर्दा नशीन हूरें है, इन्होंने रब से आप को सलाम कहने की इजाज़त तलब की थी और रब ने इन्हें इजाज़त अता फरमा दी। फिर वो हूरें कहने लगी: हम खुश रहने वालियां है कभी ना-गवारी व नफरत का बाइस न होंगी और हम हमेशा रहने वालियां है कभी फना न होंगी।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 79
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