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(1) उसका बयान यह है.

(2) क्योंकि तुमपर उनके बहुत अधिकार हैं. उन्होने तुम्हारा पालन पोषण किया, तुम्हारी तरबियत की, तुम्हारे साथ शफ़्क़त और मेहरबानी का सुलूक किया, तुम्हारी हर ख़तरे से चौकसी की. उनके अधिकारो का ख़्याल न करना और उनके साथ अच्छे सुलूक न करना हराम है.

(3) इसमें औलाद ज़िन्दा ज़मीन में गाड़ देने और मार डालने की हुरमत यानी अवैधता बयान फ़रमाई गई है जिसका जाहिलों में रिवाज़ था कि वो अक्सर दरिद्रता के डर से औलाद को हलाक करते थे. उन्हें बताया गया कि रोज़ी देने वाला तुम्हारा उनका सबका अल्लाह है फिर क्यों क़त्ल जैसे सख़्त जुर्म में पड़ते हो.

(4) *क्योंकि इन्सान जब खुले और ज़ाहिर गुनाह से बचे और छुपे गुनाह से परहेज़ न करे तो उसका ज़ाहिर गुनाह से बचना भी अल्लाह के लिये नहीं. लोगों को दिखाने और उनकी बदगोई अर्थात आलोचना से बचने के लिये है. और अल्लाह की रज़ा और सवाब का हक़दार वह है जो उसके डर से गुनाह छोड़ दे* .

(5) *वो काम जिनसे क़त्ल जायज़ होता है, यह हैं :- मुर्तद होना यानी इस्लाम से फिर जाना या क़िसास या ब्याहे हुए का ज़िना करना बुख़ारी व मुस्लिम की हदीस में है कि सेयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया, कोई मुसलमान जो लाइलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलल्लाह की गवाही देता हो उसका ख़ून हलाल नहीं, मगर इन तीन कारणों में से, कि एक कारण से या तो ब्याहे होने के बावुजूद उससे ज़िना सरज़द हुआ हो, या उसने किसी को नाहक़ क़त्ल किया हो और उसका बदला उसपर आता हो या वह दीन छोड़कर मुर्तद हो गया हो* .

(6) जिससे उसका फ़ायदा हो.

(7) उस वक़्त उसका माल उसके सुपुर्द कर दो.

(8) इन दोनों आयतों में जो हुक्म दिया गया.

(9) जो इस्लाम के ख़िलाफ़ हों,यहूदियत हो या ईसाईयत या कोई और मिल्लत

(10) तौरात शरीफ़.

(11) यानी बनी इस्राईल

(12) और मरने के बाद उठाए जाने और हिसाब होने और सवाब और अज़ाब दिये जाने और अल्लाह का दीदार होने की तस्दीक़ करें.

Asalam-o-alaikum , Hi i am noor saba from Jharkhand ranchi i am very passionate about blogging and websites. i loves creating and writing blogs hope you will like my post khuda hafeez Dua me yaad rakhna.
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