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हज़रते इब्ने अब्बास (रज़ियल्लाहु तआला अन्हु) से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया-

•जब रमज़ान शरीफ की पहली तारीख आती है तो अर्शे अज़ीम के निचे से मसीरा नामी हवा चलती है, जो जन्नत के दरख्तो के पत्तो को हिलाती है। इस हवाक चलने से ऐसी दिलकश आवाज़ बुलंद होती है कि इस से बेहतर आवाज़ आज तक मिसी ने नहीं सुनी।

इस आवाज़ को सुनकर बड़ी बड़ी आंखो वाली हुरे ज़ाहिर होती है यहां तक कि जन्नत के जन्नत के बुलन्द महल्लो पर खड़ी हो जाती है और कहती है : है कोई जो हम को अल्लाह से मांग ले कि हमारा निकाह उससे हो ?

फिर वो हुरे दरोग़ाए जन्नत हज़रते रिज़वान अलैहिस्सलाम से पूछती है : आज ये केसी रात है ? हज़रते रिज़वान जवाब देते है : ये माहे रमज़ान की पहली रात है, जन्नत के दरवाज़े उम्मते मुहम्मदिय्या ﷺ के रोजेदारों के लिये खोल दिये गए है।
📚(अल-तरगिब् वल-तरहिब, जी.2 स.60 हदिष:23)
📚(फैज़ाने सुन्नत, स.871)

मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! देखा आपने ? खुदाई रहमान रोज़ादारो पर किस दरजा मेहरबान है कि माहे रमज़ान में उन के लिये जन्नत के दरवाज़े को खोल देता है और माहे रमज़ान के भी क्या कहने कि इस के इस्तिक़बाल के लिये सारा साल जन्नत को सजाया जाता है।

🥀मरहबा ! बहुत जल्द रमज़ान का खूब सूरत महीना अपने दामन में रहमतो और मगफिरतो के ख़ज़ीने लिए हुए हमारे दरमियान जलवा गर होने वाला है। रमज़ान की अज़मत और फ़ज़ीलत का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जेसे ये मुक़द्दस और मुबारक माह अपनी रहमतो के साथ साया फिगन होता तो हमारे आक़ा अपने सहाबए किराम को इस की आमद पर मुबारक बाद देते और खुश खबरी सुनाते।
📚(रमज़ान की बहारे, स.4-5)

As-salam-o-alaikum my selfshaheel Khan from india , Kolkatamiss Aafreen invite me to write in islamic blog i am very thankful to her. i am try to my best share with you about islam.
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