हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी माँ हज़रत आमना के इन्तिक़ाल के बाद अपने दादा अब्दुल-मुत्तलिब की तरबिरत (पालन-पोषण) में 2 साल तक रहे…।
जब आपकी उम्र मुबारक 8 साल हुई तो आपके दादा हज़रत अब्दुल-मुत्तलिब का भी इन्तिक़ाल हो गया…। मरते वक़्त हज़रत अब्दुल-मुत्तलिब ने आपके सगे चचा हज़रत अबू तालिब को बुलाकर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को उनके सुपुर्द किया और यह वसीयत की कि बहुत मुहब्बत और प्यार से इनकी परवरिश करना…।
उम्मे ऐमन रज़िअल्लाहु तआला अन्हा कहती हैं कि जिस वक़्त अब्दुल-मुत्तलिब का जनाज़ा उठा तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को देखा कि आप जनाज़े के पीछे रोते जाते थे…।
एक बार आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा गया कि क्या आपको हज़रत अब्दुल-मुत्तलिब का मरना याद है…? तो आपने जवाब दिया कि मैं उस वक़्त आठ साल का था…।
(आख़िरी नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम, पेज 88)
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