☆दो कबीले इबरत दो कबीले रश्क औरतें…!!
✿कुरआन करिम की 3 आयत (सुरह अत-तहरीम 10 ता 12) मे मजकुर 4 औरतें” ⬇
✴1/-हजरत नुह अलैहीस्सलाम की बिवी : इसका नाम “वहला” था, इसको नबी बरहक सैयदना नुह अलैहीस्सलाम की जौजीयात का शर्फ हासील हुआ और बरसो ये अल्लाह तआला के नबी की सोहबत से सरफराज रही, मगर उसको इमान नसीब नही हुआ बल्कि ये हजरत नुह अलैहीस्सलाम की दुश्मनी और तौहीनो बेअदबी की मुरताकीब होकर बगैर इमान के मर गयी और जहन्नम मे दाखिल हुई।…!!
❇ 2/-हजरत लुत अलैहीस्सलाम की बिवी : इसका नाम “वा’ला” था, ये भी जलील-उल-कद्र नबी हजरत लुत अलैहीस्सलाम की जौजीयातो सोहबत से बरसो
सरफराज रही, मगर इसके सर पर ऐसा शैतान सवार था के सच्चे दिल से कभी इमान नही लाई, बल्कि उम्र भर मुनाफिका रही और अपने निफाक को छुपाते रही, जब कौम लुत पर अजाब आया और हजरत लुत अलैहीस्सलाम अपने अहलो अयाल को लेकर निकले तो उसने हजरत लुत अलैहीस्सलाम की बात ना मानी तो अजाब का एक पत्थर उसे भी लगा और ये भी हलाक होकर जहन्नम रसीद हो गयी।..!!
✴ 3/-फिरऔन की बिवी : इनका नाम “आसीया बिन्ते मजाहीम” (रजी अल्लाहु अन्हा) था मगर इनके दिल मे इमान का नुर चमक उठा और ये हजरत मुशा अलैहीस्सलाम पर ईमान ले आए, जब फिरऔन को खबर हुई तो उस जालिम ने हजरत आशिया को बहुत सख्ती अजयातें दी, लेकीन ओ अपने ईमान पर कायम रहें और फिरऔन और जालिमों के करतुतों से अल्लाह की पनाह और जन्नत मे महल की दुआंए मांगती रही।, इसी हालत मे उनका खातीमा हो गया हो गया और ओ जन्नत मे दाखिल हो गये।..!!
❇ 4/- मरयम बिन्त इमरान : ये हजरत ईसा अलैहीस्सलाम की वालिदा मोहतरमा थे, हजरत ईसा अलैहीस्सलाम उनके सिक्म मुबारक से बगैर बाप के पैदा हुए थें।, इस लिए कौम ने ताना बदगोय्योम और तोहमत से हजरत मरयम अलैहीस्सलाम को बड़ी अजाएं पहुंचाएं।, अल्लाह ने उनको इफ्फतो पाकदामनी को कुरआन करिम मे ब्यान फरमाया और एक पुरी सुरत उनके नाम से नाजील फरमाया।….!!
⛔औरत हो या मर्द अगर खुद बेदिन रहना चाहे तो इसलाह की लाख कोशीश भी बेसुद है, (नबी सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की सोहबत मे होकर भी अबु लहब ईमान नही लाए) और अगर दिनदार बनना चाहें तो शोहर और महौल की रुकावतो के बा-वजुद भी बन सकती है।….!
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