☆☆एक डाली पकड़ कर फ़रमाया कि ऐ पेड़ तु भी अल्लाह के हुक्म से मेरे साथ चल☆☆
हज़रत ज़ाबिर रज़ियल्लाहु तआला अनहु ने फ़रमाया कि हम हुजूर अलैहिस्सलातू वस्सलाम के साथ जा रहे थे कि एक चटयल मैदान में उतरे । हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम बड़े इस्तिनजा के लिए गये लेकीन पर्दा की कोई जगह न मिली । यकायक आप कि नजर उस मैदान के किनारे दो पेड़ो पर पड़ी हुजूर उन मे से एक के पास गये और उस कि एक डाली को पकड़ कर पेड़ से फ़रमाया कि ख़ूदा के हुक्म से मेरे साथ चल तो पेड़ उस ऊँट कि तरह चल पड़ा जिस की नाक मे नकेल बंधी रहती है और ऊँट बान कि फरमाँबरदारी करता है यहा तक कि हुजूर उस दुसरे पेड़ के पास गये और उस कि एक डाली पकड़ कर फ़रमाया कि ऐ पेड़ तु भी अल्लाह के हुक्म से मेरे साथ चल। तो वह भी पहले पेड़ की तरह हुजूर के साथ चल पड़ा यहां तक कि हुजूर जब उन पेड़ो के बिच कि जगह में पहुँचे तो फ़रमाया कि ऐ पेड़ो तुम दोनो अल्लाह के हुक्म से आपस मे मिल कर मेरे लिए पर्दा बन जाऔ तो दोनो एक दुसरे से मिल गये (और हुजूर ने उन पेड़ो कि आड़ में बड़ा इस्तिनजा फरमाया) हजरते जाबीर का बयान है कि इस अजिब वाकिया को देख कर मैं बैठा सोच रहा था कि मेरी निगाह उठी तो यकायक मैं ने देखा कि हुजूर अकदस सल्लल्लाह तआला अलैही वसल्लम आ रहे हैं और देख़ा कि वह दोनो पेड़ अलग हो कर चले और अपने तने पर खड़े हो गये।
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[मुस्लिम–मिशकात सफा 532]
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●●●सुब्हानअल्लाह●●●
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