आप स.अ.सल्लम के प्यारे बेटे की वफाअत पर आप स.अ.सल्लम बहोत गमगीन थे । बीबी आएशा रजिअल्लाहु अनहा ने आप स.अ.सल्लम से अर्ज़ किया के , ‘ अल्लाह पाक ने हर नबी को यह दर्जा अता किया है के वह अपनी जींदगी में कोई एक दुआ माँग सकते है, जो फौरन कुबूल की जाएगी , तो आप अपने बेटे की दोबारा ज़ींदगी की दुआ क्यो नही माँग लेते ? अल्लाह पाक कुबूल करनेवाला है ‘। आप स.अ.सल्लम ने फरमाया , के ‘ वह दुआ मैंने आखिरत में अपनी ” उम्मत ” के लिए संभाल रख्खी है ‘ ‘सुबहान अल्लाह ‘ । मुझे नही लगता के इससे अच्छा मेसेज आप के मोबाईल में होगा । आप यह मेसेज़ सभी भाई-बहनों को भेजने की ज़हेमत करें । ‘ ऐ मेरे परवरदिगार, अपने महेबूब स.अ .सल्लम के सदके में पूरी दुनिया में जीतने भी मुसलमां बीमार है या परेशान हैं , तू अपने करम से ऊन्हें माफ फरमां और ऊनकी बीमारी और तमाम परेशानियों को दूर फरमां ‘ – आमीन ।। ‘ ऐ मेरे परवरदिगार, अपने प्यारे महेबूब स.अ.स के सदके में जिस किसने भी यह दुआ भेजी है, उसके तमाम गुनाहों को माफ फरमां और हर काम में कामयाबी अता फरमां, और उसके नसीब खोल दें ‘। आमीन ।। अपने लिए ज़रूर दुआ करवाएं । न जाने किसकी ज़ुबांसे आपकी तकदीर संवर जाए । पूरी काएनात में नही कोई ऐसा—————– न कोई नबी, मुहम्मद जैसा ।
न कोई कलाम , कुरआन जैसा ।
न कोई मज़हब, इस्लाम जैसा ।
न कोई तोहफा ,नमाज जैसा ।
न कोई सच्चा ,अबू बक्र जैसा ।
न कोई आदिल, ऊमर जैसा ।
न कोई सकीं, ऊस्मान गनी जैसा ।
न कोई शहीद ,इमाम हुसैन जैसा ।
न कोई इमाम, अबू हनिफअ जैसा ।
न कोई कलीमुल्लाह,मुसा जैसा ।
न कोई सब्रवाला, अय्युब जैसा ।
न कोई खूबसूरत, युसुफ जैसा ।
न कोई आबिद ,युनूस जैसा ।
न कोई आवाज ,दाऊद जैसा ।
न कोई वली, ग़ौस ए आज़म जैसा ।
न कोई जगह, मदीना जैसा ।
न कोई महिना, रमज़ान जैसा ।
न कोई दिन, जुमआ जैसा ।
और न कोई मेसेज़, इस SMS जैसा ।
न गोरा रंग, दुल्हन की अलामत है ।
न काला रंग, बदसूरती की निशानी ।
कफन सफेद होकर भी,खौफ की अलामत है,
और काबा, काले गिलाफ में भी, आँखों की ठंडक है ।
हर नमाज़ के बाद – पहला कलमा पढ़ो और ये दुआ माँगो के,
ऐ अल्लाह, ये कलमा तेरे पास मेरी अमानत है और – मरते वक्त ये मुझे लौटा देना ।।
बेशक, अल्लाह कभी अमानत में खयानत नही करता ।
ये मेसेज़ भी आप के पास एक अमानत है ।
इसलिए फारवर्ड करों कि—- मरते वक्त , सब को पहला कलमा नसीब हो ।
वूज़ू कर के सोने वाले की रूह बैतुल्लाह का तवाफ करती है ।
फरिश्ते सारी रात नेकियाँ लिखते हैं ।
जब करवट बदलता है, तो फरिश्ते बख्शीश के लिए दुआ करते हैं ।
लिखावट में कोई गलती हो तो, समझकर लेना । अल्लाह हाफीज़ i
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