जो औरत हमल की तकलीफ बर्दाश्त करती है उसे सारी रात नमाज़ पढ़ने का और हर दिन रोज़ा रखने का सवाब मिलता है और वो उस मुजाहिद की तरह है जो जिहाद में है और दर्दे ज़ह के हर झटके पर एक ग़ुलाम आज़ाद करने का अज्र मिलता है_*
ग़ुनियतुत तालिबीन,सफह 113
_हामिला औरत को चाहिए कि हमेशा खुश रहे,रोज़ाना ग़ुस्ल करे,पाक साफ कपड़े पहने,ग़िज़ा हलकी मगर मुक़व्वी खाये,खूबसूरत तस्वीरें देखें,बे वक़्त खाने पीने या सोने जागने से परहेज़ करे,फलों का इस्तेमाल ज़्यादा करे खासकर संगतरा कि संगतरा खाने से बच्चा खूबसूरत होगा,नमाज़ पढ़ना ना छोड़े और क़ुरान की तिलावत करती रहे खुसूसन सूरह मरियम की,अगर चाहते हैं कि आपका बच्चा आपका फरमाबरदार रहे तो सबसे पहले आपको नेक बनना पड़ेगा क्या सुना नहीं कि हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मां के पेट में ही 18 पारे के हाफिज़ हो गए थे मतलब साफ है आप जो भी करेंगे उसका सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ेगा लिहाज़ा झूट चुग़ली बदनज़री गाना बजाना गाली गलौच हराम ग़िज़ा से परहेज़ी और तमाम मुंकिराते शरइया से बचें_*
* सलीकये ज़िन्दगी,सफह 50*
*_बच्चा कभी मां के मुशाहबे होता है तो कभी बाप के ऐसा इसलिए होता है कि औरत के रहम में 2 खाने होते हैं,दायां लड़के के लिए और बायां लड़की के लिए,तो अगर मर्द का नुत्फा ग़ालिब आया और सीधे खाने में पड़ा तो लड़का होगा और उसकी आदत व चाल-ढाल मर्दाना ही होंगे लेकिन अगर मर्द का नुत्फा ग़ालिब तो आया मगर बाएं खाने में गिरा तो सूरतन तो लड़का होगा मगर उसके अंदर औरतों की खसलत मौजूद होगी मसलन दाढ़ी मुंडाना ज़ेवर पहनना हाथ पैर में मेंहदी लगाना औरतों जैसे बाल रखना जूड़ा बांधना यानि उसको औरतों की वज़अ कतअ बनाने का बड़ा शौक़ होगा युंही अगर औरत का नुत्फा ग़ालिब आया और बाएं खाने में गिरा तो ज़हिरो बातिन में लड़की ही होगी लेकिन अगर औरत का नुत्फा ग़ालिब तो आया मगर रहम के दाहिने खाने में रुका तो जब तो सूरतन लड़की होगी मगर उसके अंदर मरदाना खसलत पाई जायेगी मसलन घोड़ा चलाना बाईक चलाना मर्दाने कपड़े व जूते पहनना मर्दों की तरह छोटे छोटे बाल रखना बोल चाल में भी मरदाना पन रहेगा_*
* फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 362*
*_बच्चा मां और बाप दोनो का होता है मतलब उसकी हड्डियां मर्द के नुत्फे से बनती है और गोश्त वगैरह औरत के नुत्फे से_*
* क्या आप जानते हैं,सफह 607*
*_हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं की “बेशक औलाद की खुशबु जन्नत की खुशबु है_*
* मुकाशिफातुल क़ुलूब,सफह 515*
*_और फरमाते हैं कि “निकाह करो कि मैं तुम्हारी कसरत पर फख्र करूंगा यानि ज़्यादा बच्चे पैदा करो, मगर यहां तो हाल ही अलग है पहले तो हम 2 हमारे 2 का नारा हुआ करता था और आज कल हम 1 हमारा 1 फैशन में है,माज़ अल्लाह_*
* मुसनदे इमाम आज़म,सफह 208*
*_लड़की पैदा होना बाईसे बरक़त है जैसा कि हदीसे पाक में आता है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं “जिसके बेटियां हों और वो उनकी अच्छी तरह परवरिश करे तो क़यामत के दिन वो और मैं इतने पास होंगे फिर आपने अपनी उंगलियां मिलाकर दिखाया कि इस तरह_*
* मुस्लिम,जिल्द 2,सफह 330*
*_जिसकी 1 या 2 या 3 बेटियां या बहने हों और वो उनकी परवरिश करे यहां तक कि उनकी शादियां करा दे तो उस पर जन्नत वाजिब है_*
* मिश्कात,सफह 423*
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