بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
_*शैतान के तिन जाल*_
हज़रते फ़क़ीह अबुल्लैस समर क़न्दी अलैरहमा नक़ल करते है : हज़रते सय्यिदुना वहब बीन मुनब्बेह फरमाते है : बनी इसराईल के एक बुजुर्ग एक बार कही तशरीफ् ले गए । रस्ते मै एक मौकअ पर अचानक पथथर की एक चटटान ऊपर की जानिब से करीब आ पहुंची , उन्हों ने जिक्रुल्लाह शूरूअ कर दिया तो वोह दूर हट गई । फिर खोफनाक शेर और दरिन्दे जाहिर होने लगे मगर वोह बुजुर्ग न धबराए और जिक्रुल्लाह मै लगे रहे । जब वोह बुजुर्ग नमाज़ मे मशगूल हुए तो एक साँप से लीपट गया, यहाँ तक कि सारे बदन पर फिरता हुवा सर तक पहुंच गया, वोह बुजुर्ग जब सज्दे का इरादा फरमाते वोह चेहरे से लिपट जाता सज्दे के लिए सर झुकाते येह लूकमा बनाने के लीये जा-ए सज्दा पर मुंह खोल देता। मगर वोह बुजुर्ग उसे हटा कर सज्दा करने मे काम्याब हो जाते। जब नमाज़ से फ़ारिग हुए तो शैतान खुल कर सामने आ गया और कहने लगा : येह सारी ह -र -कते मैं ने ही आप के साथ की है आप बहुत हिम्मत वाले हैं। मैं आप से बहुत मु -तअस्सिर हुवा हूं, लिहाज़ा अब मैं ने येह तै कर लिया है की आप से दोस्ती कर लीजाये।
उस इज़राइली बुजुर्ग ने शैतान के इस वार को भी नाकाम बनाते हुऐ फ़रमाया : तु ने मुझे डराने के कौशिस की लेकिन मैं डरा नहीं, मैं तुझ से हरगिज दोस्ती नहीं करूँगा। शैतान बोला :अच्छा, अपने अहलो इयाल का अहवाल मुज से दरयाफ्त कर लीजिये की आप के बा’द उन पर क्या गुजरेगी। फरमाया : मुझे तुझ् से पूछने की ज़रूरत नहीं। शैतान ने कहा : फिर येही पुछ लीजिये की मै लोगो को किस तरह बहकाता हू । फ़रमाया : हा येह बता दे।
बोला ,मेरे तीन जाल है : (1) बुख्ल (2) गुस्सा (3) नशा। अपने तीनो जालो की वज़ाहत करते हुए बोला,
जब किसी पर “बुख्ल” का जाल फेखता हु तो वोह माल के जाल मे उलझ् कर रह जाता है उस का जेहन बनाता रहता हू की तेरे पास माल बहुत कलील है हुकुके वाज़िबा मे खर्च करने से भी बाज़ रहता है और दूसरे लोगो के माल की तरफ भी माइल हो जाता है।
जब किसी पर गुस्से का जाल डालने मै काम्याब हो जाता हु तो जिस तरह बच्चे गैंद को फेकते और उछालते है, मै उस गुसिले शयातीन की जमाअत मे इसी तरह फेकता और उछालता हूं। गुसिला श्ख्श इल्मो अमल के कितने ही बड़े मरतबे पर फाइज़ हो, ख़्वाह अपनी दुआओ से मुर्दे तक जिन्दा कर सकता हो, मै उस से मायुस नहीं होता, मूझे उम्मीद होती है की कभी न कभी वोह गुस्से मे बे क़ाबू हो कर कोई ऐसा जुम्ला बक देगा जिस से उस की आख़िरत तबाह हो जाऐगी।
रहा “नशा” तो मेरे इस जाल का शिकार यानी शराबी, इस को तो मै बकरी की तरह कान पकड़ कर जिस बुराइ की तरफ़ चाहू लिये लीये फिरता हूं।
इस तरह शैतान ने येह बता दिया, कि जो श्ख्स गुस्सा करता है वोह शैतान के हाथ मे ऎसा है, जैसे बच्चो के हाथ मे गैंद। इस लिये ग़ुस्सा करन वाले को सब्र करना चाहिये, ताकि शैतान का कैदी न बने की कही अमल ही जाएअ न कर बैठे ।
*✍🏽गुस्से का इलाज, 5*
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