(1) यानी मिस्त्र में तेरा विरोध करे और वहाँ के निवासियों का दीन बदलें, और यह उन्होंने इसलिये कहा था कि जादूगरों के साथ छ: लाख आदमी ईमान ले आए थे. (मदारिक)
(2) कि न तेरी उपासना करें, न तेरे मुक़र्रर किये हुए देवी देवताओं की. सदी का कहना है कि फ़िरऔन ने अपनी क़ौम के लिये बुत बनवा दिये थे और उनकी पूजा का हुक्म देता था, और कहता था कि मैं तुम्हारा भी रब हूँ और इन बुतों का भी. कुछ मुफ़स्सिरों ने फ़रमाया कि फ़िरऔन दहरिया था, यानी दुनिया के पैदा करने वाले का इन्कार करने वाला. उसका ख़याल था कि आलमें सिफ़ली के चलाने वाले सितारे हैं. इसीलिये उसने सितारों की सूरतों पर मूर्तियाँ बनवाई थीं. उनकी ख़ुद भी इबादत करता था और दूसरों को भी उनकी इबादत का हुक्म देता था और अपने आपको ज़मीन का मालिक और स्वामी कहता था, इसीलिये “अना रब्बुकुमुल अअला”कहता था.
(3) फ़िरऔनी क़ौम के सरदारों ने फ़िरऔन से यह जो कहा था कि क्या तू मूसा और उसकी क़ौम को इसलिये छोड़ता है कि वो ज़मीन में फ़साद फैलाएं. इससे उनका मतलब फ़िरऔन को हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और आपकी क़ौम के क़त्ल पर उभारना था. जब उन्होंने ऐसा किया तो मूसा अलैहिस्सलाम ने उनको अज़ाब उतरने का डर दिलाया और फ़िरऔन अपनी क़ौम की ख़्वाहिश पर क़ुदरत नहीं रखता था क्योंकि वह हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के चमत्कार की क़ुव्वत से प्रभावित हो चुका था. इसीलिये उसने अपनी क़ौम से यह कहा कि हम बनी इस्त्राईल के लड़को को क़त्ल करेंगे, लड़कियों को छोड़ देंगे. इससे उसका मतलब यह था कि इस तरह हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम की संख्या घटाकर उनकी क़ुव्वत को कम करेंगे और जनता में अपनी बात रखने के लिये यह भी कह दिया कि हम बेशक उन पर ग़ालिब हैं. लेकिन फ़िरऔन के इस क़ौल से कि हम बनी इस्त्राईल के लड़कों को क़त्ल करेंगे, बनी इस्त्राईल में कुछ परेशानी पैदा हो गई. और उन्होंने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से इसकी शिकायत की. इसके जवाब में आपने यह फ़रमाया जो इसके बाद आता है.
(4) वह काफ़ी है.
(5) मुसीबतों और बलाओं पर, और घबराओ नहीं.
(6) और मिस्त्र प्रदेश भी इसमें दाख़िल है.
(7) यह फ़रमाकर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने बनी इस्त्राईल को आशा दिलाई कि फ़िरऔन और उसकी क़ौम हलाक होगी और बनी इस्त्राईल उनकी ज़मीनों और शहरों के मालिक होंगे.
(8) उन्हीं के लिये विजय और कामयाबी है, और उन्हीं के लिये बेहतर और उमदा अंजाम.
(9) कि फिरऔनियों ने तरह तरह की मुसीबतों में जकड़ रखा था और लड़कों को बहुत ज़्यादा क़त्ल किया था.
(10) कि अब वह फिर हमारी औलाद के क़त्ल का इरादा रखता है, तो हमारी मदद कब होगी और ये मुसीबतें कब दूर की जाएंगी.
(11) और किस तरह नेअमत का शुक्र अदा करते हो.
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