हर मुसलमान शिर्क (अल्लाहताला के साथ किसी और को शरीक से नफ़रत का इजहार करता है
और बुतपरस्ती (बुतों की पूजा/ईबादत) के करीब फटकना भी गवारा नहीं करता. इसके बावजूद औलिया अल्लाह की मुहब्बत और अकीदत की आड में मुसलमानों में बिदाअत के दरवाजे से शिर्क दाखिल हो गया. कुछ लोग फौतशुदा औलिया और बुजुर्गाने दीन की कब्रों और मजारात के साथ वही मामलात करने लगे जो इबादत के दर्जे में आते है, जैसा कि –
परेशानियों को दूर करना, जरूरतों को पूरा करना, मुसीबतों को टालना, नफा पहुँचाना या नुकसान से बचाना यह सब अल्लाहताला के इख़्तियार में है लेकिन कुछ लोग कम इल्मी की वजह से या लोगो के देखा-देखि में अल्लाहताला की ईबादत का यह हक साहिबे माजर को दे बैठे है.
. सजदा सिर्फ अल्लाह को करना चाहिए मगर साहिबे कब्र पर भी सजदे किये जाने लगे. कुछ लोग कुरआन की यह आयत भूल कर कि, “अल्लाह ही है जो पुकारने वाले कि पुकार सुनता है और उसकी दुआ को कुबूल करता है.” (सुरह आह बकरह:१८६) लोग अपने आमाल से यह जाहिर करने लगे कि कब्र में दफ़न शख्स हमारी आवाज सुनता है. मरने के बाद भी हमारी फ़रियाद अल्लाहताला तक पहुचाने कि ताकत रखता है. जबकि अल्लाहताला फरमाते है, “यह मुर्दा है, जिन्दा नहीं है. इन्हें यह भी खबर नहीं कि कब (क़यामत के लिए) उठाये जायेंगे.” (सुरह नहल:२१) मुशरिकीने मक्का का शिर्क यही था कि वोह अपने माअबुदो के बारे में यह अकीदा रखते थे कि यह हमारे सिफारिशी है, जो अल्लाहताला तक हमारी बात पहुंचाते है (सुरह युनुस:१८,सुरह जुमर:३, सुरह अह्काफ़:२८) फर्क बस इतना है कि वह यह काम अम्बिया और सालेहीन (नेक लोगो) के बुतों के साथ करते थे और आज के लोग जिन्हें वोह वली अल्लाह समझते है उनकी कब्रों के साथ करते है. साहिबे कब्र से फरियाद करनेवाले या उन्हें सिफारिशी बनानेवाले यह अकीदा भी रखते है कि यह बुजुर्ग न सिर्फ हमारी बात अल्लाहताला तक पहुंचाते है बल्कि अल्लाहताला उनकी दुआ को रद् भी नहीं करता. जबकि कुरआन गवाही देता है कि अल्लाहताला ने नूह अलैही. की दुआ रद्द कर दी जो उन्होंने अपने बेटे के लिए की थी (सुरह हूद:४५-४७) इसी तरह जब आप सल्ल. ने अपनी उम्मत के लिए तीन दुआए मांगी तो अल्लाहताला ने अपने प्यारे हबीब की सिर्फ दो दुआओं को कुबूल किया और एक दुआ (उम्मते मुहम्मदिया में इख्तिलाफ न हो) को कुबूल नहीं किया (मुस्लिम:७४६५, तिरमिजी:१९८१). अब रही बात सिफ़ारिश की तो हम यह जान ले की, “अल्लाहताला की इजाजत के बिना कोई उसकी जनाब (उसके सामने) सिफ़ारिश नहीं कर सकता (सुरह बकरह:२५५, सुरह रूम:१३, सुरह जुमर:४४) लेकिन लोग कब्र वालो को सिफारिशी बनाने लगे है
- Shab E Barat Kya Hai - 5th March 2022
- Health Tips Hindi - 4th January 2021
- Ramadan Hadith - 4th January 2021