हज़रत ख़्वाजा बख़्तियार काकी ( रहमतुल्लाहअलैह ) का जब इन्तेक़ाल हुआ तो उनकी नमाज़े जनाज़ा के लिए लोग इकठ्ठा हुए। भीड़ में ऐलान हुआ की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए कुछ शर्तें हैं जिनकी वसीयत हज़रत ने की थी:(1) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसने कभी भी बग़ैर वज़ू आसमान की तरफ़ न देखा हो(2)मेरी नमाज़े जनाज़ा वो पढ़ाएगा जिसने कभी किसी पराई औरत पर निगाह न डाली हो.(3)मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसकी अस्र की 4 रक्अत सुन्नत कभी न छूटी हो.(4)मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसकी तहज्जुद की नमाज़ कभी न छूटी होजैसे ही भीड़ में ये ऐलान हुआ सारी भीड़ में एक सन्नाटा छा गया।सब एक दुसरे का मुँह देखने लगे। सबके क़दम ठिठक गए। आँखे टकटकी लगाए हुए उस शख़्स का इंतज़ार करने लगीं की कौन है वो शख़्स! वक़्त गुज़रता जा रहा था लाखों की भीड़ मगर कोई क़दम आगे नहीं बढ़ा रहे थे। सारे लोग परेशान । सुबह से शाम होने को आने लगी मगर कोई क़दम आगे न बढ़ा।◆ बड़े-बड़े उलेमा, मोहद्दिस, मुफ़स्सिर, दायी, सब ख़ामोश सबकी नज़रें नीची, कोई नहीं था जो इन चारों शर्तों पर खरा उतरता। एक अजीब बेचैनी थी लोगों में.◆ अचानक भीड़ को चीरता हुआ एक नक़ाबपोश आगे बढ़ा और बोला “सफ़ें सीधी की जाएं मेरे अन्दर ये चारों शर्तें पायी जाती हैं।”◆ फिर नमाज़े जनाज़ा हुई लोग बेचैन थे उस नेक और परहेज़गार इन्सान की शक्ल देखने के लिए.नमाज़ ख़त्म होने के बाद वो शख़्स मुड़ा और अपने चेहरे से कपड़ा हटाया, लोगों की हैरत की इन्तेहा न थी, अरे ये तो बादशाहे वक़्त हैं ! अरे ये तो सुल्तान शमसुद्दीन अल्तमश हैं !◆ बस यही अल्फाज़ हर एक की ज़ुबान पर थे। और इधर ये नेक और पाक दामन बादशाह दहाड़े मार कर रो रहा था और कह रहा था “आपने मेरा राज़ फ़ाश कर दिया””आपने मेरा राज़ फ़ाश कर दिया। वरना कोई मुझे नहीं जानता था”मुसलमानो, ये है हमारी तारीख़ और ये हैं हमारे नेक और पाकदामन हुक्मरान।◆ अपनी ज़िन्दगी इन लोगों की तरह जीने की कोशिश करो, कल लोग थोड़ा खाकर भी अल्हम्दुलिल्लाहकहते थे, आज अच्छा और ज़्यादाखाकर भी कहते हैं मज़ा नहीं आया।◆ कल इन्सान शैतान के कामों से तौबा करता था, आज शैतान इन्सान के कामों से तौबा करता है।◆ कल लोग अल्लाह के दीन के लिए जान देते थे, आज लोग माल के लिए जान देते हैं।◆ कल घरों से क़ुरआन की तिलावत की आती थी, आज घरों से गाने की आवाज़ आती है।◆ कल औलाद माँ-बाप का कहा मानती थी, आज माँ-बाप औलाद के कहने के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते है।◆ कल लोग क़ुरआन व हदीस के मुताबिक ज़िंदगी गुज़ारते थे, आज लोग माडर्न फ़ैशन के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारते हैं ।◆ कल मुसलमान दयानतदारी, सच्चाई और हिम्मत व बहादुरी के लिए मशहूर था, आज मुसलमान चोरी, धोखा और ग़द्दारी के लिए बदनाम है।◆ कल लोग रात-दिन *दीन* सीखने और अल्लाह की इबादत में गुजारते थे, आज लोग अपना रात-दिन शोहरत और माल व दौलत कमाने मेंगुजारते है।◆ कल लोग दीन के लिए सफर करते थे, आज लोग गुनाहों के लिए सफर करते है।◆ कल लोग अल्लाह की रज़ा कोई लिए हज करते थे, आज लोग नाम व शोहरत के लिए हज करते है।◆ अल्लाह से दुआ है की – ” ऐ दिलों के फेरने वाले हमारे दिलों को आज के बजाए कल की तरफ़ फेर दे, ऐ अल्लाह जो हमारे हक़में बेहतर हो ऐसा हमें अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमा, हमारी बुराईयां हमसे दूर फ़रमा।”★ आमीन ★
- Allah subhanahu se Magfirat aur Aafyiat manga karo kyuki - 14th June 2017
- Sajda e Tilawat ki dua - 14th June 2017
- Bewaon aur miskeenon ke kaam aaney wala - 14th June 2017