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Fatiha Ka tarika
सबसे पहले वज़ु बना ले बिना वज़ु के फ़ातिहा नहीं देना चाहिए उसके बाद ये आयते पढे :
अलहमदु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन,वस्सलातु वस्सलामु अला आलिहि व असहाबिहि अजमईन

01 आयतल कुर्सी :

Bismillah-ir-Rahman-ir-Rahim
(ल्लाहु ला इला-ह इल्ला हु-वल हय्युल क़य्यूम ला तअखुजुहु सि-नतुव्वला नौम लहू मा फिस्समावाति वमा फ़िल अरज़ि मन ज़ल्लज़ी यश-फउ इन-दहू इल्ला बि इज़निही यअ-लमु मा बै-न ऐदीहिम वमा खल-फहुम् वला युहीतू-न बिशैइम्मिन इअलमिही इल्ला बिमा शा-अ, वसि-अ कुर्सिय्युहुस्समावाति वल-अर-द वला यऊदुहू हिफ़जुहुमा वहु-वल अलिय्युल अज़ीम)

اللَّهُ لاَ إِلَهَ إِلاَّ هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ لاَ تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلاَ نَوْمٌ لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الأَرْضِ مَنْ ذَا الَّذِي يَشْفَعُ عِنْدَهُ إِلاَّ بِإِذْنِهِ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلاَ يُحِيطُونَ بِشَيْءٍ مِنْ عِلْمِهِ إِلاَّ بِمَا شَاءَ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاو ;َاتِ وَالأَرْضَ وَلاَ يَئُودُهُ حِفْظُهُمَا وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ

02: सुरह मुत्ततका :

Bismillah-ir-Rahman-ir-Rahim
(अलहाको मुत्ततका सुरो हत्ता ज़ूर-तो-मुल मक़ाबिर कल्ला सोओफ़ा तआलमुना सुम्मा कल्ला सोओफ़ा तआलमुन । कल्ला लओ तआलमुना इलमल यक़ीन । ल-तरा बुन्नल ज़हीमा सुम्मा ल-तरा बुन्न नहा ऐ-लनयक़ीन ।
सुम्मा ल-तूस अनुन्ना एओमायेजिन अनिन्न नईम ।)

أَلْهَاكُمُ التَّكَاثُرُ حَتَّىٰ زُرْتُمُ الْمَقَابِرَ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ ثُمَّ كَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُونَ كَلَّا لَوْ تَعْلَمُونَ عِلْمَ الْيَقِينِ لَتَرَوُنَّ الْجَحِيمَ ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيْنَ الْيَقِينِ ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ

03 सुरह काफेरुन :

Bismillah-ir-Rahman-ir-Rahim
कुल्लीया अय्योहल काफ्फीर्ररुन ला आ बुदू मा ता आबुदोन वल्ला अन्नतुम आबीदोना मा आ बुद । वल्ला अन आबिदुम मा आ बद तुम । वल्ला अन्नतुम आबीदोना मा आ बुद । लकुमं दीनोकुमं वलिय द्दीन ।

04 सुरह अहद तीन मार्तबा :

Bismillah-ir-Rahman-ir-Rahim
कुल हुवल्लाहु अहद अल्लाहुस-समद लम यलीद वा लम युलद वा लम यकुल्लाहू कुफुवान अहद
कुल हुवल्लाहु अहद अल्लाहुस-समद लम यलीद वा लम युलद वा लम यकुल्लाहू कुफुवान अहद
कुल हुवल्लाहु अहद अल्लाहुस-समद लम यलीद वा लम युलद वा लम यकुल्लाहू कुफुवान अहद
surah1
surah2
surah3

05 सुरह फलक :

Bismillah-ir-Rahman-ir-Rahim
कूल आऊजू बी रब्बिल फलक मिन शरर रीमा खलक व मिन शररी गासिकिन इज़ा वकब वा मिन शररीन नफ़्फ़ा साती फिल उकद वा मिन शररी हासीदिन इज़ा हसद ।

06 सुरह नास :

Bismillah-ir-Rahman-ir-Rahim
कूल आऊज़ू बी रब्बिन्न नास । मलिकिन नास । इलाहीन नास । मिन शर्रील वस्वासिल खन्नास । अल्लज़ी युवस्विसो फी सुदुरिन्न नासी मिनल जिन्नती वन्नास ।
surah nas

07 सुरह फ़ातिहा :

Bismillah-ir-Rahman-ir-Rahim
अलहम्दो लिल्लाहि रब्बिल आलमीन अर्रहमानिर्रहीम मालिकीयोमिद्दीन इय्या क न अबुदु व इय्या क नस्तईन इहीदनस्सिरातल मुस्तकीम सीरतलल्लजी न अन अम त अलैहिम गैरिल म मग्दुबी अलैहिम व लदव्वाल्लीन
surah fatiha

08 सुरह अल बाकारा  :

Bismillah-ir-Rahman-ir-Rahim
अलिफ लाम मीम0 ज़ालेकल किताबो लारयब फ़ीह हुदल्लिल मुक्तक़ीनल लज़ीना यूमेनूना बिल ग़ैबे व यूक़ीमुनस्सलाता व मिम्मा रज़क़ना हुम युनफ़ेक़ून0 वल लज़ीना यूमिनूना बीमा उनज़ेला इलैका वमा उनज़ेला मिन क़बलिक व बिल आख़ेरते हुम यूक़ेनून0 उलाइएका अला हुदम्मिर्रब्बे हिम, व ओलाएका हुमुल मुफ़लेहून0
व इलाहोकुम इलाहुवं वाहेदुन ला इलाह इल्ला होवर रहमानुर रहीम0 इन्ना रहमतल लाहे क़रिबुम मिनल मोहसेनिन0 वमा अरसलनाका इल्ला रहमतल-लिल आलमीन0 मा काना मुहम्मदुन अबॉ अहदिम्मि रेज़ालेकुम वला किर्रसूल्लाहे व ख़ातमन नबीयीन व कानाल्लाहो बे-कुल्ले शयइन अलीमा0 इन्नल्लाह व मलायकताहु यूसल्लूना अलन्नबी या अय्योहल लज़ीना आमनु सल्लू अलही बसल्लिमो तसलीमा0 अल्ला हुम्मा सल्लेअला सय्यादिना वा मौलना मुहम्मदिन निन नवी उम्मिये बाअला आलैही बा असहाबिही बरिक वसल्लिम अलय सला तउ वस सला मुन अलय का या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो ताआला अलय हे बसल्लम0
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(इसके बाद दुरुदे ताज अगर पड़ना चाहे हो बेहतर हे जिससे फ़ातिहा की शान बड़ जाएगी)

दुरुदे ताज

अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्यिदिना व मौलाना मोहम्मदीन
या ईलाही हमारे आक़ा व मौला मोहम्मद ﷺ पर रहमत नाज़िल फ़रमा ।साहिबित्त ताज़े वल मेराजे वल बुर्राके वल अलम
जो साहिबे ताज़ और मेराज़ और बुर्राक वाले और झंडे वाले हैदाफेईल बलायें वल वबाई वल कहति वल मर्ज़ी वल अलम
जिनके वसीले से बला वबा और क़हत (सुखा) मर्ज़ और दुख दूर होता हैइस्मोहु मक़तूबुम मरफ़ूउम मशफ़ुउम मनकुसुन फ़ील लव्ही वल क़लम
आप ﷺ का नाम नामी लिखा गया, बुलंद किया गया, क़बूले शफ़ाअत किया गया,
और लोह व क़लम में गुदा हुवा हैसय्यिदिल अरबी वल अज़म
आप ﷺ अरब व अज़म के सरदार हैजिस्मोहु मुक़द्दसुन मुअत्तरुन मुतहहरुन मुनव्वरुन फ़ील बैति वल हरम
आप ﷺ का जिस्म निहायत मुक़द्दस ख़ुशबूदार पाकीज़ा और खाना क़ाबा व हरम पाक़ में मुनव्वर हैशमशुद्दुहा बदरुददुजा सदरिलउला नूरीलहुदा कहफ़िलवरा मिस्बाहिज़ ज़ुलम
आप ﷺ चास्तगाह के आफ़ताब, अँधेरी रात के माहताब, बुलन्दियों के सदर नसीन, राहे हिदायत के नूर, मख़लूक़ात के जाहपनाह, अँधेरो के चराग़जमिलिस्सीयम शफ़ीईल उमम सहिबिल जुदी वल करम
नैक इतवार के मालिक़, उम्मतियों के बख़्शवाने वाले, बख़्शिश व करम से मोसूफ़ है

वल्लाहु आसिमोहु जिब्रीलो खादिमुह वल बुर्राको मर्कबुहु वल मेराजो सफ़रोहु व सिदरातुल मुंतहा मकामोहु
अल्लाह तआला आप ﷺ का निगहबान, जिब्रील आप ﷺ के ख़िदमत गुज़ार, बुर्राक़ आप ﷺ की सवारी, और मेराज़ आप ﷺ का सफर, और सिदरतुल मुंतहा आप ﷺ का मक़ाम

व क़ाबा क़व्सैनी मतलूबुह वल मतलुबुह मक़सुदुह वल मक़सुदुह मोजूदुह
और (क़रीबे ख़ुदावन्दी में) क़ाबा कौसेन का मरतबा, आप ﷺ मतलूब है, और मतलूब ही आप ﷺ का मक़सूद है, और मक़सूद आप ﷺ को हासिल है

सय्यिदिल मुरसलीन ख़ातिमिन नबीय्यीन शफ़ीईल मुज़नबीन अनिसिल ग़रीबिन
आप ﷺ रसूलों के सरदार है, नाबियों में सबसे आखिर, गुनाहगारों को बख़्शवाने वाले, मुसाफिरों के ग़मख़्वार

रहमतूल्लील आलमीन राहतिल आशेक़ीन मुरादिल मुश्ताक़ीन शमशील आरिफ़िन
दुनियाँ जहान के लिये रहमत, आशिक़ों की राहत, मुश्ताक़ों की मुराद, ख़ुदा बशनासो के आफ़ताब

सिराजिस सालिकीन मिस्बाहिल मुक़र्रबीन मोहिब्बुल फुक़राए वल गुरबाए वल मसाक़ीन
राहे ख़ुदा पर चलने वालों के चराग़, मुक़रीबो के रहनुमा, मोहताजों, गरिबों और मिस्कीनों से मोहब्बत रखने वाले

सय्यिदिस शक़लैन नबिय्यील हरमैन इमामिल किब्लतैन
जिन्नात और इंसान के सरदार, हरम शरीफ़ के नबी, दोनों कबीलों (बैतूल मुक़द्दस व क़ाबा) के पेशवा

वसिलतना फिद्दारैन साहिबे क़ाबा कौसेन
और दुनियाँ व आख़िरत में हमारा वसीला है, वह मरतबा जो क़ाबा कौसेन पर फ़ाइज़ है

महबूबे रब्बुल मशरीकैन व मग़रिबैन
दो मशरीक़ो और दो मग़रीबों के रब के मेहबूब है

जद्दील हसनी वल हुसैन मौलाना व मौलस शकलैन
हज़रत इमाम हसन व हुसैन रदिअल्लाहु अन्हु के जद्दे अमज़द, और तमाम रूह के आक़ा है ।

अबिल क़ासिमि मोहम्मद ﷺ इब्ने अब्दुल्लाह नूरुममिन नूरिल्लाह
अबुल क़ासिम मोहम्मद ﷺ बिन अब्दुल्लाह रदिअल्लाहु अन्हु, जो अल्लाह तआला के नूर में से एक नूर है

या आय्योहल मुश्ताक़ुन बिनुरी जमालेही
ऐसे नूरे मोहम्मद ﷺ के मुश्ताक़ों..!

सल्लु अलैही व आलेही व अस्हाबेहि व सल्लीमो तस्लीमा
आप ﷺ पर और आप ﷺ की आल पर और आप ﷺ के अस्हाब पर दुरूद व सलाम भेजो जो भेजने का हक़ है ।

बिस्मिल्ला

 

सुबहाना रब्बेका रब्बिल इज़्ज़ते अम्मा या सिफूना बससलामुन अलल मुरसलीन0 वल हमदु लिल्लाही रब्बिल आलामीन ।

 

अलफ़ातेहा

इसके बाद दुआ पड़े-

या अल्लाह अभी अभी क़ुरान की आयतें पड़ी गयी सिरनी का एहतेराम किया गया और या अल्लाह सभी ने तेरी महफ़िल में हाज़री दी और जो कुछ तेरी बरगाह में पढ़ा या मेरे मौला इसमें जो भी ग़लतियाँ, कोताहिया, ख़ामियाँ जाने अनजाने में या जान बूझकर हो गई हो मौला तु माफ़ करने वाला हे

तु रहीम हे
तु करीम हे
मेरे मौला उन सभी ग़लतियों को माफ़ फ़रमा दे
या अल्लाह इस सब का सवाव तेरी बरगाह मे पेश करता हु क़बूल अता फ़रमा
क़बूल कर के या अल्लाह इस सब का सबाब दो जहाँ के आका वा मौला सरकारे मुस्तफ़ा मुहम्मद
सल्लल्लाहो ताआला अलय हे बसल्लम की बरगाहे रिशालत में पेश करता हु क़बूल फ़रमा
क़बूल कर के या अल्लाह इस सब का सबाब कुल फ़ाये राशेदीन तावाईन तवा-तावाईन मलाइक मुक़र्रबीन  इम्मिल मुहतदीन अजबाज़े मुतह्हरात आप सभों की मुक़द्दस बरगाह में इस सब का सबाब पेश करता हु क़ुबूल अता फ़रमा
क़बूल कर के या अल्लाह इस सब का सबाब कुल अम्बिया एे किराम एक लाख चोबीस हज़ार कमोवेश दो लाख चोबीस हज़ार जो भी तशरीफ़ लाये आप सभों की मुक़द्दस बरगाह में इस सब का सबाब पेश करता हु क़ुबूल अता फ़रमा
क़बूल कर के या अल्लाह इस सब का सबाब कुल ख़ानदाने चिश्तिया कुल ख़ानदाने क़दरिया कुल ख़ानदाने सोहरबरदिया जमालिया क़ुदसिया रिज़्बिया रब्बनिया मनज़ूरिया निजामिया आप सभों की मुक़द्दस बरगाह में इस सब का सबाब पेश करता हु क़ुबूल अता फ़रमा
क़बूल कर के या अल्लाह इस सब का सबाब ( जिस के नाम का त्योहार है और जिसकी रूह को इसका सवाब देना हैं, उनका नाम ) हुज़ूर के बसीले से पेश करता हु क़ुबूल फ़रमा.
इसके बाद जो भी और दुआ माँगनी हो माँगकर पड़े!
सुब्बहाना रब्बेका रब्बिल इज़्ज़ते अम्मा या सीफ़ून वास्साला मुन अलल मुरसलीन बल्हमदों लिल्लाहि रब्बिल आलामीन
1. अगर ईद हैं तो जेसी दुआ है वेसी ही पड़े
2. अगर बकरई ईद हैं तो
हज़रत इसमाईल जमीउल्लाह और इब्राहीम खलीलुल्लाह की बरगाह में पेश करता हु क़बूल आता फ़रमा
3. ईद ऐ मिलाद है तो जेसी दुआ है वेसी ही पड़े
4. 11 वी शरीफ़ में हर आयत को ग्यारह मर्तबा पड़े और साथ में ग्यारह मर्तबा दुरुदे गौसिया भी पड़े

क्या औरत फ़ातिहा नही पढ़ सकती?
Kya Aurat Fateha Padh Sakti Hai?

फातिहा व ईसाले सवाब जिस तरह मर्दो के लिए जाइज़ है उसी तरह बिला शक औरतों के लिए भी जाइज़ है। लेकिन बाज़ औरतें बिला वजह परेशान होती हैं और फातिहा के लिए बच्चों को इधर उधर दौड़ाती हैं। हालांकि वह खुद भी फातिहा पढ़ सकती हैं। कम अज़ कम अल्हम्दो शरीफ़ और कुल हुवल्लाह शरीफ़ अक्सर औरतों को याद होती हैं। इसको पढ़कर खुदाए तआला से दुआ करें कि या अल्लाह इसका सवाब और जो कुछ खाना या शीरीनी है उसको खिलाने और बाँटने का सवाब फलां फलां और फलाँ जिसको सवाब पहुँचाना हो, उसका नाम लेकर कहें उसकी रूह को अता फ़रमा दे। यह फातिहा हो गई और बिल्कुल दुरुस्त और सही होगी।

बाज़ औरतें और लड़कियाँ कुछ जाहिल मर्दों और कठमुल्लाओं से ज़्यादा पढ़ी लिखी और नेक पारसा होती हैं। ये अगर उन जाहिलों के बजाय खुद ही कुर्आन पढ़कर ईसाले सवाब करें तो बेहतर है।

कुछ औरतें किसी बुजुर्ग की फातिहा दिलाने के लिए खाना वगैरह कोने में रखकर थोड़ी देर में उठा लेती हैं और कहती हैं । कि उन्होंने अपनी फातिहा खुद ही पढ़ ली। ये सब बेकार की बातें हैं जो जहालत की पैदावार हैं। इन ख्वाम ख्वाह की बातों की बजाय उन्हें कुर्आन की जो भी आयत याद हो, उसको पढ़कर ईसाले सवाब कर दें तो यही बेहतर है और यह बाक़ाइदे फातिहा है।

हाँ इस बात का ख्याल रखें कि मर्द हो या औरत उतना ही कुर्आन पढ़े जितना सही याद हो और सही मख़ारिज से पढ़ें ग़लत पढ़ना हराम है और ग़लत पढ़ने का सवाब न मिलेगा और जब सवाब मिला ही नहीं तो फिर बख़्शा क्या जाएगा। आजकल इस मसअले से अवाम तो अवाम बाज़ ख़वास भी लापरवाही बरतते हैं।
*💐गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा, 60व 61💐*

Source: shenwajahmednaat.blogspot.com
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