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Hazrat Ali Biography । हज़रत अली जीवनी 

  • हज़रत अली जो की मोहम्मद पैगम्बर के चचेरे भाई और बादमे दामाद थे। 
  • उनका मोहम्मद पैगम्बर के धर्मप्रचार में बहुत बड़ा योगदान रहा। 
  • उन्होंने मोहम्मद पैगम्बर की कई दफा जान बचाइ। 
  • खैबर की जंगमे उन्होंने कईको ढेर कर दिया। 
  • बादमे वो खलीफा बने और उनकी हत्या कर दी गयी। 

प्राथमिक जीवन : हज़रत अली

  • १७ मार्च सन ६०० में अली इब्ने अबी तालिब का जन्म हुआ। अली “हजरत अली” नामसे बादमें प्रसिद्ध हुए थे। हज़रत अली की पैदाइश सऊदी अरब के मक्का में हुई।
  • अली की पैदाइश के वक्त उनकी माता फातिमा मक्का में काबे की तरफ दुआ मांगने जा रही थी, लेकिन काबे के दरवाजे को ताला लगा हुआ था। तो जब वो वहा कड़ी थी तो काबे की दीवार फट गई और फातिमा अंदर दाखिल हुई। अली के पिता अबुतालिब इब्ने अब्दुल मुत्तलिब और पैगंबर मोहम्मद भी वह पहुंचे हुए थे। उनके काबे मे तशरीफ लाने के चार दिन बाद फातिमा बाहार हात में अपने बच्चे को लेते हुए आई।
  • सब जमा हुई भीड़ उनके तरफ आनंद से देख रही थी। पैगंबर मोहम्मद साहब ने बच्चे का नाम अली रख दिया था। पैगंबर मोहम्मद साहब के पिता अब्‍दुल्लाह और अली के पिता भाई थे, तो वो अली के चचेरे भाई हुए। पैगंबर मोहम्मद साहब की उम्र उस वक्त २८ साल थे ।
  • अली मोहम्मद पैगम्बर साहब के साथ ही बचपन से रहते थे।

मोहम्मद पैंगम्बर और आसमानी किताब : हज़रत अली

  • पैगंबर मोहम्मद साहब पर जब आसमानी किताब नाज़िल होने लगी, तब हज़रत अली की उम्र महज़ 10 साल थे।
  • इससे पहले अरब में इस्लाम मज़हब का कोई तसव्वुर नहीं था। अरब में शराब आम थी, लोग बेटियों का पैदा होना बुरा मानते थे, और बेटियों की पैदाइश के बाद उन्हें ज़िंदा दफना दिया जाता था।
  • आसमानी फरिश्ता हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम कुरआन पाक की आयतें हज़रत मोहम्मद साहब के पास लाने लगे। पैगंबर मोहम्मद को यह बताया गया कि वो अल्लाह के आख़िरी नबी हैं और दुनिया में रहमत-शांति का पैगाम देने के लिए भेजे गए हैं।
  • जब पैगंबर हज़रत मोहम्मद ने ये बात अपने परिवार में बताई, तो उनकी बीवी ने सबसे पहले उन पर यक़ीन कर लिया। इस तरह से उन्हें आख़िरी नबी मान लिया गया।

धर्मप्रचार और लोगो का पैगम्बर पर विश्वास : हज़रत अली

  • जब हज़रत मोहम्मद ने मक्का के लोगों को आसमानी किताब की बात बतानी शुरू की, तो लोग उन्हें झुठलाने लगे और उनकी बात का इंकार करने लगे।
  • तब एक बहुत बड़े मजमे में हज़रत अली उठे और उन्होंने हज़रत मोहम्मद की बात का ऐतबार करते हुए उन्हें आखिरी नबी माना। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि भले ही मेरी उम्र काफी छोटी है, मुझमें ताकत कम है, लेकिन मैं अपनी आख़िरी सांस तक आपके साथ खड़ा रहूंगा।
  • जब पैगंबर मोहम्मद अरब के लोगों को ईश्वर का पैगाम सुनाते और नेक काम करने की दावत देते, तो लोग उनकी जान के दुश्मन हो जाते। ऐसे में जब हालात बहुत ज़्यादा ख़राब हुए तो पैगंबर मोहम्मद को मक्का छोड़कर मदीना जाना पड़ा।
  • इस दौरान हज़रत अली हर नाज़ुक मौके पर ढाल बनकर पैगंबर मोहम्मद के साथ खड़े रहे।

हज़रत अली अली की शादी :

  • पैगंबर हज़रत अली से काफी मोहब्बत करते थे।  यही कारण था कि उन्होंने अपनी बेटी फातिमा का निकाह हज़रत अली से ६२३ में किया। यानी अली अबतक मुहम्मद साहब के चचेरे भाई थे और अब दामाद बन गए थे।

खैबर की जंग में हज़रत अली की दिलेरी:

  • जब हज़रत मोहम्मद ने मक्का के लोगों को आसमानी किताब की बात बतानी शुरू की, तो लोग उन्हें झुठलाने लगे और उनकी बात का इंकार करने लगे।
  • तब एक बहुत बड़े मजमे में हज़रत अली उठे और उन्होंने हज़रत मोहम्मद की बात का ऐतबार करते हुए उन्हें आखिरी नबी माना। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि भले ही मेरी उम्र काफी छोटी है, मुझमें ताकत कम है, लेकिन मैं अपनी आख़िरी सांस तक आपके साथ खड़ा रहूंगा।
  • जब पैगंबर मोहम्मद अरब के लोगों को ईश्वर का पैगाम सुनाते और नेक काम करने की दावत देते, तो लोग उनकी जान के दुश्मन हो जाते। ऐसे में जब हालात बहुत ज़्यादा ख़राब हुए तो पैगंबर मोहम्मद को मक्का छोड़कर मदीना जाना पड़ा।
  • इस दौरान हज़रत अली हर नाज़ुक मौके पर ढाल बनकर पैगंबर मोहम्मद के साथ खड़े रहे।

अली की शादी :

  • पैगंबर हज़रत अली से काफी मोहब्बत करते थे।  यही कारण था कि उन्होंने अपनी बेटी फातिमा का निकाह हज़रत अली से ६२३ में किया। यानी अली अबतक मुहम्मद साहब के चचेरे भाई थे और अब दामाद बन गए थे।

खैबर की जंग में हज़रत अली की दिलेरी:

  • इस्लामिक रिवायतों से पता चलता है कि हज़रत अली को शहादत रमज़ान माह में मिली। मस्जिद में नमाज़ अदा करने के दौरान उन्हें कत्ल कर दिया गया था। 
  • १९ रमज़ान की सुबह कूफा की मस्जिद में नमाज़ पढ़ाने के लिए हज़रत अली मस्जिद गए थे। वहीं मस्जिद में मुंह के बल अब्दुर्रहमान इब्ने मुलजिम नाम का एक व्यक्ति सो रहा था। उसको हज़रत अली ने नमाज़ पढ़ने के लिए जगाया। इसके बाद हज़रत अली खुद नमाज़ पढ़ने में मशगूल हो गए। 
  • हज़रत अली जैसे ही नमाज़ में सजदा करने गए और अपने सिर को ज़मीन पर टेका, तभी पीछे से अब्दुर्रहमान ने ज़हर में डूबी तलवार से उनके ऊपर वार कर दिया। ज़हर में डूबी तलवार का पूरा ज़हर उनके बदन में तैर गया। 
  • अब्दुर्रहमान इब्ने मुलजिम के बारे में कहा जाता है कि उसने ये अटैक मुआविया के उकसावे में आकर किया। मुआविया अली के खलीफा बनाए जाने के खिलाफ था। 
  • अली के जिस्म में ज़हर फैल गया हकीमों ने हाथ खड़े कर दिए और फिर २१ रमजान को वो घड़ी आई, जब शियाओं के पहले इमाम और सुन्नियों के चौथे खलीफा अली इस दुनिया से रुखसत हो गए। 
  • मुआविया की दुश्मनी अली की मौत के भी बाद रुकी नहीं। उनके बाद अली के बड़े बेटे हसन को ज़हर देकर मारा गया और फिर कर्बला इराक में अली के छोटे बेटे हुसैन को शहीद किया गया। 
 
तो दोस्तों आपको ये बायोग्राफी कैसी लगी ये प्लीज कमैंट्स में बताना और लाइक और शेयर करना मत भूलना. क्योंकी इसे मैंने आपके लिए बड़ी मेहनत्त से बनाया है। थैंक यू सो मच।  एंड सी यू अगेन।
Source:https://mentalbiography.blogspot.com/2020/05/hazrat-ali-biography-10.html
Asalam-o-alaikum , Hi i am noor saba from Jharkhand ranchi i am very passionate about blogging and websites. i loves creating and writing blogs hope you will like my post khuda hafeez Dua me yaad rakhna.
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