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एक मर्तबा अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को बड़ी जोर की भुख लगी और हुजुर (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) की खिदमत मे हाजीर हुए, हुजुर (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने एक दुध का प्याला लिया और हजरत अबु हुरैरा से फरमाया : “जाओ अस्हाबे सुफ्फा को बुला लाओ”, अस्हाबे सुफ्फा की तादाद सत्तर (70) थी,

अबु हुरैरा ने सोचा की वह लोग आ गये तो एक प्याले से मेरे लिये क्या बचेगा…?? मगर नबी का हुक्म था इसलिए वह गये अस्हाबे सुफ्फा को बुला लाये।

हुजुर (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया : “लो यह दुध का प्याला और उन सबको पिलाओ”

चुनांचे, हजरत अबु हुरैरा ने बारी बारी सबको पिलाना शुरु कर दिया एक को पिला देते तो दुसरे के आगे रख देते, वह पि लेते तो आगे कर देते, इसी तरह उस प्याले से सबने सैर होकर दुध पिया मगर दुध वैसे का वैसी ही रहा जर्रा भी कम न हुआ, फिर वह प्याला हुजुर (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने अपने हाथ मे लिया और अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से फरमाया – “लो अब तुम पियो”

अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने पीना शुरू किया हत्ता की जब आपने प्याला मुंह से हटाया तो हुजुर (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने वह प्याला अबु हुरैरा के मुंह मे फिर लगाया और फरमाया – “और पियो” हजरत अबु हुरैरा ने और पिया और फिर जो प्याले से मुंह हटाया तो हुजुर (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फिर फरमाया : “नही और पियो” कई बार ऐसा ही हुआ, आखिर में अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने अर्ज किया “या रसुलल्लाह अब कोई रास्ता नही”

(बुखारी शरिफ, सफा-956, सच्ची हिकायत, हिस्सा-चौथा, सफा-701-702, हिकायत-689)

#सबक : हमारे हुजुर (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) मुतसर्रिफ व मुख्तार है चाहे तो एक प्याले से सत्तर (70) आदमीयों को खिला पिला दे,
फिर अगर युं कहा जाये की नबी के चाहने से कुछ नही होता तो यह बात किस कद्र गुमराही व जहालत की है…

As-salam-o-alaikum my selfshaheel Khan from india , Kolkatamiss Aafreen invite me to write in islamic blog i am very thankful to her. i am try to my best share with you about islam.
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