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•بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ•
اَللّٰہُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ عَلٰی سَیِّدِنَا مُحَمَّدٍ قَدْ ضَاقَتْ حِیْلَتِیْ اَدْرِکْنِیْ یَارَسُوْلَ اللہِ
🌺🏵 फ़ैज़ाने दुरूद व सलाम 🏵🌺

📖 #दीदारे_मुस्तफा ﷺ का #नुस्ख़ा 📖

दुरूदे पाक की बरकत से मुस्तफा जाने रहमत ﷺ की ख़्वाब में ज़ियारत नसीब होती है । हर आशिक़ के दिल की यही तमन्ना होती है कि कभी मेरे भी सोए नसीब जागें और मुझे भी ख़्वाब में दीदारे मुस्तफा ﷺ अत़ा हो जाए और वक़्तन फ वक़्तन अल्लाह عزوجل की बारगाह में यूँ इल्तिजाए भी करता रहता है ।

💐 या रब तेरे महबूब का जल्वा नज़र आए 💐
💐 उस नूरे मुजस्सम का सरापा नज़र आए 💐
💐 ऐ काश ! कभी ऐसा भी हो ख़्वाब में मेरे 💐
💐 हूँ जिस की ग़ुलामी में वोह आक़ा नज़र आए 💐

☞ यक़ीनन हम सब भी हुज़ूर صَلَّی ﺍﻟﻠّٰﻪُ عَلَیْهِ وَاٰلِهٖ وَسَلَّم की ज़ियारत के ख़्वाहिश मंद हैं , तो हमें इश्क़ के दीगर तक़ाज़े पूरे करते हुए सच्ची लगन से दुरूदे पाक की कसरत करनी चाहिए ان شا ءاللہ عزوجل एक न एक दिन हम पर भी ज़रूर करम होगा और हम भी शरबते दीदार से सैराब होंगे ।

☆…. हज़रते सय्यिदुना इब्ने अब्बास رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی عَنْہاُ से रिवायत है कि नबिय्ये रह़मत , शफ़ीए उम्मत صَلَّی ﺍﻟﻠّٰﻪُ عَلَیْهِ وَاٰلِهٖ وَسَلَّم का फ़रमाने अज़मत निशान है :

” जो मोमिन जुम्मा की रात ( यानी जुमरात और जुम्मा के दरमियानी रात ) दो रकअत इस तरह पढ़े कि हर रकअत में सूरह फ़ातिहा के बाद 25 मर्तबा ” قل ھواللہ احد ” पढ़े फिर येह दुरूदे पाक
” صَلَّی ﺍﻟﻠّٰﻪُ علٰی محمَّدِالنَّبِيِّ الْأُمِّيِّ ”
1000 मर्तबा पढ़े , तो आने वाले जुम्मा से पहले ख़्वाब में मेरी ज़ियारत करेगा और जिस ने मेरी ज़ियारत की अल्लाह عزوجل उस के गुनाह मुआफ़ फ़रमा देगा । ”

[[{{ अल क़ौलुल बदीअ , सफा 383 }}]]

صَلُّو ا عَلَی الْحَبِیب ! صلَّی اللّٰہُ تعالٰی علٰی محمَّد

☆….. हज़रते सय्यिदुना शैख़ अब्दुल ह़क़ मुहद्दिस देहलवी رحمة الله عليه नक़्ल करते हैं कि :

” जो शख़्स जुम्मा के दिन एक हज़ार बार यह दुरूद शरीफ़ पढ़ेगा ” ‏اللَّهمَّ صلَّی علٰی محمَّدِالنَّبِيِّ الْأُمِّيِّ ” तो वह सरकारे नामदार , मदीने के ताजदार صَلَّی ﺍﻟﻠّٰﻪُ عَلَیْهِ وَاٰلِهٖ وَسَلَّم की ख़्वाब में ज़ियारत करेगा या जन्नत में अपनी मंज़िल देख लेगा , अगर पहली बार में मक़्सद पूरा न हो तो दूसरे जुम्मा भी इस को पढ़ ले , इंशा अल्लाह तआला पांच जुम्मों तक उस को सरकारे मदीना صَــلَّــی اللّٰـهُ تَـعَالٰـی عَـلَـیْـہِ وَاٰلِــہ وَسَــــلَّم की ज़ियारत हो जाएगी ।”

📗 [[{{ तारीख़े मदीना , सफा 343 }}]] 📗

🌻 कुछ ऐसा कर दे मेरे किरदगार आंखों में 🌻
🌻 हमेशा नक़्श रहे रूए यार आंखों में 🌻

( सामाने बख़्शिश , सफा 129 , 131 )

صَلُّو ا عَلَی الْحَبِیب ! صلَّی اللّٰہُ تعالٰی علٰی محمَّد

Aafreen Seikh is an Software Engineering graduate from India,Kolkata i am professional blogger loves creating and writing blogs about islam.
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