शेर-ए-ख़ुदा मौला अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने मस्जिद-ए-कूफ़ा के मेम्बर से दावा किया: “पूछ लो जो कुछ पूछना चाहते हो, इससे पहले के मैं तुम्हारे दरमियान से चला जाऊँ…।”
एक शख़्स उठा और उसने सवाल किया:
“या अली! कौन से जानवर बच्चे देते हैं, और कौन से जानवर अन्डे देते हैं ??”
मौला अली ने जवाब दिया:
“जिनके कान बाहर हैं वो बच्चे देते हैं और जिनके कान अन्दर हैं वो अन्डे देते हैं…।”
वह बैठ गया और दूसरा शख़्स उठा और उसने भी वही सवाल दोहराया:
“या अली! कौन से जानवर बच्चे देते हैं और कौन से जानवर अन्डे देते हैं…??? ”
शेर-ए-ख़ुदा हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने जवाब दिया:
“जो अपने बच्चों को दूध पिलाते हैं वह बच्चे देते हैं और जो अपने बच्चों को दाना चुगवाते हैं वह अन्डे देते हैं…।”
वह बैठ गया और तीसरा शख़्स उट्ठा और उसने भी वही सवाल दोहराया:
“या अली! कौन से जानवर बच्चे देते हैं और कौन से जानवर अन्डे देते हैं ?? ”
शेर-ए-ख़ुदा हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने
जवाब दिया:
“जो अपनी ग़िजा (खाना) को चबाकर खाते हैं वह बच्चे देते हैं और जो अपनी ग़िजा (खाना) को निंगल जाते है वह अंडे देते हैं…।
जर्मनी के एक रिसर्चर ने इस जवाब पर रिसर्च किया और पूरी दूनिया के चप्पे चप्पे में जाकर रिसर्च (तहक़ीक़) की…. रिसर्च के बाद उसका स्टेटमेन्ट यह था:
“मैंने यह भी देखा है के हज़रत अली के ज़माने में आस्ट्रेलिया और अमेरिका ढूँन्ढा भी नहीं गया था… और ना ही हज़रत अली फिजिकली अरब से बाहर गये, लेकिन फिर भी उनका 1400 साल पहले यह दावे के साथ कहना इस बात की दलील है के या तो क़ायनात अली के सामने बनती रही है या अली ने क़ायनात को अपने सामने बनते देखा हो…।”
फ़रमान-ए-रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) है कि:
ऐ अली! मौमिन के सिवा तुमसे कोई मुहब्बत नहीं कर सकता और मुनाफ़िक के अलावा तुमसे कोई बुग़्ज़ नहीं रख सकता…।
सरकार (नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के सहाबी (साथी) शेर-ए-ख़ुदा हज़रत अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के इल्म का जब ये आलम है तो खुद सरकार-ए-मदीना के इल्म का आलम क्या होगा…।
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