हजरत ईब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से दख्र्वास्त की कि ऐ अल्लाह ! मै जानना चाहता हूँ कि तू मुर्दो को कैसै जिलाता है और जिन्दो को मारने के बाद फिर ऊन्हे पहले की तरह होश व हवास में ला देता है ..?
अल्लाह तआला ने फरमाया, क्या तुम्हे ईस बात पर यकीन नहीं है..? …
ईब्राहीम अलैहिसलाम बोले, ईमान तो है, लेकिन दिल तसल्ली और ईत्मीनान के लिए एेसा चाहता हूं..!
तब अल्लाह की तरफ से जवाब आया कि चार किस्म के मुर्ग लाओ और उनके अंगो को काट-काट कर टुकडे – टुकडे कर डालो ! ऊनमें से चार टुकडो को अलग निकाल लो और हर-हर टुकडे को पहाड पर डाल दो ! जब तुम पुकार कर उनको बुलाओगेे , तो तुम देखोगे कि हर एक दौड कर तुम्हारे पास आयेगा !
हजरत ईब्राहीम ने एसा ही किया ! चार परिन्दो जिब्ह किया, ऊनको एक जगह हावनदस्ते में रख कर कूटा ! ऊनके गोश्त , हड्डीया, पर , वगैरह आपस मै धुल-मिल गए फिर ईन चारों का सर हाथ में लिया और कीमा ,गोश्त ,हड्डी, वगैरह को चार पहाडों पर फेका!
फिर पुकारा ऐ परिन्दो ! आआे और खूदा की कूदरत से अपने-अपने सरों से मिल जाआो ! क्या देखते हैं कि ईन परिन्दो का ऐक – ऐक हिस्सा हवा मे उडता चला आता है ! वे सब मिलकर फिर परिन्दे बनकर तैयार हो गऐ !
‘ ईसी तरह अल्लाह अपनी कुदरत से कयामत में सबको जिन्दा ऊठायेगा ‘…
📓 👉 क़सूसल अंबिया (पेज 78)
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