
بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ
ग़ुस्ल की नीयत
👉🏿 ग़ुस्ल में नीयत सुन्नत है, अगर नीयत न की ग़ुस्ल जब भी हो जाएगा, और उसकी नीयत यह है कि :- नापाकी दूर होने और नमाज़ जाइज़ होने की नीयत करता हूँ। (फतावा रज़्वीया जिल्द 2, सo 18,20)👈🏿
🌹🌹 इस्लाम में क्या गलत क्या सही?🌹🌹
➡ मसअला (1):- लोगों में ये भी मशहूर है कि सतर (शर्मगाह) पर नज़र पड़ने से वुज़ू टूट जाता है, ये गलत और बेबुनियाद है। न अपनी शर्मगाह देखने से वुज़ू टूटता है न ग़ैर का। हाँ अलबत्ता बिला वजह जानबूझकर शर्मगाह पर नज़र डालना मना और नाजाइज़ (हराम) है।
➡ मसअला (2):- बअज़ लोग वुज़ू करते हुए हाथों को कोहनियों की तरफ़ से शुरू करके नीचे उँगलियों की जानिब पानी को बहाते हुए ले आते हैं हालाँकि ये तरीक़ा क़ुरआन व सुन्नत के ख़िलाफ़ है। क़ुरआन पाक में अल्लाह तआला का इरशाद है : “व ऐदि-य कुम इलल मराफिफि ” (सूरए मायदा पारा 6) कि अपने हाथों को कोहनियों तक धोओ। फ़तावा अलमगीरी में है कि सुन्नतों में से ये बात है कि हाथों और पाँव को धोते वक़्त ऊँगलियों की तरफ से शुरुआत किजाए।
➡ मसअला (2):- बअज़ लोग वुज़ू करते हुए हाथों को कोहनियों की तरफ़ से शुरू करके नीचे उँगलियों की जानिब पानी को बहाते हुए ले आते हैं हालाँकि ये तरीक़ा क़ुरआन व सुन्नत के ख़िलाफ़ है। क़ुरआन पाक में अल्लाह तआला का इरशाद है : “व ऐदि-य कुम इलल मराफिफि ” (सूरए मायदा पारा 6) कि अपने हाथों को कोहनियों तक धोओ। फ़तावा अलमगीरी में है कि सुन्नतों में से ये बात है कि हाथों और पाँव को धोते वक़्त ऊँगलियों की तरफ से शुरुआत किजाए।
ग़ुस्ल के फ़राइज़ 🌹🌹
👉🏿 ग़ुस्ल के फ़राइज़ तीन हैं। 👈🏿
(1) कुल्ली करना
(2) नाक में पानी डालना
(3) सारे बदन पर पानी बहाना।
🌹🌹 ग़ुस्ल की सुन्नतें 🌹🌹
(1) ग़ुस्ल की नीयत करना
(2) दोनों हाथों को पहले गट्टो तक तीन बार धोना
(3) बिस्मिल्लाह पढ़ना
(3) बिस्मिल्लाह पढ़ना
(4) शर्मगाह को ग़ुस्ल से पहले धोना उस पर निजासत हो या न हो
(5) वुज़ू करना
(6) तीन मरतबा सर और तमाम बदन पर पानी बहाना
(7) किब्ला की तरफ मुँह न करना
(8) तमाम बदन पर पानी मल लेना ताकि हर जगह पानी अच्छी तरह पहुँच जाए
(9) पानी में कमी या ज़्यादती न करना
(10) औरतों को बैठ कर नहाना
(11) नहाते वक़्त कोई बात न करना
(12) कोई दुआ न पढ़ना।
(12) कोई दुआ न पढ़ना।
🌹🌹 ग़ुस्ल का तरीक़ा 🌹🌹
👉🏿 पहले दोनों हाथ गट्टे तक धोए उसके बाद फिर जहाँ निजासत लगी हो धोए फिर इस्तिन्जा की जगह धोए और बिस्मिल्लाह पढ़ कर वुज़ू करे, कुल्ली के साथ गरारह भी करे लेकिन अगर रोज़े से हो तो गरारह न करे सिर्फ कुल्ली करे नाक में वांसे तक पानी ले जाये, फिर वुज़ू के बाद तमाम बदन पर थोड़ा पानी डाल कर तेल की तरह चुपड़ ले और पहले दाहिने मूढ़े पर फिर बाए मूढ़े पर तीन बार पानी बहाए और बदन खूब मले ताकि कोई जगह पानी पहुँचने से बाकी न रह जाए। खुली हुयी जगह पर नंगा न नहाए मर्द को नाफ से घुटने तक और औरत को गले से टखने तक छुपाना फ़र्ज है और ग़ुस्लखाने वगैरा में हो और जरूरत हो तो न छुपाने में कोई हरज नहीं औरत के बाल अगर गुंधे हों लेकिन जड़ो तक पानी पहुंच सकता है तो खोलने की जरूरत नहीं वरना खोलना जरूरी है अगर ज़ेवर वगैरह पहनी हो तो उसको फिरा कर सुराख़ में पानी को बहाए अगर मर्द के बाल औरत की तरह लम्बे हों और वह चोटी या जुड़ा बाँधें हो तो बालों को खोल कर जड़ो तक पानी पहुचाना जरूरी है वगैर इसके ग़ुस्ल सही नहीं होगा।
(गुलज़ारे शरीअत)
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