27 वीं शब 24/04/2017 बरोज़ पीर (सोमवार)
*शबे मेअ़राज की नफ़्ल नमाज़ें*
(1)_*12 रकात 2दो 2दो करके* तरकीब :: हर रकात में अलहम्दु के बाद 5 बार क़ुल हुवल्लाहुअह़द पढ़ें 12 रकात पूरी पढ़ने के बाद 100 बार कलिमये तमजीद और 100 बार अस्तग़्फिरुल्लाह 100 बार दुरूद शरीफ़ पढ़ें और जो दुआ़ करेंगे क़ुबूल होगी इंशाअल्लाह।
(2)_*6 रकात 2दो 2दो करके* तरकीब:: हर रकात में अलहम्दु के बाद 7 बार क़ुल हुवल्लाहुअह़द पढ़ें 6 रकात पूरी पढ़ने के बाद 50 बार दुरूद शरीफ़ पढ़ने के बाद दुआ़ करें तमाम दीनी और दुनयवी हाजात पूरी होंगी और 70,000 सत्तर हज़ार गुनाह मुआ़फ़ होंगे।
(3) *2 रकात एक सलाम से* पहली रकात में अलहम्दु के बाद सूरह अलम नशरह़ ल-क-और दूसरी रकात में अलहम्दु के बाद सूरह,, लि ईलाफ़ि क़ुरैश पढ़ें *फज़ीलत* औलिया-ए-किराम के सांथ नमाज़ पढ़ने का सवाब मिलेगा
(4) *10 रकात 2दो 2दो करके* हर रकात में अलहम्दु के बाद 3 बार सूरह काफ़िरून और 3 बार सूरह क़ुल हुवल्लाहुअह़द पढ़ें और 10 रकात पूरी पढ़ने के बाद 1एक बार ये दुआ़ पढ़ें *अल्लाहुम्मा सल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदिवं व आलिहित़्त़ाहिरी-न-वला हौ-ल-वला क़ुव्व-त-इल्ला बिल्ला हिल अ़लिय्यिल अ़ज़ीम* अल्लाह पाक हर रकात के बदले 1,000,रकात का सवाब अ़ता करेगा।
(5) *ग़ुस्ल के फ़ज़ाइल* हुज़ूर सल लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि जो शख़्स माहे रजब की 15 वीं और 27 वीं शब को ग़ुस्ल करेगा तो अल्लाह पाक उसे गुनाहों से एेसे पाक कर देगा जैसे कि अभी पैदा हुआ हो।
(6) *रोज़ोंह के फ़ज़ाइल* हुज़ूर सल लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि जो शख़्स माहे रजब की 27 वीं को रोज़ह रखे तो अल्लाह पाक उसे जन्नत की रजब नामी नहर का पानी पिलाएगा जो शहद से ज़्यादा मीठा और दूध से ज़्यादा सफ़ेद बर्फ़ से ज़्यादा ठंडा होगा और उसे जहन्नम की आग से बचा लेगा,।(7) *मसअलह*–रमज़ानुल मुबारक के रोज़ोंह के अ़लावह बाक़ी सब नफ़्ल रोज़ेह हैं इसलिए नफ़्ल रोज़ेह जब भी रखें तो 1एक न रखें हमेशा, 2,दो ही रखें। ( *तख़रीजे मसाइल के हवालाजात कुतुब,, बुख़ारी,व, मुस्लिम,, व,गुनियह, व, दुर्रे मुख़्तार, व, नुज़हत, बहारे शरीअ़त*)
*नमाज़ पढ़ो,, इस्से पहले की,, तुम्हारी नमाज़ पढ़ दी जाए*
*कज़ा नमाज़ों को अदा करें*
(1) — हुज़ूर सल लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि जब बंदा नमाज़ न पढ़े तो उसका नाम जहन्नम के दरवाज़े पर लिख दिया जाता है {बुख़ारी, मुस्लिम, दुर्रे मुख़्तार,अज़्ज़वाजिर,फ़तावऐ रज़विय्यह,}
(2) –हुज़ूर सल लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि जहन्नम में एक वादी है जिसका नाम वादिऐ वैल है और वादिऐ वैल से जहन्नम भी पनाह माँगता है और बे नमाज़ी को वादिऐ वैल में डाला जाएगा (अज़्ज़वाजिर, फ़तावऐ रज़विय्यह अह़याउल,उ़लूम, बहारे शरीअ़त)
(3) –बे नमाज़ी से जहन्नम भी पनाह माँगता है (अज़्ज़वाजिर, फ़तावऐ रज़विय्यह अह़याउल उ़लूम, अन्नुज़हत, रियाज़ुर्रियाहैन)
(4) __ जिस शख़्स की कोई नमाज़ कज़ा हो तो बहतर है कि नफ़्ल नमाज़ों की जगह वो अपनी कज़ा नमाज़ें पढ़े, (दुर्रे मुख़्तार, फ़तावऐ रज़विय्यह, बहारे शरीअ़त)
(5) __ कज़ा नमाज़ पढ़ने के लिए कोई वक़्त मुकर्रर नहीं ज़िंदगी में जब चाहें पढ़ सकते हैं हां बस इतना ख्याल रहे कि,मकरूह वक़्तों में जैसे कि सूरज त़ुलूअ़ व ग़ुरूब व ज़वाल के वक़्तों में पढ़ना ना जायज़ है (दुर्रे मुख़्तार,आ़लमगीरी, फ़तावऐ रज़विय्यह, बहारे शरीअ़त)
(6)__ कज़ा नमाज़ों के लिए तरतीब वाजिब है यानी कि पहले फ़जर फिर ज़ोहर फिर अ़सर फिर मग़रिब फिर इ़शा।।(दुर्रे मुख़्तार, बहारे शरीअ़त) “
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