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अल्लाह ताला ने अपने बंदों को सीधा रास्ता दिखाने के लिए समय-समय पर अपने पैगंबरों और संदेष्टाओं को दुनिया में भेजा। दुनिया में लगभग 124000 नबी भेजे गए यह सभी इंसानों में से थे और लोगों को एक अल्लाह की तरफ बुलाते थे। उनमें से कुछ नबी ऐसे थे जिनको अल्लाह ने धार्मिक पुस्तकें प्रदान की थी जिनके मुताबिक वह अपने अनुयायियों को सत्य मार्ग दिखाते थे। जिन नबियों को यह ईश्वरीय ग्रंथ मिलते थे उन्हें रसूल कहा जाता है। हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी एक रसूल थे जिन्हें अल्लाह ताला ने कुरान जैसी मुक़द्दस किताब अता फ़रमाई। कुरान में 25 नबियों का वर्णन मिलता है।

अल्लाह ने समय-समय पर अपने बंदों को सही मार्ग पर लाने के लिए नबी और रसूल भेजें जिन्हें समय-समय पर कई किताबें प्रदान की गई जिनमें से चार प्रसिद्ध किताबों का जिक्र कुरान में मिलता है।

प्रसिद्ध आसमानी किताबें

प्रसिद्ध आसमानी किताबें निम्नलिखित हैं, ये विभिन्न समयकाल में विभिन्न रसूलों पर नाजिल हुईं

• सहूफे इब्राहिमी

हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को प्रदान की गई थी यह किताब अब लुप्त हो चुकी है लेकिन इतिहास में इसका कहीं कहीं जिक्र मिल जाता है।

• तौरात

इस किताब को अल्लाह की तरफ से हजरत मूसा अलैहिस्सलाम पर नाजिल किया गया था यह किताब अब अपनी असल हालत में मौजूद नहीं है लेकिन इसमें भी एकेश्वरवाद की शिक्षा और इस्लाम धर्म का जिक्र मिल जाता है।

• जबूर

यह किताब हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम को प्रदान की गई थी जिससे वह आपने कबीले और मुल्क के लोगों की रहनुमाई करते थे।

• इंजील

इस किताब को वर्तमान में बाइबल के नाम से जाना जाता है इसे हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम पर नाजिल किया गया था इस किताब में हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से लेकर बहुत से नदियों का जिक्र मिल जाता है और इसमें भी हर किताब की तरह एकेश्वरवाद और इस्लाम की मूलभूत शिक्षाओं का जिक्र किया गया है हालांकि इस किताब में भी अब बहुत तब्दीली हो चुकी है और यह अपनी असल हालत में मौजूद नहीं है।

आसमानी किताबें कैसे नाज़िल हुई

यहां पर सबसे बड़ा सवाल ये होता है की आसमानी किताबें कब और कैसे अवतरित की गई। जब किसी समाज या देश में अधर्म का बोलबाला हो जाता और लोग पथ भ्रष्ट हो जाते तो अल्लाह आपने संदेश को पहुंचाने के लिए एक पैगंबर या रसूल भेजता और उसे एक किताब या कुछ बुनियादी बातें बताई जाती जिन्हें वह अपने समाज कि लोगों को बताता और उन्हें सीधी रास्ते पर लाने की कोशिश करता।

जिब्रील अलैहिस्सलाम नबी और रसूलों को ईश्वर का संदेश लाकर देते थे और वह संदेश नबी और रसूल अपने कबीले और लोगों तक पहुंचाते थे। हजरत मोहम्मद सल्ला वसल्लम को भी जिब्रील अलैहिस्सलाम पैगाम लाकर देते थे जिसे वह अपनी कौम तक पहुंचा देते और इस तरह धीरे-धीरे अल्लाह के पैगाम का एक बड़ा जखीरा जमा हो गया जिसे कुरान के नाम से जाना जाता है।

क्या मुसलमान चारों आसमानी किताब पर यकीन रखते हैं

मुसलमानों के लिए अल्लाह की तरफ से नाज़िल की गई हर किताब पर यकीन रखना जरूरी है। अगर कोई अल्लाह की तरफ से नाज़िल की गई इन किताबों का इनकार करता है तो वह इस्लाम का इनकार करता है। मुसलमान तौरात, जबूर, इंजील और कुरान चारों पर यकीन रखते हैं और यह भी मानते हैं कि समय के साथ कुरान के अलावा अन्य सभी किताबों में तब्दीलियां हो चुकी है।

कुरान की रक्षा की जिम्मेदारी स्वयं अल्लाह ने ली है इसलिए उसमें तब्दीली नहीं की जा सकती आज दुनिया में लाखों मुसलमान क़ुरान को कंठस्थ किए हुए हैं और इस तरह कुरान पूर्ण रूप से सुरक्षित है।

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