अबु हुरैरा रजि. रिवायत फरमाते है , नबी करीम सल्लाहु अलैहि वसल्लम माजी की उम्मत का एक फर्द का जिक्र करते हुए फ़रमाया ,
एक शख्स कही जा रहा था उसे शदीद प्यास लगी रास्ते में एक कुआँ था , वो उस कुएं में उतर और पानी पीकर निकल आया , बाहर आकर देखा तो एक कुत्ता शिद्दत से जबान निकाले खड़ा है ! और कीचड़ चाट रहा है ! उसने अपने दिल में कहा “यकीनन उसे भी वैसी ही प्यास लगी होगी जैसी मुझे लगी थी ”
वो वापस कुएं में उतरा और अपने चमड़े के मौजे में पानी भरा और मुंह से पकड़ कर ऊपर आकर कुत्ते को पानी पिलाने लगा ! अल्लाह तआला ने उसके इस अम्ल को कुबूल कर लिया ! अल्लाह अज्जवज्जल को ये अदा इतनी पसन्द आ गयी और कुत्ते की प्यास बुझाने पर उसकी मगफिरत कर दी !
सहाबा किराम अर्ज करते है :-
या रसुल्लाह क्या जानवरो के साथ हमदर्दी करने में भी अजर मिलेगा ? नबी ए करीम सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया , हर तर – कलेजे वाले यानी हर जानदार के साथ हमदर्दी में अजर है !
हमारा दिन – ए – इस्लाम , जानवरो के साथ हमदर्दी करने पर भी जन्नत अत्ता कर देता है ! तो इंसानो के साथ हमदर्दी करने में किस कदर फजीलत होंगी ? जो दीन जानवरो के साथ उनके हुक़ूक़ का इस कदर ताहफ्फुज़ करता है !
वो कत्ल – ऐ – आम , खुनरेजी , और दशहत गर्दी की कैसे इजाजत दे सकता है ??
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