आस्सलामु अलेयकुम व रहमतुल्लाही व बरकातहू
السَّـــــلاَمُ عَلَيــْــكُم ﻭَﺭَﺣﻤَــﺔ ﺍﻟﻠﻪِ ﻭ َﺑَـﺮَﻛـَﺎﺗــہ
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اَلْحَمْدُ لِلّهِ رَبِّ الْعَالَمِيْن،وَالصَّلاۃ وَالسَّلامُ عَلَی النَّبِیِّ الْکَرِيم وَعَلیٰ آله وَاَصْحَابه اَجْمَعِيْن
“अलहमदु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन,वस्सलातु वस्सलामु अला आलिहि व असहाबिहि अजमईन”
कसरत से दुरूद शरीफ पढ़ना दर्जात की बुलंदी और गुनाहों की माफी का सबब है
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का बयान
*वैसे तो इसलाम में कुर्बानी का ज़िक्र आदम (अ) के ज़माने से मिलता है, लेकिन इसलाम में बुनयादी तौर पर कुर्बानी हज़रत इब्राहीम (अ) के ज़माने से है जब उन्होंने अपने बेटे को कुर्बान करने की कोशिश की तो अल्लाह ने उनके बेटे के बदले एक जानवर की कुर्बानी ली तब से यह अपनी जान की कुर्बानी के निशान के तौर पर हर साल दी जाती है ,..
तीनो रात एक तरह का ख्वाब :- हज़रते इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने जुलहज की आठवीं रात एक ख्वाब देखा जिस में कोई कहने वाला कह रहा है के अल्लाह की राह में अपनी प्यारी चीज कुर्बान करो आपने सुबह को अपनी सारी दौलत अल्लाह की राह में खर्च कर दी लेकिन नवी रात फिर वही ख्वाब देखा और दसवीं रात फिर वही ख्वाब देखने के बाद आप अलैहिस सलातु वस्सलाम समझ गये कि सबसे प्यारा तो मुुझे मेरा बेटा है और आपने अपने बेटे की क़ुरबानी का पक्का इरादा फरमा लिया जिस की वजह से ज़ुल्हज को यौमुन्नहर यानि ज़बह का दिन कहा जाता हैं ।
बेटे की क़ुरबानी से रोकने की शैतान की नाकाम कोशिशें :- अल्ल्लाह अज़्ज़ा वजल के हुक्म पर अमल करते हुए बेटे की क़ुरबानी करने के लिए हज़रते इब्राहीम अलैहिस सलातु वस्सलाम जब अपने प्यारे बेटे हज़रते इस्माइल अलैहिस सलातुल वस्सलम को जिन की उम्र उस वक्त सात साल (या इस से थोड़ी ज़्यादा थी) ले कर चले शैतान उनकी जान पहचान वाले एक शख्स की सूरत में ज़ाहिर हुआ और पूछने लगा ए इब्राहीम कहाँ का इरादा है? आप ने जवाब दिया एक काम से जा रहा हूँ उस ने पूछा क्या आप इस्माइल को ज़बह करने जा रहे है? हज़रते इब्राहीम अलैहिस सलाम ने फ़रमाया: क्या तुमने किसी बाप को देखा है के वो अपने बेटे को ज़बह करे? शैतान बोला: जी हाँ, आप को देख रहा हूँ के आप इस काम के लिए चले हैं आप समझते है के अल्लाह पाक ने आपको इस बात का हुक्म दिया है हज़रते इब्राहीम अलैहिसलाम ने इरशाद में फ़रमाया: अगर अल्लाह पाक ने मुझे इस बात का हुक्म दिया है तो फिर में इस की फरमाबरदारी करूंगा यहां से मायूस होकर शैतान हज़रते इस्माइल अलैहिस सालतु वस्सलाम की अम्मी जान हज़रते हाजराह रदीयल्लाहु अन्हा के पास आया और उन से पूछा इब्राहीम आप के बेटे को लेकर कहाँ गएँ हैं? जवाब दिया वो अपने एक काम से गए हैं
तो शैतान ने कहा के वो काम से. नहीं आपके बेटे हज़रते इस्माइल अलैहिस सालतु वस्सलाम को ज़बह करने ले गये हैं
हज़रते हाजराह रदियल्लाहु अन्हा ने फ़रमाया: क्या तुमने किसी बाप को देखा है के वो अपने बेटे को ज़बह करे? शैतान ने कहा वो ये समझते है के अल्लाह अज़्ज़ा वजल ने उन्हें इस बात का हुक्म दिया है ये सुन कर हज़रते हाजराह रदियल्लाहु अन्हा ने इरशाद फ़रमाया: अगर ऐसा है तो उन्होंने अल्लाह पाक की इताअत (यानि फरमाबरदारी) कर के बहुत अच्छा किया इस के बाद शैतान हज़रते इस्माइल अलैहिस सलातुवस्सलाम के पास आया और उन्हें भी इस तरह से बहकाने की कोशिस की लेकिन उन्हों ने भी यही जवाब दिया के अगर मेरे अब्बू जान अल्लाह पाक के हुक्म पर मुझे ज़बह करने के लिए जा रहे है तो बहुत अच्छा कर रहे है |
शैतान को कंकरियां मारें :- जब शैतान बाप बेटे को बहकाने में नाकाम हुआ और जमरे, के पास आया तो हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने उसे, सात, कंकरिया मारी कंकरियां मारने पर शैतान अपने रास्ते से हट गया यहां से नाकाम होकर शैतान दूसरे जमरे पर गया, फरिश्ते ने दोबारा हज़रते इब्राहिम अलैहिस सलातुवस्सलाम से कहा इसे मारिये आप ने इसे सात कंकरियां मारी तो उस ने रास्ता छोड़ दिया अब शैतान तीसरे जमरे, के पास पंहुचा हज़रते इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने फरिश्ते के कहने पर एक बार फिर सात कंकरियां मारी तो शैतान ने रास्ता छोड़ दिया शैतान को तीन मक़ामात पर कंकरिया मरने की याद बाकि रखी गयी है और आज भी हाजी उन तीनो जगहों पर कंकरियां मारते है |
बेटा क़ुरबानी के लिए तैयार :- हज़रते इब्राहीम अलैहिसालतु वस्सलाम जब हज़रते इस्माइल अलैहिस सालतु वस्सलाम को लेकर कुहे “सबीर” पर पहुंचे तो उन्हें अल्लाह अज़्ज़ा वजल के हुक्म की खबर दी, जिस का ज़िक्र क़ुरआने करीम में इन अल्फ़ाज़ में है –
याबुनैय्या इन्नी आरा फिल मनामि अन्नी अज़बहूका फनज़ुर माज़ा तरा –
तर्जुमा ÷ कंज़ुलईमान: ए मेरे बेटे मेने ख्वाब देखा में तुझे ज़िबह करता हूँ अब तू देख तेरी क्या राय है? फर्माबरदार बेटे ने ये सुन कर जवाब दिया: तर्जुमाए कंज़ुल ईमान: ए मेर बाप कीजिये आप को जिस बात का हुक्मं होता है, खुदा ने चाहा तो करीब है के आप मुझे साबिर (यानि सब्र करने वाला) पाएंगे |
मुझे रस्सियों से मज़बूत बांध दीजिये :- हज़रते इस्माईल अलैहिस्सलाम ने अपने वालिदे मोहतरम से मज़ीद अर्ज़ की: के अब्बू जान ज़ब्ह करने से पहले मुझे रस्सियों से मज़बूत बांध दीजिये ताके में हिल न सकू क्यूंकि मुझे डर है के कहीं मेरे सवाब में कमी न हो जाए और मेरे खून के छीटों से अपने कपड़े बचा कर रखिये ताके उन्हें देख कर मेरी अम्मी जान ग़मगीन न हो छुरी खूब तेज़ कर लीजिये ताके मेरे गले पर अच्छी तरह चल जाये (यानी गला फ़ौरन कट जाये) क्यूँकि मौत बहुत सख्त होती है, आप मुझे ज़ब्ह करने के लिए पेशानी के बल लिटाएं (यानि चेहरा ज़मीन की तरफ हो) ताकि आपकी नज़र मेरे चेहरे पर न पड़े और जब आप मेरी अम्मी जान के पास जाएं तो उन्हें मेरा सलाम पंहुचा दीजिये और अगर आप मुनासिब समझे तो मेरी कमीज़ उन्हें दे दीजिये, इससे उनको तसल्ली होगी और सब्र आ जायेगा हज़रते इब्राहिम अलैहिसालतु वस्सलाम ने इरशाद फ़रमाया: ए मेरे बेटे तुम अल्लाह ताआला के हुक्म पर अम्ल करने में मेरे कैसे उम्दाह मददगार साबित हो रहे | हो फिर जिस तरह हज़रते इस्माईल अलैहिसालतु वस्सलाम ने कहा था उन को उसी तरह बांध दिया, अपनी छुरी तेज़ की, हज़रते इस्माईल अलैहिसलाम को पेशानी के बल लिटा दिया, और उन के चेहरे से नज़र हटाली और उनके गले पर छूरी चलादी लेकिन छुरी ने अपना काम न किया यानि गला न काटा इस वक्त हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर वही नाज़िल हुई ।
तर्जुमा कंज़ुल ईमान :- और हम ने इसे निदा फ़रमाई ए इब्राहीम बेशक तूने ख्वाब सच कर दिखाया हम ऐसा ही सिला देते है नेको को, बेशक ये रोशन जांच थी और हम ने एक बड़ा ज़िबहिया उसके फ़िदये में देकर बचा लिया ।
जन्नत का मेंढा :- हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने जब इस्माईल अलैहिस्सलाम को ज़बह करने के लिए ज़मीन पर लिटाया तो अल्लाह पाक के हुक्म से हज़रते जिब्राईल अलैहिस्सलाम बतौरे फ़िदया जन्नत से एक मेंढा (यानि दुंबा) लिए तशरीफ़ लाए और दूर से ऊंची आवाज़ में फ़रमाया: अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर, जब हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने ये आवाज़ सुनी तो अपना सर आसमान की तरफ उठाया और जान गए अल्लाह अज़्ज़ा वजल की तरफ से आने वाली आज़माइश का वक़्त गुज़र चुका है और बेटे की जगह फ़िदये में मेंढा भेजा गया है लिहाज़ा खुश होकर फ़रमाया: ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर, जब हज़रते इस्माईल अलैहिस्सलाम ने ये सुना तो फ़रमाया: अल्लाहु अकबर वलिल्लाहिल हम्द, इस के बाद से इन तीनो पाक हज़रात के इन मुबारक अलफ़ाज़ की अदाएगी की ये सुन्नत क़यामत तक के लिए जारी व सारी हो गई ।
क्या हर कोई ख्वाब देख कर अपना बेटा ज़बह कर सकता है? :- याद रहे कोई शख्स ख्वाब या ग़ैबी आवाज़ की बुन्याद पर अपने या दूसरे के बच्चे या किसी इंसान को ज़बह नहीं कर सकता करेगा तो सख्त गुनहगार और अज़ाबे नार का हक़दार करार पायेगा हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम जो ख्वाब की बिना पर अपने बेटे की क़ुरबानी के लिए तय्यार हो गए ये हक़ है क्योंकि आप नबी है और नबी का ख्वाब वाहिये इलाही होता है उन हज़रात का इम्तिहान था हज़रते जिब्राईल अलैहिस्सलाम जन्नती दुम्बा ले आये और अल्लाह तआला के हुक्म से हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपने प्यारे बेटे की बजाये उस जन्नती दुम्बे को ज़बह फ़रमाया हज़रते इब्राहीम और हज़रते इस्माईल अलैहिस्सलाम इस अनोखी क़ुरबानी की याद ता क़यामत कायम रहेगी और मुसलमान हर बकरा ईद में मख़सूस जांवरो की कुर्बानियां पेश करते रहेंगे |
इस्माईल के माने क्या हैं :- हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम बड़ी उम्र तक बे औलाद थे 80 साल की उम्र में आप अलैहिस्सलाम को हज़रते इस्माईल अलैहिस्सलाम अता किये गए हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम बेटे की दुआएं मांग कर कहते थे ”इस्मा या ईल के माईने है” सुन और ईल” इब्रानी ज़बान में खुदा अज़्ज़ा वजल का नाम, इस तरह इस्मा या ईल के माईने हुए “ए खुदा अज़्ज़ा वजल मेरी सुन ले” जब आप अलैहिस्सलाम पैदा हुए तो इस दुआ की यादगार में आपका नाम इस्माईल रखा गया |
अबुल अम्बिया के दस हुरूफ़ की निस्बत से हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम के दस मख़सूस फ़ज़ाइल :-
1. रसूले पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के बाद हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम सब से अफ़ज़ल हैं,
2. हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम ही अपने बाद आने वाले सरे अम्बियाए किरामअलैहिस्सलाम के वालिद हैं,
3. हर आसमानी दीन में आप ही की पैरवी और इताअत है,
4. हर दीन वाले आपकी ताज़ीम करते हैं,
5. आप ही की याद क़ुरबानी है,
6. आप ही की यादगार हज के अरकान है,
7. आप ही काबा शरीफ की पहली तामीर करने वाले यानी इसे घर की शक्ल में बनाने वाले हैं
8. जिस पत्थर (मकामें इब्राहीम) पर खड़े होकर आपने क़ाबा शरीफ बनवाया वहां कियाम और सिजदे होने लगे,
9. कयामत में सबसे पहले आप ही को उमदाह लिबास अता होगा इस के फौरन बाद हमारे हुज़ूर ए पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को,
10. मुसलमानों के फौत हो जाने वाले बच्चो की आप अलैहिस्सलातु वस्सलाम और आप की बीवी साहिबा हज़रते सारह रदि यल्लाहु तआला अन्हा आलमे बरज़ख़ में परवरिश करते हैं |
शेर कदम चाटने लगे :- हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर दो भूके शेर छोड़े गए (अल्लाह पाक की शान देखिये) के वो भूके होने के बावजूद आप अलैहिस्सलाम को चाटने और सजदे करने लगे।
रेत की बोरियो से सुर्ख गंदुम निकले :- हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम को ग़ल्ला (यानि अनाज) नहीं मिला, आप अलैहिस्सलाम सुर्ख रेत के पास से गुज़रे तो आप अलैहिस्सलाम ने उससे बोरियां भर ली जब घर तशरीफ लाए तो घर वालो ने पूछा ये क्या है? फरमाया ये सुर्ख गंदुम है जब उन्हें खोला गया तो वो वाकई सुर्ख गंदुम थे जब ये गंदुम बोये गए तो उनमें जड़ से ऊपर तक गेहूं (यानी कनक) की बालियां लगीं |
हज़रते इब्राहीम अैहिस्सलाम से कई कामों की शुरुआत हुई इन में से 8 ये हैं:
1. सबसे पहले आप अलैहिस्सलाम ही के बाल सफेद हुऐ,
2. सबसे पहले आप अलैहिस्सलाम ही ने (सफेद बालों) में मेहंदी और कतम यानी नील के पत्तो का खिजाब लगाया,
3. सबसे पहले आप अलैहिस्सलाम ही ने सिला हुआ पाजामा पहना,
4. सबसे पहले आप अलैहिस्सलाम ही ने मिमबर पर खुतबा पढ़ा,
5. सबसे पहले आप अलैहिस्सलाम ने राहे खुदा में जिहाद किया,
6. सबसे पहले आप अलैहिस्सलाम ने मेहमान नवाजी मेहमानी की रस्म शुरू की,
7. सबसे पहले आप अलैहिस्सलाम ही मुलाक़ात के वक्त लोगो से गले मिले,
8. सबसे पहले आप अलैहिस्सलाम ही ने सरेद तौयार किया।
Source:https://www.islamicplatform.gq/2020/07/eid-ul-adha.html
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