हयाते गौसुल आलम महबूबे यजदानी सैयद सुल्तान मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि रहमतुल्लाहि अलैय🔵
🌹हज़रत सैयद अब्दुर्रज़्ज़ाक नुरुलऐन को अपना जानशीन बनाना🌹
📚आपने अपने खास हुजरे में मुरीदीन और खुल्फा की मौजूदगी में हज़रत सैयद अब्दुर्रज़्ज़ाक नुरुलऐन को बुलाया और उनको खिरका मुबारक “” ताजे अशरफी “” और खानदानी तबर्रुकात अता फारमाँ कर अपना जानशीन मुक़र्रर फ़रमाया — ज़ोहर के वक़्त आपने हज़रत नुरुलऐन को इमामत का हुक्म दिया और खुद उनके पीछे नमाज़ पढ़ी — नमाज़ के बाद आप खानकाह में रौनक अफ़रोज़ हुवे और शेख सादी के अशआर सुनाए ‘ एक शेर पर आपको कैफियत तारी हो गई और उसी वज्द की कैफियत में ख़ालिक़े हक़ीक़ी के दरबार में पहोंच गए — आपका मज़ार शरीफ किछौछा शरीफ ज़िला फैज़ाबाद यूपी में हे —
📝हज़रत शेख अब्दुल हकक मुहद्दिस दहेल्वि रहमतुल्लाहि अलैह अपनी किताब “” अल अखबारुल अख्यार “”में फरमाते हैं के “”👉🏿आपका मज़ार शरीफ किछौछा शरीफ में हे ये बड़ा ही फ़ैज़ का मक़ाम हे उस इलाके में जिन्नात को दूर करने के लिए आपका नाम लेना ही काफी हे —-
✒आपका मज़ार शरीफ किछौछा शरीफ में आज भी मर्जए खलाइक हे अगरचे हज़रत मखदूम सिमनानि के विसाल मुबारक को 600 साल से ज़्यादा गुज़र चूका हे लेकिन आज भी आपकी याद दिलों के दिलों में मौजूद हे आपका उर्स मुबारक हर साल 26 से 28 मुहर्रामुल हराम को किछौछा शरीफ में निहायत शानो शौकत से मनाया जाता हे — जिसमे हिंदुस्तान ” पाकिस्तान ” बांग्लादेश ” और नेपाल के इलावा दूसरे मुल्कों से भी लोग वहां जाकर शिरकत करते हैं—-
👉🏿ज़रूरी बात👇🏿
👉🏿ये जितनी भी पोस्टे तैयार की गई वो सब एक ही किताब से लिया गया हे 👇🏿
हवाला
📚तारिकुससल्तनत गौसुल आलम महबूबे यजदानी सुल्तान औहदुद्दीन सैयद मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि रदी अल्लाहु तआला अन्हु
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