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जैसे जैसे मेरी उम्र में इजाफा होता गया, मुझे समझ आती गई कि अगर मैं Rs.3000 की घड़ी पहनू या Rs.30000 की दोनों टाईम एक जैसा ही बताएगी।
मेरे पास Rs.3000 का बैग हो या Rs.30000 का, इसके अंदर के सामान मे कोई बदलाव नहीं होंगा..!!
मैं 300 स्क्वेयर फीट के मकान में रहूं या 3000 स्क्वेयर फीट के मकान में-
“तन्हाई का एहसास” एक जैसा ही होगा।

आखिर मे मुझे यह भी पता चला कि यदि मैं बिजनेस क्लास / Ist क्लास में यात्रा करूँ या इकाँनामी क्लास / 2nd क्लास, मै अपनी मंजिल पर उसी बक्त पर ही पहुँचूँगी !

🏻 इसलिए अपने बच्चों को अमीर होने के लिए प्रोत्साहित मत करो बल्कि उन्हें यह सिखाओ कि वे खुश कैसे रह सकते हैं और जब बड़े हों, तो चीजों के महत्व को देखें उसकी कीमत को नहीं..!!

फ्रांस के एक वाणिज्य मंत्री का कहना था
” ब्रांडेड चीजें व्यापारिक दुनिया का सबसे बड़ा फरेब होती हैं जिनका असल उद्देश्य तो अमीरों से पैसा निकालना होता है लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं…..!”

क्या यह जरुरी है कि मैं Iphone लेकर चलूं फिरू ताकि लोग मुझे अमीर बुद्धिमान और समझदार मानें ?

क्या यह जरुरी है कि मैं रोजाना Mac Donald या Kfc में खाऊँ ताकि लोग यह न समझें कि मैं कंजूस हूँ ?

क्या यह जरुरी है कि मैं प्रतिदिन सहेलियों के साथ indian coffee house / बडे रेस्टोरेन्ट पर जाया करूँ ताकि लोग यह समझें कि मैं एक रईस परिवार से हूँ ?

क्या यह जरुरी है कि मैं Gucci, Lacoste, Adidas या Nike के कपड़े पहनूं ताकि जेंटलवूमेन कहलायी जाऊँ ?

क्या यह जरुरी है कि मैं अपनी हर बात में दो चार अंग्रेजी शब्द शामिल करूँ ताकि सभ्य कहलाऊं ?

नहीं दोस्तों

मेरे कपड़े तो आम दुकानों से खरीदे हुए होते हैं,
भुख लगे तो किसी ठेले से लेकर खाने मे भी कोई अपमान नहीं समझती,
अपनी सीधी सादी भाषा मे बोलती हूँ। चाहूँ तो वह सब कर सकती हूँ जो ऊपर लिखा है
लेकिन …
मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं जो मेरी Adidas से खरीदी गई एक कमीज की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं।

मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं जो मेरे एक Mac बर्गर की कीमत में सारे घर का खाना बना सकते हैं।

बस मैंने यहाँ यह रहस्य पाया है कि पैसा ही सब कुछ नहीं है जो लोग किसी के बाहरी हालात से उसकी कीमत लगाते हैं वह तुरंत अपना दिमागी इलाज किसी अच्छे मनोचिकित्सक से करवाएं |
मानव की असली कीमत उसकी _नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सहानुभूति और भाईचारा है_। ना कि उसकी शक्ल सूरत और ऊपरी दिखावा … !!!
अगर खुदा ने तुम्हे ज्यादा दौलत से नबाजा है तो आप गरीबो को सदका दे। बेबा, यतीम बच्चों की मदद करे। नाकि इन चीजो मे अपना पैसा फिजूल में बर्बाद करे। इन सब चीजों को हमे गहराई से सोचने समझने की आज बहुत जरूरत है।
जो भी मेरी बात से सहमत हो वो पोस्ट शेयर जरुर करे।।

Asalam-o-alaikum , Hi i am noor saba from Jharkhand ranchi i am very passionate about blogging and websites. i loves creating and writing blogs hope you will like my post khuda hafeez Dua me yaad rakhna.
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