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“हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम की शान क़ुर्आन में आप सभी एक बार पढ़ना ज़रूर कियुँ की दावा और दलील सब मोजूद है।“`
*_1 मीलाद शरीफ़ मनाना सुन्नते ख़ुदावन्दी है_*
📕 पारा 10-11,सूरह तौबा,आयत 33,128
📕 पारा 6,सूरह मायदा,आयत 15
📕 पारा 3-4,सूरह आले इमरान,आयत 81,82,103,164
📕 पारा 28,सूरह जुमा,आयत 2
📕 पारा 28,सूरह सफ़,आयत 6
📕 पारा 30,सूरह वद्दोहा,आयत 11
📕 पारा 13,सूरह इब्राहीम,आयत 5
*_2 तमाम अंबिया इकराम अपनी क़ब्रों में ज़िन्दा हैं_*
📕 पारा 2,सूरह बकर,आयत 154
📕 पारा 4,सूरह आले इमरान,आयत 169
📕 पारा 22,सूरह सबा,आयत 14
*_3 ख़ुदा की बारगाह में अंबिया व औलिया का वसीला लगाना जायज़ है_*
📕 पारा 6,सूरह मायदा,आयत 35
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 64
📕 पारा 1,सूरह बकर,आयत 37
*_4 हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम नूर हैं बेशक आप बशर भी हैं मगर हम जैसे नही_*
📕 पारा 6,सूरह मायदा,आयत 15
📕 पारा 22,सूरह अहज़ाब,आयत 45,46
📕 पारा 10,सूरह तौबा,आयत 32
📕 पारा 28,सूरह सफ़,आयत 8
*_5 अंबिया इकराम को बशर यानि अपनी तरह कहना कुफ्र है_*
📕 पारा 14,सूरह हजर,आयत 33
📕 पारा 18,सूरह मोमेनून,आयत 33,47
📕 पारा 28,सूरह तग़ाबुन,आयत 6
📕 पारा 8,सूरह एराफ़,आयत 12
📕 पारा 19,सूरह शोअरा,आयत 154
*_6 अल्लाह के नेक बन्दे दूर से देखते सुनते व मदद भी करते हैं_*
📕 पारा 19,सूरह नमल,आयत 18
📕 पारा 10,सूरह इन्फाल,आयत 64
📕 पारा 28,सूरह तहरीम,आयत 4
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 64
*_7 हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम खातेमुन नबीय्यीन हैं यानि आप के बाद कोई नबी नहीं आ सकता_*
📕 पारा 22,सूरह अहज़ाब,आयत 40
*_8 हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम हाज़िर व नाज़िर हैं_*
📕 पारा 26,सूरह फतह,आयत 8
📕 पारा 2,सूरह बकर,आयत 143
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 41
📕 पारा 9,सूरह इन्फाल,आयत 33
📕 पारा 29,सूरह मुज़म्मिल,आयत 15
📕 पारा 17,सूरह अंबिया,आयत 107
*_9 ताज़ीमे मुस्तफा सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम ईमान की जान है_*
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 65
📕 पारा 9,सूरह इन्फाल,आयत 24
📕 पारा 9,सूरह एराफ़,आयत 157
📕 पारा 18,सूरह नूर,आयत 63
📕 पारा 26,सूरह हुजरात,आयत 2
📕 पारा 22,सूरह अहज़ाब,आयत 53
📕 पारा 26,सूरह फतह,आयत 8,9
*_10 ख़ुदा ने ख़ुद हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम व तमाम अंबिया इकराम पर दुरूदो सलाम पढ़ा है और हमें पढ़ने का हुक्म भी दिया_*
📕 पारा 22,सूरह अहज़ाब,आयत 56
📕 पारा 16,सूरह मरियम,आयत 15,33
📕 पारा 23,सूरह साफ्फात,आयत 79,109,120,130,181
*_11 हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम से गुस्ताखी कुफ्र है_*
📕 पारा 1,सूरह बकर,आयत 104
📕 पारा 10,सूरह तौबा,आयत 61,65,66
📕 पारा 23,सूरह स्वाद,आयत 75,76
📕 पारा 26,सूरह हुजरात,आयत 2
📕 पारा 22,सूरह अहज़ाब,आयत 57
*_12 हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम मालिको मुख्तार हैं जिसे जो चाहें अता कर दें_*
📕 पारा 30,सूरह वद्दोहा,आयत 5,8
📕 पारा 30,सूरह कौसर,आयत 1
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 113
📕 पारा 10,सूरह तौबा,आयत 29,59,74,103
📕 पारा 2,सूरह बकर,आयत 144
📕 पारा 9,सूरह एराफ़,आयत 157
📕 पारा 22,सूरह अहज़ाब,आयत 36
📕 पारा 23,सूरह ज़मर,आयत 53
📕 पारा 9,सूरह इन्फाल,आयत 24
📕 पारा 27,सूरह कमर,आयत 1,2
*_13 अंबिया इकराम मासूम हैं उनसे गुनाह हो ही नहीं सकता_*
📕 पारा 15,सूरह बनी इसराईल,आयत 65,74
📕 पारा 27,सूरह वन्नज्म,आयत 2
📕 पारा 13,सूरह यूसुफ,आयत 53
📕 पारा 21,सूरह अहज़ाब,आयत 21
📕 पारा 23,सूरह स्वाद,आयत 82,83
📕 पारा 8,सूरह एराफ़,आयत 61
📕 पारा 8,सूरह इनआम,आयत 124
📕 पारा 1,सूरह बकर,आयत 124
*_14 हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम ने ख़ुदा को बेदारी में सर की आखों से देखा_*
📕 पारा 27,सूरह वन्नज्म,आयत 1-17
*_15 ख़ुदा ने अंबिया इकराम खुसूसन हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम को ग़ैब का इल्म अता किया_*
📕 पारा 1,सूरह बकर,आयत 31
📕 पारा 15,सूरह कहफ,आयत 65
📕 पारा 26,सूरह ज़ारियात,आयत 28
📕 पारा 13,सूरह यूसुफ,आयत 68
📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 113
📕 पारा 3-4,सूरह आले इमरान,आयत 49,179
📕 पारा 29,सूरह जिन्न,आयत 26,27
📕 पारा 27,सूरह वन्नज्म,आयत 10
📕 पारा 30,सूरह तक़वीर,आयत 24
📕 पारा 13,सूरह यूसुफ,आयत 102
📕 पारा 27,सूरह रहमान,आयत 1-4
📕 पारा 28,सूरह मुजादेलह,आयत 22
📕 पारा 20,सूरह अन्कबूत,आयत 1,2
📕 पारा 10,सूरह तौबा,आयत 23
📕 पारा 28,सूरह मुम्तहिना,आयत 1,2
📕 पारा 6,सूरह मायदा,आयत 51
📕 पारा 9,सूरह एराफ़,आयत 179
📕 पारा 25,सूरह जाशिया,आयत 23
📕 पारा 28,सूरह जुमा,आयत 5
📕 पारा 26,सूरह हुजरात,आयत 14
📕 पारा 28,सूरह मुनाफेकून,आयत 1,8
📕 पारा 1,सूरह बकर,आयत 85,86
📕 पारा 18,सूरह नूर,आयत 47
📕 पारा 26,सूरह मुहम्मद,आयत 34
_📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 140_
_📕 पारा 10-11,सूरह तौबा,आयत 54,84,107,108_
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