(हिस्सा 1)
_*ⓩ अहले सुन्नत व जमाअत का इस बात पर इज्माअ है कि अम्बिया अलैहिस्सलातो वत्तसलीम के बाद ज़मीन पर सबसे बड़ा मर्तबा अगर किसी का है तो वो है सिद्दीक़े अकबर का फिर फारूक़े आज़म का फिर उसमान ग़नी और फिर मौला अली रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन का, और यही तर्तीब नबी अलैहिस्सलाम के बाद खलीफा बनने की भी रही मगर शिया यानि राफजियों का ये कहना कि मौला अली खलीफये अव्वल थे और उनकी खिलाफत को खुल्फये सलासा ने ग़सब कर लिया निहायत ही गलत और बे महल है बल्कि कुछ मायनों में उनके इसी ऐतराज़ की ज़द में खुद मौला अली भी आ जाते हैं, ज़ैल में कुछ हवाले क़ुर्आनो हदीस व इज्माअ से पेश करता हूं मुलाहज़ा फरमायें*_
_*कंज़ुल ईमान – बेशक अल्लाह के यहां तुममें सबसे ज़्यादा इज़्ज़त वाला वो है जो तुममें सबसे ज़्यादा परहेज़गार है*_
_* पारा 26, सूरह हुजरात, आयत 13*_
_*ⓩ इस आयत से उन लोगों की इस बात का रद्द होता है जो मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम के चचा ज़ाद भाई और आपका दामाद होने पर खिलाफत का मुस्तहिक़ जानते हैं, और जब रब तआला ने खुद फरमा दिया कि सबसे बड़ा परहेज़गार ही उसके सबसे ज़्यादा क़रीब है तो फिर मौला तआला से ही पूछ लेते हैं ऐ मौला तआला सबसे बड़ा परहेज़गार कौन है ये भी बता दे तो मौला तआला फरमाता है कि*_
_*कंज़ुल ईमान – और उससे बहुत दूर रखा जायेगा जो सबसे बड़ा परहेज़गार है.जो अपना माल देता है कि सुथरा हो.और किसी का उस पर कुछ एहसान नहीं कि जिसका बदला वो दे.सिर्फ अपने रब की रज़ा चाहता है जो सबसे बुलंद है और बेशक क़रीब है कि वो राज़ी होगा*_
_* पारा 30, सूरह वल्लैल, आयत 17-21*_
_*तफसीर – इस आयत में मौला तआला ने सिद्दीक़े अकबर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को सबसे बड़ा परहेज़गार कहा, इसका शाने नुज़ूल ये है कि हज़रते सिद्दीक़े अकबर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने हज़रते बिलाल को बहुत ज़्यादा कीमत देकर खरीदा और आज़ाद कर दिया क्योंकि हज़रते बिलाल को इस्लाम क़ुबूल करने पर काफिर बहुत ज़्यादा ईज़ा दिया करते थे, जब काफिरों ने इतनी बड़ी कीमत पर उनको खरीदकर आज़ाद करते देखा तो कहने लगे कि शायद बिलाल का कुछ एहसान रहा होगा सिद्दीक़े अकबर पर जिसकी वजह से ऐसा किया होगा, तो ये आयत नाज़िल हुई और मौला तआला ने साफ फरमा दिया कि सिद्दीक़ पर किसी का कोई एहसान नहीं बल्कि वो सिर्फ मेरी रज़ा के लिए ऐसा करता है*_
_* खज़ाइनुल इर्फान, सफह 708*_
_*कंज़ुल ईमान – तुममे बराबर नहीं वो जिन्होंने फतह मक्का से क़ब्ल खर्च किया*_
_* पारा 27, सूरह हदीद, आयत 10*_
_*तफसीर – इस आयत से माअलूम हुआ कि सहाबा में भी आपस में मर्तबे हैं और सब बराबर नहीं है, और सबसे पहले जिसने माल राहे खुदा में खर्च किया वो कोई और नहीं बल्कि सिद्दीक़े अकबर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ही हैं*_
_* खज़ाइनुल इर्फान, सफह 726*_
_*कंज़ुल ईमान – सिर्फ दो जान से जब वो ग़ार में थे*_
_* पारा 10, सूरह तौबा, आयत 40*_
_*तफसीर – फुक़्हा फरमाते हैं कि 124000 सहाबये किराम हैं मगर किसी भी सहाबी की सहाबियत का इनकार कुफ्र नहीं है सिवाए सिद्दीक़े अकबर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के, क्योंकि उनकी सहाबियत क़ुर्आन से साबित है और क़ुर्आन का इनकार कुफ्र है*_
_* खज़ाइनुल इर्फान, सफह 230*_
_*ⓩ ऐसी बहुत सी आयतें हैं जिनसे सिद्दीक़े अकबर का अफज़ल सहाबी होना साबित होता है मगर बस इतने पर ही इक्तिफा करता हूं कि मौज़ू बहुत ज़्यादा तवील हो जायेगा, अब कुछ हदीस की भी सैर कर लिया जाये*_
_*हदीस – खुदा ने बा ज़रियये जिब्रील हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ को सलाम कहलवाया*_
_* तफसीरे अज़ीज़ी, पारा 30, सफह 208*_
_*हदीस – हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि मेरे दो वज़ीर आसमान में हैं जिब्रील व मीकाईल और दो ज़मीन पर हैं अबु बक्र व उमर*_
_* तिर्मिज़ी, जिल्द 2, सफह 208*_
_*हदीस – हज़रते मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के बेटे हज़रत सय्यदना इमाम मुहम्मद बिन हनफिया फरमाते हैं कि मैंने अपने वालिद से अर्ज़ की कि हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम के बाद सब आदमियों में सबसे ज़्यादा अफज़ल कौन है तो फरमाया अबु बक्र मैंने अर्ज़ की फिर तो फरमाया उमर*_
_* बुखारी, जिल्द 1, सफह 518*_
_*हदीस – एक शख्स ने मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से कहा कि ऐ अमीरुल मोमेनीन आपके होते हुए अनसार व मुहाजेरीन ने किस तरह अबू बक्र व उमर को आप पर मुक़द्दम कर दिया जब कि मर्तबे में आप उनसे बेहतर हैं तो मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि अगर ये बात ना होती कि अल्लाह मोमिन को नाजायज़ अमल से बचा लेता है तो मैं तुझे क़त्ल कर देता*_
_* कंज़ुल उम्माल, जिल्द 6, सफह 318*_
_*हदीस – मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के खिलाफत के ज़माने में कुछ लोगों ने आपको सिद्दीक़े अकबर व फारूक़े आज़म से अफज़ल कहा जिस पर आप फरमाते हैं कि इस बारे में अगर मैंने पहले से हुक्म सुना दिया होता तो ज़रूर सज़ा देता मगर आजसे जिसको ऐसा कहते हुए सुनूंगा तो मेरे नज़दीक वो फितना फैलाने वाला कमीना होगा और उसकी सज़ा 80 कोड़े होगी, बेशक नबी के बाद सबसे अफज़ल अबु बक्र हैं फिर उमर, उस महफिल में हज़रते इमाम हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मौजूद थे आप फरमाते हैं कि खुदा की कसम अगर इसके बाद मौला किसी का नाम लेते तो ज़रूर उसमान ( रज़ियल्लाहु अन्हु)का लेते*
दुआओं में याद रखियेगा
Tassu Khan
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