एक नेक सीरत औरत ने जब अपने बेटे का निकाह क्या तो उसको अकेले में कुछ____ नसीहतें कीं _ जो कि सोने की क़लम से लिखने के क़ाबिल हैं वह नसीहतें क्या थीं? आप भी गौर से पढ़िए!!
ऐ मेरे प्यारे बेटे याद यख
कोई हमारे खाने का मोहताज नहीं होता फक़ीर भी दो वक़्त की रोटी बा आसानी खा लेता है _
कोई हमारे पैसे का भूखा नहीं होता यह सोचा जाए कि हम ही से सामने वाले का गुज़ारा है _
बीवी रखेल या मुलाजमा नहीं होती कि जो चाहे उसके साथ सुलूक कर लो वह गवारा कर लेगी अल्लाह पाक ने यह क़ानून रखा है कि अगर मर्द औरत की तौहीन पे तौहीन करे तो औरत उस मर्द को छोड़ दे तो उसको कोई गुनाह नहीं _
अगर कोई तुम्हें तुम्हारी बीवी के अयेब बताए तो कुछ करने से पहले बीवी से उस शख्स के बारे में सारा कच्चा चिट्ठा खोल दो किसी को अपनी बीवी से खेलने न दो और न खुद खेलो, वह कोई खिलौना नहीं अल्लाह ने उसको हलाल करके तुम्हारे हवाले करा है वह जब चाहे उसको तुम्हारे ऊपर हराम करके किसी दूसरे के लिए हलाल कर सकता है _
तुम्हारे खराब रवैय्ये को औरत बस उस वक़्त तक बर्दाश्त करती है जब तक वह तुम्हे चाहती है मुहब्बत खत्म होने के बाद वह फौरन रास्ता बदल लेती है यह औरत की फितरत है _
कभी भूले से भी औरत के ऊपर हाथ न उठाना क्योंकि औरत की यह फितरत है कि ऐसा करने से वह अंदर से मर्द की इज्ज़त करना छोड़ देती है_
कभी बीवी को एहसास-ए-कमतरी का शिकार करने के लिए अपने बच्चों को उसके आगे न करना वरना यह बच्चे आगे जाकर तुझे ज़लील करेंगे और तू बस देखता रह जाएगा क्योंकि एक माँ ही बच्चे को सिखाती है कि किसके साथ कैसे बात करनी है, अगर तू अपनी बीवी के साथ अच्छा रवैया रखेगा तो वह उसको तेरे लिए ऐसा ही बना देगी, वरना उलट के लिए तैयार हो जा _
मेरे प्यारे बेटे बआज़ दफा मर्द इसके साथ इंतिहाई सफाकी का सुलूक कर रहा होता है और यह सोच रहा होता है कि अब इसका मेरे सिवा कोई नहीं मैं कुछ भी कर लूं यह कहीं नहीं जा सकती…. उसकी यह सोच बिल्कुल गलत होती है औरत अपने शौहर से मुहब्बत करने वाली होती है वह अपने दिल के हाथों मजबूर होती है अपनी मुहब्बत छुटाए नहीं छुटती लेकिन जिस वक़्त छुट जाती है तो मर्द अगर उसके आगे हाथ बांध कर भी खड़ा हो जाए तो वह नहीं टिकती उसे छोड़ देती है यह ऐसा फैसला होता है जो वह पहली मर्तबा दिमाग़ से करती है _
जब मर्द औरत से नफरत करने लगता है तो वह पहले दिन ही से भांप लेती है फिर वही बात कि दिल के आगे मजबूर होती है लेकिन रोज़ क़तरा-क़तरा करके उसकी मुहब्बत दिल से निकालने लगती है फिर मर्द ने भी इस शिद्दत से औरत को अपने दिल से न निकाला होगा कि जिस शिद्दत से वह मर्द को अपनी ज़िन्दगी से निकाल देती है।
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