हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه की खिदमत में कुछ लोग घबराहट के आलम में हाज़िर हुए और अर्ज़ की :
हम हज की सआदत पाने के लिये निकले थे, हमारे साथ एक आदमी भी था, जब हम जातुस्सीफाह के मक़ाम पर पहुचे तो वो इंतिक़ाल कर गया। हमने उस के गुस्ल व कफ़न का इन्तिज़ाम किया फिर उसके लिये क़ब्र खोदी और उसे दफन करने लगे तो देखा कि उसकी क़ब्र काले काले सापो से भरी हुई है।
हमने वो जगह छोड़ कर दूसरी क़ब्र खोदी तो देखते ही देखते वो भी काले सापो से भर गई चुनान्चे हमने उसे वहा भी नहीं दफनाया और आप के पास हाज़िर हो गए है।
हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया :
ये उसका किना है जो वो अपने दिल में रखा करता था, जाओ ! और उसे वही दफन कर दो।
भाइयो देखा आपने कि सफ़रे हज जैसी अज़ीम सआदत से मुशर्रफ होने वाले शख्स को भी साइन के किने की वजह से सापो भरी क़ब्र में दफन होना पड़ा। इस हिकायत में हम जेसो के लिये इब्रत ही इब्रत है। जिनका ज़ाहिर बड़ा साफ़ और पाकीज़ा दिखाई देता है मगर बातिन बुग्ज़ व किने और तरह तरह की गलाज़तो से आलूदा होता है। ज़रा सोचिये ! अगर हमारी क़ब्र में भी इसी तरग साँप बिच्छु आ गए तो हमारा क्या बनेगा ?
लिहाज़ा इस से पहले कि सासो का तसलसुल टूट जाए और तौबा की मोहलत भी न मिले।
आइये ! हम बारगाहे खुदावन्दि में अपने गुनाहो से तौबा कर लेते है और अपने रब से मुनाजात करते है कि…
साप लिपटे न मेरे लाशो से
क़ब्र में कुछ न दे सज़ा या रब
नुरे अहमद से क़ब्र रोशन हो
वहशत क़ब्र से बचा या रब
🖊हवाला
📚बुग्ज़ व किना, स.2
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