इंसान की ज़िन्दगी ख्वाहिशात, आरज़ूओं, और उम्मीदों के पीछे भागने का एक #सिलसिला ही बन चुकी है और वो इसमें भूल चूका है की उसका एक मक़सद भी है, एक इंतेहा भी है, एक #इब्तिदा भी है और एक मंज़िल भी है.. !
ज़िन्दगी ने एक ऐसे हिसाब किताब का सामना करना है जो या तो उसको एक ऐसी राहत ऐसा सुकून फराम करेगी की इंसान की #आख़िरत के अंदर सब ख्वाहिशात अल्लाह पूरी कर देगा और उसके दिल मे एक ऐसा इत्मीनान देगा की वो जन्नत को देख कर खुश हो जायेगा और एक ऐसा सिलसिला ख्वाहिशात का आख़िरत मे भी होगा…!!
“बहोत से लोग होंगे जो दुनिया की ज़िन्दगी मे अपने आप को ज़ाया कर बैठे उन्होंने इस #ज़िन्दगी के अंदर वो सब कुछ किया जो उनके नफ़्स को अच्छा लगता था और अपनी ज़िन्दगी के मक़सद मे अल्लाह की इबादत मे उसकी फरमा बरदारी मे नबी ए करीम सलल्लाहु अलैहि वस्सलम की दी हुई #तालीमात पर अमल ना कर के वो जिन अल्फाज़ जिन ख्वाहिशात का ज़िक्र करेगा अल्लाह ने क़ुरान मे उसको नाज़िल किया…!”
अल्लाह तआला फरमाता है,,, एक मक़ाम पर इंसान कहेगा,,,
“हाय काश में #मिट्टी हो जाता “
अगर इंसान तक्कबुर को भूल जाता तो वो उस दिन मिट्टी बनने की बात ना करता..!
एक और मक़ाम पर अल्लाह तआला फरमाता है
इंसान कहेगा,,,
“हाय काश में अपनी आख़री #ज़िन्दगी के लिए कुछ करता”
एक हदीस मे आता है की इंसान #क़ब्र तक जाता है वो कुछ चीज़े लेकर जाता है… !
उसके माल उसके अहल
उसकी फॅमिली और उसके अमल
माल दौलत और रिश्ते तो पीछे रह जाते है सिर्फ अमल ही जाता है और अमल ही #इंसान को फायदा देगा…!
जो सुबह से शाम अल्लाह ने हमें हुक्म दिया था मगर जब इंसान उसको #ज़ाया करदेगा तो वो यही कहेगा
“काश मे आगे की ज़िन्दगी के लिए कुछ करता “
एक और मक़ाम पर जब हिसाब किताब दिए जायँगे जब आसमानों से अमल के हिसाब की किताबें दी जायँगी नामा ए अमल हाथों मे पकड़ाया जाएगा तो पूरी कायनात की मख्लूक़ के सामने जब उलटे हाथ मे उसका रिजल्ट दिया जायेगा तो इंसान कहेगा
“ए काश मुझे मेरा नामा ए अमल ना दिया जाता”
काश मुझे ना बताया जाता की मैंने ज़िन्दगी मे कैसे रुस्वा कर दिया अपने आप को नफ़्स के पीछे लग के, शैतान के पीछे लग के #दुनिया की रंग रैलियों में अपने आप को मदहोश कर के दुनिया की #ख्वाहिशात में अपने आप को गर्क कर के,,, !!!
और एक मक़ाम पर इंसान ये भी कहेगा
“काश मे #रसूलुल्लाहﷺ के बताये रास्ते को पकड़ता
काश में फला फला को दोस्त ना बनाता काश मे उसकी सोहबत में ना बैठता काश में उससे उसूल ना लेता ज़िन्दगी गुज़ारने के,,,,, काश में उन बातिल नज़रियात के पीछे ना लगता जिसने मेरी ज़िन्दगी को आज बर्बाद कर दिया जिसने मुझे आज उस दर पर आकर खड़ा करदिया जहा तकलीफ, परेशानी और अज़ाबो का एक लम्बा सिलसिला है…! और आज उसे नबी ए करीम याद आयंगे की काश मैं उनकी #अताआत करता..!
और एक जगह पर तो वो कह देगा
“काश मैं अल्लाह की अताअत करता काश में रसूलुल्लाहﷺ की अताअत करता”
एक जगह पर कहता है काश मे अल्लाह को मानता
एक जगह पर कहता है काश मे #रसूलुल्लाह ﷺ की अताअत करता… !
नमाज़ पढता, रोज़ा रखता, हज करता, क़ुरान की तालीमात पर अमल करता.. !
और एक जगह पर कहता है काश में उनके साथ होता जिन्हे आज बहोत बड़ी कामयाबी मिल गयी,,, दुनिया में तो उन लोगों को #ठुकरा दिया करता था उनको धुत्कार दिया करता था जो दीन की बात करते थे,,,,,
जो अल्लाह और रसूलुल्लाह ﷺ की बात करते थे उनको तो में धुत्कार दिया करता था…. !
मैंने तो अपने रोल #मॉडल इधर उधर दाए बाए ही बनाये हुई थे,,,,,,
काश में उन नेक लोगो की बात मानता,,, काश में उनकी दोस्ती को अपनाता,,,, काश में उनका साथ ना छोड़ता,,,
काश…. काश……. काश
लौट आओ #अल्लाह की तरफ इससे पेहले की लौट जाओ अल्लाह की तरफ.. !
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