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एक शख्स था
जो इतना गरीब था कि कभी उसे पेट भर खाना नही मिला उसने बचपन से ही फाके के दिन काटे
एक दिन उस शख्स कि मुलाकात हज़रते मुसा अलैहिस्सलाम हो गई उसने हज़रते मुसा अलैहिस्सलाम से कहा कि आप अल्लाह के नबी है आप कलीमुल्लाह हे अल्लाह ने आपसे कलाम किया है आप अल्लाह से कहिये कि मेरी बची हुवी ज़िन्दगी कि सारी रोज़ी अल्लाह मुझे आज हि दे दे ताकि मेरी ज़िन्दगी के एक दिन तो मे पेट भर के खाना खालु !

हज़रते मुसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से दुआ कि और अल्लाह ने बची हुवी ज़िन्दगी का सारा रिज़्क उस शख्स को एक हि दिन मे दे दिया.
अब वो शख्स खाना खाने बैठा और पेट भर के खाना खाया लेकिन फिर भी खाना बच गया क्योकि इन्सान तो इतना हि खा सकता है जितनी उसकी पेट मे जगह है, लेकिन उस शख्स ने बचा हुवा खाना अल्लाह का नाम लेकर गरीबो मिस्किनो मे बाँट दिया !
फिर अल्लाह ने दुसरे दिन उस शख्स को दुगना रिज़्क दे दिया फिर उसने पेट भर के खाया और बचा हुवा अल्लाह के नाम पर गरीबो मिस्किनो को दे दिया !
फिर तीसरे दिन अल्लाह ने उस शख्स को तीन गुना रिज़्क दे दिया इस तरह ये हाल हो गया कि एक मैदान मे बहुत सारे लोगो को वो खाना खिलाने लगा और उस शख्स कि गरीबी दुर हो गई।

हज़रते मुसा अलैहिस्सलाम का जब उधर से गुज़र हुवा तो आप उस शख्स को देख कर हैरान हो गये अल्लाह कि बारगाह मे अर्ज़ कि या अल्लाह इस शख्स को तो तुने इसकी ज़िन्दगी का सारा रिज़्क एक दिन दे दिया था इसकी हालत तो ये होना चाहिये थी कि ये भुख से मर रहा होता (क्योकि इन्सान तो इतना हि खा सकता है जितनी उसके पेट मे जगह है सारी ज़िन्दगी का रिज़्क एक दिन मे तो नही खा सकता)

फिर ये शख्स इतने लोगो को खिलाने वाला कैसे बन गया ..?
अल्लाह ने फरमाया ऐ मुसा अगर ये शख्स हमारी राह मे लोगो को खिलाना बन्द कर दे तो हम इसको देना बन्द कर देगे ये हमारी राह मे खर्च करने कि बरकत है
(मुकाशिफतुल कुलुब सफा 423)
अल्लाह__कि_ राह_ मे_ खर्च करने से कमी नही होती बल्कि अल्लाह रहमतो और बरकतो के दरवाज़े खोल देता है
दुआ-: या अल्लाह हमे वही मालो दौलत दे जो हम तेरी राह में और दीन के कामो मे खर्च कर सके !
आमीन…सुम्मा आमीन

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