कुछ लोग अल्लाह ﷻ का नाम लेने के बाजाऐ उसको ऊपर वाला बोलते हैं ये निहायत गलत बात है बल्किह अगर ये अक़ीदह रख कर ये लफ्ज़ बोले कि अल्लाह ﷻ ऊपर है तो ऐ कुफ्र है कियोंकि अल्लाह ﷻ की ज़ात ऊपर नीचे आगे पीछे दाहने बाऐं तमाम सिम्तों हर मकान और हर ज़मान से पाक है बरतर व बाला है- पूरब पच्छिम उत्तर दख्खिन ऊपर नीचे दाहने बाऐं आगे पीछे ज़मान व मकान को उसी ने पैदा किया है तो अल्लाह ﷻ के लिऐ ये नहीं बोला जा सकता कि वह ऊपर है या नीचे है पूरब में है पच्छिम में है कियोंकि जब उसने इन चीज़ों को पैदा नहीं किया था वह तब भी था, कहां था और किया था उसकी हक़ीक़त को उसके अलावह कोई नहीं जानता, अब अगर कोई कहे कि अल्लाह ﷻ अर्श पर है तो उस से पूछो कि जब उसने अर्श को पैदा नहीं किया था तो वह कहां था? यूंहि अगर कोई कहे कि अल्लाह ﷻ ऊपर है तो उस से पूछो कि ऊपर को पैदा करने से पहले वह कहां था ?
गलत फहमिया और उनकी इस्लाह, सफह 15
हां अगर कोई शख्स अल्लाह ﷻ को ऊपर वाला इस ख्याल से कहे कि वह सबसे बुलन्द व बाला है और उसका मर्तबा सबसे ऊपर है तो ये कुफ्र नहीं है लेकिन फिर भी अल्लाह ﷻ के लिये एैसे अल्फाज़ बोलना सह़ी नहीं जिन से कुफ्र का शुबह हो, अल्लाह ﷻ को ऊपर वाला कहना बहर हाल मना है जिस से बचना ज़रूरी है
गलत फहमियां और उनकी इस्लाह 15
कुछ लोग अल्लाह ﷻ को, :अल्लाह: कहने के बजाऐ सिर्फ -मालिक – कहते हैं कि मालिक ने जो चाहा तो ऐसा होजायेगा या मालिक जो करेगा वह होगा वगैरह वगैरह ये भी अच्छा और इस्लामी तरीक़ा नहीं – सबसे ज़्यादा सीधी सच्ची अच्छी बात ये है कि अल्लाह ﷻ को अल्लाह ﷻ ही कहा जाऐ कियोंकि उसका नाम लेना इबादत है और उसका ज़िक्र करना ही इन्सान की ज़िन्दगी का सबसे बडा मक़सद और मुसलमान की पहचान है यानि यूं कहना चाहिये कि अल्लाह ﷻ जो चाहेगा वह होगा अल्लाह ﷻ जो करेगा वह होगा
गलत फहमिया और उनकी इस्लाह, सफह 16
बाज़ लोग कहते हैं कि ऊपर वाला जैसा चाहेगा वैसा होगा और कहते हैं कि ऊपर अल्लाह ﷻ हा नीचे तुम हो या इस तरह कहते हैं कि ऊपर अल्लाह ﷻ है नीचे पन्च हैं- ऐ सब जुम्ले गुमराही के हैं मसलमानों को इनसे बचना निहायत ज़रूरी है
अनवारे शरीअत, सफह 8
कुछ लोग अल्लाह ﷻ को – अल्लाह ﷻ मियां– कहते हैं तो ये भी समझ लें कि अल्लाह ﷻ मियां कहना मना है कियोंकि लफ्ज़ -मियां- के तीन माना हैं एक मौला दूसरा शौहर तीसरा ज़िना का दलाल, तो एक माना सही है और बाद वाले दो माना बहुत गलत है तो अल्लाह ﷻ के लिऐ लफ्जे मियां नहीं बोलना चाहिऐ
अल्मलफूज़, हिस्सा 1, सफह 116
कुछ लोग अल्लाह ﷻ को बोलते हैं कि अल्लाह ﷻ हर जगह हाज़िर व नाज़िर है तो अल्लाह ﷻ को हर जगह हाज़िर व नाज़िर भी नहीं कहना चाहिऐ कियोंकि अल्लाह ﷻ हर जगह से पाक है ये लफ्ज़ बहुत बुरे माना का अह़तमाल रखता है इस से बचना लाज़िम है
फतावा रज़विया, जिल्द 6, सफह 132
मख्ज़ने मआलूमात, सफह 21
Latest posts by Noor Saba (see all)
- शब ए बारात की रात में क्या पढ़े | 2022 शब ए बरात का रोज़ा कब रखते है | - 7th March 2022
- Shab-E-Barat Ki Fazilat (शाबान बरक़त वाली रात) - 5th March 2022
- शब ए बारात की नमाज और सलामत तस्बीह (हिंदी) - 5th March 2022