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दरूद शरीफ क्यों पढ़ना चाइये, जानिए दुरूद शरीफ की 100 फ़ज़ीलत व बरकतें
रेहमत-ए-आलम शफी-ए-महशर इमामुल अम्बिया हबीब-ए-खुदा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर दुरूद पढ़नेका हुक्म खुद अल्लाह रब्बुल आलमीन ने क़ुरआन-ए-करीम में फरमाता हैं,
“बेशक अल्लाह और उसके फ़रिश्ते दरूदों सलाम भेजते हैं उस ग़ैब बतानेवाले नबी पर, ए ईमानवालों! उनपर दुरूद और खूब सलाम भेजो”
(अल क़ुरआन सौराह अल अहज़ाब, पारा 22, आयात 56, रुकू 7, तर्ज़ुमा कंज़ुल ईमान)
इस आयते करीमा में अल्लाह रब्बुल आलमीन का दुरूद भेजना भी है और फ़रिश्तो के साथ साथ हम मुसलमानों को भी दुरूद भेजना है। इमाम बग़वी अश शाफ़ई अलैहिर्रहमा इसके माने को बयान फरमाते हैं “अल्लाह रब्बुल आलमीन के दुरूद भेजना है रेहमत नाज़िल फरमाना जबकि फरिश्तों और हमारा दुरूद दुआ-ए-रेहमत करना है”
(अस शारा उस सुन्नाह, Vol : 02, किताबुस सलात, बाब : अस सलात एलान नबी, सफ़ा : 280)
क्या पता चला की दुरूद और सलाम का हुक्म तो खुद अल्लाह रब्बुल आलमीन ने दिया है। अब वो लोग तो मुंह के बल गिरे हैं जो सलाम को बिद्दत कहते है। मअज़ल्लाह। दरअसल सलाम के लिए सिर्फ वही खड़ा होगा जिसके दिलमे अपने आक़ा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की मुहब्बत होगी।
अल्लाह रब्बुल आलमीन क़ुरआन-ए-करीम में इरशाद फरमाता है, “नूह पर सलाम हो जहाँवालो में सलाम हो इब्राहिम पर सलाम हो मूसा व हारुन पर सलाम हो इलियास पर सलाम हो रसूलो पर”
(सूरे सफ्फत, आयत 79,109,120,130,181, पारा-23, रुकू 3-4-5 तर्ज़ुमा कंज़ुल ईमान)
जब अल्लाह खुद अपने रसूलों पर सलाम भेज रहा हैं तो हम उम्मती नबियों के सरदार (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर सलाम भेजे तो कैसे शिरको बिद्दत हो सकता हैं.. इसीलिए मेरे सर्कार आलाहज़रत अज़ीमुल बरकत मुजद्दिदे दीनों मिल्लत फ़ाज़िले बरैली रहमतुल्लाह अलैहि ने लिखा
“मुस्तफा जाने रेहमत पे लाखो सलाम शम्मे बज़्मे हिदायत पे लाखो सलाम..”
1. एक दुरूद पढ़ने से 100 हाजतें पूरी होंगी
2. फ़रिश्ते पढ़नेवाले पर दुरूद पढ़ेंगे
3. अल्लाह ताला की ख़ुशनूदी हासिल होगी
4. पढ़नेवाला मरने से पहले जन्नत में अपनी जगा देख लेगा
5. पुलसिरत से बिजली की तरह सही-ओ-सलामत गुज़र जायेगा
6. दोज़ख के केहर से बच जायेगा
7. हौज़-ए-कौसर से पानी पीना नसीब होगा
8. मीज़ान में दुरूद पढ़नेवाले की नेकियों का पलड़ा भरी होगा
9. अल्लाह तआला के गुस्से से मेहफ़ूज़ रहेगा
10. अल्लाह तआला की दोस्ती नसीब होगी
11. अल्लाह तआला की रेहमत बरसती रहेगी
12. अल्लाह तआला के रस्ते में जंग लड़ने से ज़्यादा सवाब मिलेगा
13. रिज़्क़ कुशादा होगा। एक मर्तबा दुरूद पढ़ना 10 गुनाह मिटाता है और उसके नाम-ए-आमाल में 10 नेकिया लिखी जाती हैं
14. हर मजलिस में ज़ैब-ओ-ज़ीनत हासिल होगी
15. मैदान-ए-हश्र में अम्न-ओ-अमन में होगा
16. हर दुश्मन पर फतह हासिल करेगा
17. लोगों के दिलों में उसकी मुहब्बत बढ़ जाएगी
18. हर जगह इत्तिफ़ाक़ की दौलत मुयस्सर होगी
19. दिल को बड़ा सुकून मुयस्सर आएगा
20. ख्वाब में हुज़ूर सरकार-ए-दो आलम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की ज़ियारत होगी
21. दुरूद पढ़नेवाले की ग़ीबत कम होगी
22. दुन्या में फायदा हासिल करता रहेगा
23. अल्लाह की फ़रमाँबरदारी हासिल होगी
24. उसके ऐबों पर अल्लाह तआला पर्दा दाल देगा
25. वो हसरत की मौत नहीं मरेगा
26. वो बुख़ल की बीमारी से मेहफ़ूज़ रहेगा
27. उसको बद्दुआएं कोई नुकसान नहीं पोहोंचाएंगी
28. उसके बदन से खुशबु आएगी
29. वो हर जगा नुमायां जगा पा कर इज़्ज़त हासिल करेगा और फतहयाब होगा
30. हर मुनाफ़िक़ के शर से मेहफ़ूज़ रहेगा
31. हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की शफ़ाअत हासिल होगी
32. हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की ख़ुशनूदी हासिल होगी
33. हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का क़ुरब हासिल होगा
34. उसकी ख्वाहिश हर वक़्त ये होगी के नेकी करूँ
35. हर वक़्त मुहब्बत-ए-रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम में इज़ाफ़ा होता रहेगा
36. अल्लाह तआला की रेहमत बढाती रहेगी
37. सरकार-ए-दो आलम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के दरबार में उसका नाम लिया जाएगा (ये सब से बड़ी सआदत हैं)
38. दुरूद पढ़नेवाला मरते दम तक इंशाअल्लाह ईमान पर क़ायम रहेगा
39. अल्लाह के एहसानात उस पर बढ़ते रहेंगे
40. दुरूद पढ़नेवाले में मुर्शिद-ए-कामिल की खसूसियत जनम लेती रहेंगी
41. उसके गुनाहों की आग बुझ जाएगी
42. मैदान-ए-हश्र में हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का वस्ल नसीब होगा
43. भूली हुवी चीज़ें याद आया करेंगी
44. जन्नत में बोहोत बुलंद दर्जे हासिल होंगे
45. ज़मीन-ओ-आसमाँवालों की दुआएं उसके लिए वक़्त होंगी
46. अल्लाह तआला उस की ज़ात में बरकत देगा
47. उस के आमाल में बड़ी ही बरकत होगी
48. उसकी उम्र अच्छे कामों में गुज़रेगी
49. उसकी उम्र में नुमायां बरकत होगी
50. उसकी औलाद में बरकत होगी
51. उसकी औलाद तबाही-ओ-बर्बादी से हर हालत में बची रहेगी
52. उसके सरे घर में हर वक़्त बरकत होगी
53. उसके घर में हर हालत में सलामती-ओ-अमन होगा
54. उसके माल-ओ-असबाब में बरकत होगी
55. दुरूद शरीफ पढ़नेवाले की चार पुश्तों तक बरकत रहेगी
56. हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की बारगाह में हाज़री पायेगा
57. जब हज या उम्र को जायेगा तो क़ुबूलियत के दर्जे पाएगा
58. उसकी ज़ुबान पर अल्लाह और उसके रसूल-ए-मक़बूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का ज़िक्र जारी रहेगा
59. गुनाहों का कफ़्फ़ारा होता रहेगा
60. हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के चेहरा-ए-मुबारक अनवर-ओ-ताहिर की ज़ियारत करेगा
61. हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से मुसाफह करेगा
62. हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उससे मुख़ातब होंगे
63. फ़रिश्ते उसकी सिफारिश करते रहेंगे
64. हूरें उसके वास्ते मुन्तज़िर होंगी
65. जन्नत उसका इंतज़ार करती रहेगी
66. फ़रिश्ते उसके दुरूद शरीफ को सोने (Gold) के क़लम से चंडी के औराक़ पर लिख कर हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के पास पेश करते रहेंगे
67. मौत से पहले तौबा की तौफ़ीक़ मिलेगी
68. मौत के वक़्त सख्ती से मेहफ़ूज़ रहेगा
Asalam-o-alaikum , Hi i am noor saba from Jharkhand ranchi i am very passionate about blogging and websites. i loves creating and writing blogs hope you will like my post khuda hafeez Dua me yaad rakhna.
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