“✍🏽 जब #औरत मरती है तो मर्द उसका #जनाजा उठाता है, उसकी #तदफीन ये ही मर्द करता है,
जब पैदा होती है तो ये ही मर्द उसके कान मे #अजान देते है,
उसको बाप के रूप मे सिने से लगाते है,
#भाई के रूप मे उसकी हिफाजत करते है,
और शोहर के रूप मे #मुहब्बत करते है,
और बेटे के रूप मे अपने लिए उसके कदमो मे #जन्नत तलाश करते है,
वाकई बहुत #हवस की निगाह से देखते है,
उनकी हवस इतनी की अपनी मा हाजरा की सुन्नत की पैरवी करते है,
और हज में #सफा व #मरवा के दरमियान #चक्कर लगाते है,
उसी औरत के लिए सिंध फतह करते है,
उसी औरत की हिफाजत के लिए उंदलिस ( स्पेन) फतह करते है,
मकतूलिन (शहीद) मे से अस्सी फीसद औरतो की असमत की हिफाजत मे कत्ल हो कर मौत की नींद सो जाते है,
वाकई सच कहा आपने हवस के पुजारी है।
वो चार रूप मे मा, बहन, बेटी, बीवी की हिफाजत करता है।
लेकिन जब कोई औरत उसके सामने बेपर्दा आती है, अपने जिस्म की खूबसूरती से मुतास्सिर करने की कोशिश करती है, और अपने जादू मे मुब्तिला करने की कोशिश करती है तो फिर मर्द, मर्द नही रहता, हवस का पुजारी बन जाता है,
अगर गोश्त को खुला रखे, ढांप कर ना रखे, तो कुत्ते बिल्ली तो आएंगे ही, अब कुसूर तो कुत्ते बिल्ली की ही है कि वो गोश्त छोडकर घास क्यू नही खाते, वाकई कुसूर मर्द का ही है।
के जब उसकी बहन, बेटी, मा, बीवी बेपर्दा होकर दुसरो के सामने जाती है, तो उसे गैरत का मुजाहिरा करते हुए रोकना चाहिए, लेकिन जब मर्द रोकता है तो वो तंग नजर (पुराने ख़याल का) होने का ताने और तरह तरह की बाते भी सुनता है।
मगर आज की आजाद ख्याल औरत चाहती है कि गोश्त तो खुला रहे लेकिन उसे कुत्ते बिल्ली पर पाबंदी लगा दी जाए या फिर उनके मुंह सिल दिए जाए।
ये पैगाम उन सब के लिए है जो किसी की मां बहन है।
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