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गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह:

कुछ तारीखों को शादी ब्याह के लिए मनहूस जानना?

बाज़ लोग कुछ तारीखों में शादी ब्याह और खुशी का काम करने को मना करते हैं और खुद भी नहीं करते हैं मसलन 3, 13,23, और 8, 18, 28 ….. इन तारीखों को शादी व खुशी के लिए बुरा जाना जाता है हालाँकि ये सब बेकार बातें हैं और काफ़िरों और गैर मुस्लिमों की सी वहमपरस्तियाँ हैं। इस्लाम में ऐसा कुछ नहीं हैं।

 निकाह व शादी हर दिन और हर तारीख़ में जाइज़ है। माहे मुहर्रम में निकाह को बुरा जानना, राफ़ज़ियों शीओं का तरीका है जो बाज़ जगह अहले सुन्नत में भी फैल गया है।

👥 मुसलमानो! इस्लाम को अपनाओ और सच्चे पक्के मुसलमान बनो, वहमपरस्तियाँ छोड़ो खुदा व रसूल की पैरवी करो मुहर्रम और सफ़र (चेहलम में निकाह को बुरा मत जानो।)

📚 (गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा,106).

Note-
_मेंरे इस्लामी भाईयों अपनी हटधर्मी से बाज़ आओ अपने इस्लाम को सही मायनों मे पहचाने की कोशिश करो अल्लाह तआला ने तुम्हें इतने प्यारे और सच्चे मज़हबे इस्लाम मे पैदा किया है। जिसको जानकर गैर मुस्लिम कहाँ से कहाँ पहुँच गए है और हमे देखों हम अपनों की खींचा तानी मे लगें क़ोई अपने भाई की काँट करने मे लगा है तो कोई मस्जिद के इमाम की खिंचाई करनें मे लगा है। उसके चलते हमने अपने आपकों भुला दिय़ा है। मेरे भाईयों अपनी सोई ग़ैरत को जगाओ अल्लाह तआला के वास्ते अपनें किरदार को बदल डालों और अल्लाह तआला की रज़ा के लिए काम करो सबसे पहलें नमाज़ क़ायम करों यक़ीनन मेरा रब तुम्हारे और हमारे दिलो में अपने भाईयों के लिए मुहब्बत पैदा करेंगा।_
*मेरे भाईयों आज हमारी कितनी बहिनें घर मे रिश्ता न आने की वज़ह से बैठी है। कोई ग़रीबी की वज़ह से कोई पढ़े लिखे नौकरी करने वाले लड़के के चक्कर मे मेरे भाईयों लड़के वाले की औदल न देखों उसके आमाल देखों उसका नसब देखों यक़ीन जानो अगर लड़का दीनदार देख कर शादी करोगे अपनी बच्चियों की ज़िन्दगी खुशगवार गुजरेगी नस्ले भी दीनदार पैदा होंगी ऐसा ही लड़की ग़रीब सही पर दीनदार होना चाहिएं कसम खुदा की तुम्हारे घर को नैमत की दौलत से इतना मालामाल कर देंगी ज़िसका अंदाज़ा लगाना मुमकिन नही फक़त मेरी इतनी गुज़ारिश है। किसी ग़रीब की लड़की का हाथ अपने लिए अपने भाई के लिए अपने बेटे के लिए मांग कर देखों ग़ुरबत की वज़ह से जो बाप अपनी बच्चियों को कुंवारा घर मे बैठाए हुए है। उनके मुरझाए चहरे फूल की तरह खिल जाएँगे अगर तुमने किसी ग़रीब की गुरबत को देख कर अपने बेटे या भाई का उस घर मे रिश्ता किया अल्लाह तआला तुमसे राज़ी हो जाएंगा और इसका अज्र तुम्हे ज़रूर अता करेंगा।
,,मे अपनी बहिनों से इतना ही कहूँगी अल्लाह तआला की रज़ा मे राज़ी रहना और सब्र का दामन इख्तियार करना किसी के बहकाबे मे आकर अपनी और अपने बाल्देन की इज्जत सरे आम नीलाम न करना इस्लाम के दुश्मन हाथ धोकर पीछे लगें हुए है। इस्लाम को बदनाम करने में बस अपने आपको पहचानो तुम कोई आम नहीं बल्कि कनीज़ ए फ़ातमा रदिअल्लाहो तआला अन्हा हो किसी शायर ने क्या खूब कहा है।,,

यही माँ ए है। जिनकी गौद मे इस्लाम पलता था

इसी ग़ैरत से इन्शा ऩूर के साँचे मे ढ़लता था

As-salam-o-alaikum my selfshaheel Khan from india , Kolkatamiss Aafreen invite me to write in islamic blog i am very thankful to her. i am try to my best share with you about islam.
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