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दिमाग को तेज और मजबूत रखने के घरेलू उपाय

बाह्मी
बाह्मी नामक जड़ी-बूटी को दिमाग के लिए टॉनिक भी कहा जाता है। यह दिमाग को शांति और स्पष्टता प्रदान करती है और याद्दाश्त को मजबूत करने में भी मदद करती है। आधे चम्मच बाह्मी के पाउडर और शहद को गर्म पानी में मिलाकर पीने से दिमाग तेज होता है।

शंख पुष्पी
शंख पुष्‍पी दिमाग को बढ़ाने के साथ-साथ दिमाग में रक्त का सही सर्कुलेशन करके हमारी रचनात्मकता को भी बढ़ावा देता है। यह जड़ी-बूटी हमारी याद करने की क्षमता और सीखने की क्षमता को भी बढ़ाती है। दिमाग को तेज करने के लिए आधे चम्मच शंख पुष्पी को एक कप गरम पानी में मिला कर लें।

दालचीनी
दालचीनी सिर्फ गर्म मसाला ही नहीं, बल्कि एक जड़ी-बूटी भी है। यह दिमाग को तेज करने की बहुत अच्‍छी दवा है। रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और दिमाग तेज होता है।

हल्‍दी
हल्दी दिमाग के लिए बहुत अच्‍छी जड़ी-बूटी है। यह सिर्फ खाने के स्वाद और रंग में ही इजाफा नहीं करती है, बल्कि दिमाग को भी स्वस्थ रखने में मदद करती है। हल्दी में पाया जाने वाला रासायनिक तत्व कुरकुमीन दिमाग की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को रिपेयर करने में मदद करता है और इसके नियमित सेवन से एल्जाइमर रोग नहीं होता है।

जायफल
दिमाग को तेज करने वाली जड़ी-बूटियों में जायफल भी एक उपयोगी जड़ी-बूटी है। गर्म तासीर वाले जायफल की थोड़ी मात्रा का सेवन करने से दिमाग तेज होता है। इसको खाने से आपको कभी एल्‍जाइमर यानी भूलने की बीमारी नहीं होती।
अजवाइन की पत्तियां
अजवाइन की पत्तियां खाने में सुगंध के अलावा शरीर को स्‍वस्‍थ बनाए रखने में भी मदद करती है। इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद एंटी-ऑक्‍सीडेंट दिमाग के लिए एक औषधि की तरह काम करता है।

तुलसी
तुलसी कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए एक जानी-मानी जड़ी बूटी है। इसमें मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट हृदय और मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है। साथ ही इसमें पाई जाने वाली एंटी-इंफ्लेमेटरी अल्‍जाइमर जैसे रोग से सुरक्षा प्रदान करता हैं।

केसर
केसर एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग खाने में स्‍वाद बढ़ाने के सा‍थ-साथ अनिद्रा और डिप्रेशन दूर करने वाली दवाओं में किया जाता है। इसके सेवन से दिमाग तेज होता है।

कालीमिर्च
काली मिर्च में पाया जाने वाला पेपरिन नामक रसायन शरीर और दिमाग की कोशिकाओं को आराम देता है। डिप्रेशन को दूर करने के लिए भी यह रसायन जादू सा काम करता है। इसीलिए दिमाग को स्वस्थ बनाए रखने के लिए काली मिर्च का उपयोग करें।
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भूख बढाने के उपाय :

भूख नही लगने पर आधा माशा फ़ूला हुआ सुहागा एक कप गुनगुने पानी में दो तीन बार लेने से भूख खुल जाती है।

काला नमक चाटने से गैस खारिज होती है,और भूख बढती है,यह नमक पेट को भी साफ़ करता है।

हरड का चूर्ण सौंठ और गुड के साथ अथवा सेंधे नमक के साथ सेवन करने से मंदाग्नि ठीक होती है।

सेंधा नमक,हींग अजवायन और त्रिफ़ला का समभाग लेकर कूट पीस कर चूर्ण बना लें,इस चूर्ण के बराबर पुराना गुड लेकर सारे चूर्ण के अन्दर मिला दें,और छोटी छोटी गोलियां बना लें,रोजाना ताजे पानी से एक या दो गोली लेना चालू कर दे,यह गोलियां खाना खाने के बाद ली जाती है,इससे खाना पचेगा भी और भूख भी बढेगी।

हरड को नीब की निबोलियों के साथ लेने से भूख बढती है,और शरीर के चर्म रोगों का भी नाश होता है।

हरड गुड और सौंठ का चूर्ण बनाकर उसे थोडा थोडा मट्ठे के साथ रोजाना लेने से भूख खुल जाती है।

छाछ के रोजाना लेने से मंदाग्नि खत्म हो जाती है।

सोंठ का चूर्ण घी में मिलाकर चाटने से और गरम जल खूब पीने से भूख खूब लगती है।

रोज भोजन करने से पहले छिली हुई अदरक को सेंधा नमक लगाकर खाने से भूख बढती है।

लाल मिर्च को नीबू के रस में चालीस दिन तक खरल करके दो दो रत्ती की गोलियां बना लें,रोज एक गोली खाने से भूख बढती है।

गेंहूं के चोकर में सेंधा नमक और अजवायन मिलाकर रोटी बनवायी जाये,इससे भूख बहुत बढती है।

मोठ की दाल मंदाग्नि और बुखार की नाशक है।

डेढ ग्राम सांभर नमक रोज सुबह फ़ांककर पानी पीलें,मंदाग्नि का नामोनिशान मिट जायेगा।

पके टमाटर की फ़ांके चूंसते रहने से भूख खुल जाती है।

दो छुहारों का गूदा निकाल कर तीन सौ ग्राम दूध में पका लें,छुहारों का सत निकलने पर दूध को पी लें,इससे खाना भी पचता है,और भूख भी लगती है।

जीरा सोंठ अजवायन छोटी पीपल और काली मिर्च समभाग में लें,उसमे थोडी सी हींग मिला लें,फ़िर इन सबको खूब बारीक पीस कर चूर्ण बना लें,इस चूर्ण का एक चम्मच भाग छाछ मे मिलाकर रोजाना पीना चालू करें,दो सप्ताह तक लेने से कैसी भी कब्जियत में फ़ायदा देगा।
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क्‍यों पडते हैं आंखों के नीचे डार्क सर्कल?

क्‍या आप अपने आंखों पर पड़े डार्क आई सर्कल से परेशान हो चुकी हैं, तो जरा ठहरिये और सोचिये कि आखिर इसके पीछे क्‍या कारण हो सकता है। कई बार आपने यह सोंच कर धोखा खाया होगा कि आप शायद ठीक से अपनी नींद नहीं पूरी करती इसलिये आपके डार्क सर्कल हो गए। तो चलिये जानते हैं इस समस्‍या के पीछे छुपे कारणों के बारे में।
जाने क्‍या है कारण-

1. मेकअप- अगर आपकी स्‍किन काफी संवेदनशील है, तो आपको एलर्जी हो सकती है जिससे डार्क आइ सर्कल हो जाता है। आंखों के नीचे की स्‍किन काफी पतली होती है, जिससे यह एरिया सबसे पहले एलर्जी की चपेट में आता है। किसी भी प्रकार का आइ मेकअप इस्‍तमाल किया जाने वाला उत्‍पाद, डार्क सर्कल के लिये पूरी तरह से जिम्‍मेदार हो सकता है। इसलिये हमेशा आंखों के लिये सोंच समझ कर ही प्रोडक्‍ट चुने।

2. बीमारी- एनीमिया या किडनी की गडबडी से भी डार्क सर्कल हो सकते हैं। इसलिये अगर आपके शरीर में खून की कमी हो तो सबसे पहले डॉक्‍टर से परामर्श लें और उसका जल्‍द इलाज करवाएं। इससे ना केवल आपकी बीमारी ठीक होगी बल्कि आपके डार्क सर्कल भी समाप्‍त हो जाएंगे।

3. थकान और अनिंद्रा- अगर आप दिन-रात शारीरिक तथा मांसिक रूप से अपने आप को काम में बिजी रखती हैं, तो भी आकपो डार्क सर्कल हो सकते हैं। पूरी नींद ना कर पाने भी इसकी आम वजह होती है।

4. पानी की कमी- अगर आप कम पानी पीती होंगी तो भी डार्क सर्कल हो सकते हैं। कम पानी पीने से शरीर में ब्‍लड सर्कुलेशन सही से नहीं हो पाता और आंखों के नीचे की नसों को पूरा खून नहीं मिल पाता, जिससे डार्क सर्कल हो जाते हैं। तो, इसलिये खूब सारा पानी और फ्रेश फ्रूट जूस पीजिये।

5. पिगमेंटेशन-   कडी धूप की वजह से स्‍किन पर डार्क स्‍पॉट पड़ जाते हैं। साथ ही देखा यह गया है कि जो लोग सांवले रंग के होते हैं, उन्‍हें यह समस्‍या जादा होती है। इसलिये आंखों पर हमेशा काला चशमा तथा सन ब्‍लॉक लगा कर ही धूप में निकलें।

6. खराब लाइफस्‍टाइल- अगर आप धूम्रपान, शराब का सेवन या फिर रात-भर पार्टी आदि करती हैं, तो भी आपको डार्क सर्कल हो सकते हैं। इसलिये हमेशा इन सब बुरी लतो से बचने की कोशिश करें।
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खूबसूरत बनाए हाथ, बांहें और कोहनियां
नारी की खूबसूरती में जहां चेहरा मुख्य भूमिका अदा करता है, आँखें चार चांद लगाती हैं वहीं नारी के हाथ, बांहें और कोहनियां उसकी खूबसूरती को परवान चढाने में बेहद मददगार साबित होते हैं। अक्सर महिलाएं अपने चेहरे को खूबसूरत बनाने में तो घंटों खर्च करती हैं लेकिन वे शारीरिक सुन्दरता के अन्य मुख्य स्तम्भ हाथ, बांहें और कोहनियों को नजरअंदाज कर जाती हैं। खूबसूरत त्वचा की चाहत हर महिला और युवती की होती है। हाथ, बांहें और कोहनियां भी नारी के सौंदर्य में इजाफा करते हैं यदि ये अंग भद्दे, काले या खुरदरे हों तो सुन्दरता में फीकापन नजर आने लगता है। रोज की भागदौड, तनाव, धूप, प्रदूषण आदि ऎसे कारण हैं, जिनकी वजह से यह भाग ज्यादातर मैले ही नजर आते हैं। ऎसी अवस्था में हाथों, बांहों और कोहनियो को भी सुन्दर, आकर्षक तथा सुकोमल बनाने के लिए उचित उपाय करने चाहिए। इससे आपके चेहरे का सौंदर्य एवं आकर्षण कई गुना अधिक बढ जाएगा।
सुकोमल हाथ
मुलायम,आकर्षक तथा नाजुक हाथ किसे अच्छे नहीं लगते। हाथ आपके व्यक्तित्व, आदतों और उम्र की चुगली कर देते हैं। सुंदर हाथ नारी के सुंदर व्यक्तित्व का आईना हैं। जिस नारी के हाथ जितने सुंदर और नाजुक होंगे, उसका व्यक्तित्व उतना ही आकर्षक होगा। घरेलू नुस्खे रात को सोते समय एक चम्मच मलाई में दो-तीन बूंद नींबू का रस तथा दो-तीन बूंद ग्लिसरीन मिलाकर हाथों पर ठीक से लगाएं। इससे हाथों की त्वचा साफ और सुंदर होती है। आधा नींबू काट लें। उस पर एक चम्मच चीनी रखकर हाथों की त्वचा पर तब तक रगडें, जब तक चीनी पूरी तरह घुल ना जाए। इस उपचार से हाथों का खुरदरापन, कालापन तथा झुर्रियां दूर होती हैं। एक बडा चम्मच दही में एक छोटा चम्मच बादाम रोगन मिला लें। इसे ठीक से फेंटकर दोनों हाथों पर लगाएं। आधे घंटे बाद गुनगुने पानी से धो लें। यह प्रयोग सप्ताह में एक बार जरूर करें। इससे खुरदरे हाथ मुलायम हो जाते हैं। एक चम्मच टमाटर का रस, एक चम्मच गि्लसरीन और एक चम्मच नींबू का रस- तीनों को मिलाकर हाथों पर लगाएं। इससे हाथों की त्वचा का कालापन दूर होकर त्वचा में निखार आ जाता है।
बचाव के उपाय
घर का काम करते समय, विशेष रूप से बर्तनों की सफाई तथा कपडों की धुलाई के समय दस्तानों का प्रयोग करें। हाथों को अधिक समय तक गीला ना रखें। इससे हाथों की त्वचा शुष्क एवं खूरदरी हो जाती है। रात को सोते समय हाथों को गुनगुने पानी में थोडी देर तक डुबोए रखें। इससे थके हुए हाथों को आराम मिलता हैं। तेज धूप में निकलने पर हाथों पर हैंड लोशन, सनस्क्रीन लोशन या क्रीम जरूर लगा लें। हाथों और नाखूनों का सौंदर्य बनाए रखने के लिए रोजाना पौष्टिक आहार का सेवन करें।
खूबसूरत बांहें
बेडौल, थुलथुल तथा खुरदरी बांहें आपकी खूबसूरती में दाग लगा देती हैं। स्लीवलेस कपडे पहनने पर बांहों के प्रति विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
घरेलू नुस्खे
एक चम्मच बेसन, एक चम्मच ओलिव ऑयल और एक चम्मच हल्दी-तीनों को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे उबटन की तरह बांहों पर लगाएं। थोडी देर बाद उल्टी बत्तियां बनाते हुए उतारें। इससे बांहों के रोएं कम हो जाते हैं। कच्चो दूध में थोडा-सा नमक और आधा चम्मच गुलाबजल मिलाकर बांहों पर लगाएं। आधे घंटे बाद बांहों को धो लें। इससे त्वचा साफ होती है। एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच गुलाबजल और एक चम्मच गिलसरीन-तीनों को मिलाकर पूरी बांहों पर लगाएं। इससे शीतकाल में होने वाला रूखापन समाप्त हो जाता है।
बचाव के उपाय
बांहो की खूबसूरती बनाए रखने के लिए नियमित रूप से देखभाल, व्यायाम, मालिश तथा उबटन का प्रयोग करें। यदि आपकी बांहें अधिक बेडौल, मोटी और थुलथुल हों तो बैडमिंटन या टेनिस खेलें या स्विमिंग करें। इसके अलावा बांहों के लिए विशेष व्यायाम करें। बांहों पर अधिक एवं वजनदार आभूषण ना पहनें। इससे बांहें बेडौल तथा अनाकर्षक हो जाती है। जब भी तेज धूप में निकलें, बांहों पर सनस्क्रीन क्रीम या लोशन लगा लें।
कोहनियों का कालापन
कोहनियों की साफ-सफाई पर ध्यान ना देने से कोहनियां अपनी सुंदरता खो बैठती हैं। कोहनियां काली, खुरदरी एवं अनाकर्षक हो जाती हैं। कोहनियां अपना आकर्षण ना खोएं, इसके लिए स्नान करते समय सभी अंगों की सफाई की भांति कोहनियां की भी नियमित रूप से सफाई करें। एक कप गुनगुने पानी में एक चम्मच नींबू का रस डालें। अब रूमाल को इस पानी में भिगोकर काली हुई कोहनियो पर रखें ताकि मैल फूल जाए। फिर रूमाल से हल्के-हल्के रगडकर मैल साफ करें। नींबू का छिलका रोजाना कोहनियों पर मलने से काली पड गई कोहनियां साफ एवं चिकनी हो जाती हैं। खुरदरी कोहनियां होने पर आधे नींबू पर चीनी रखकर रगडें। इससे वहां की मैल ठीक से साफ होकर कोहनी सुन्दर हो जाएगी।
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स्ट्रेच मार्क्स से राहत के घरेलू उपाय

वैसे तो स्ट्रैच मार्क्स किसी भी उम्र में हो सकता है पर देखा यह गया है कि यह आमतौर पर गर्भावस्था के बाद महिलाओं में हो जाता है। लेकिन जरा सी मेहनत और खुद पर थोड़ा सा ध्यान देकर वे इस समस्या से निजात पा सकती हैं। प्रसव के बाद महिलाओं को सामान्‍यतया स्‍टेच मार्क्‍स की समस्‍या से जूझना पड़ता है। गर्भवती होने के बाद महिला की त्‍वचा में खिंचाव आता है और इसके कारण ही यह समस्‍या होती है। हालांकि समय के साथ यह निशान मिट जाते हैं, लेकिन इसे हटाने के लिए मशक्‍कत करनी पड़ती है। आइए हम आपको स्‍ट्रेच मार्क्‍स हटाने के कुछ उपाय बताते हैं।

स्ट्रैच मार्क्स
त्वचा पर जब किसी तरह के खिंचाव या स्ट्रैच के कारण जो निशान उभर आते हैं उन्हें स्ट्रेच मार्क्स कहते हैं। यह तब होते है जब प्रेग्नेंसी में त्वचा अपनी सामान्य सीमा से ज्यादा फैल जाती है और डिलिवरी के बाद ढीली हो जाती है। आमतौर पर यह निशान पेट, कूल्हों, जांघों या स्तन पर गर्भावस्था के दौरान या बाद में हो सकते है। आइए हम आप को बताते है कुछ उपाय जिनका इस्तेमाल करके आप इनसे छुटकारा पा सकती हैं।

स्ट्रेच निशान हटाने के उपाय

व्यायाम (एक्सरसाइज)
व्यायाम खिंचाव के निशान को दूर करने के लिए एक बहुत अच्छा तरीका है। कसरत आपकी मांसपेशियों को मजबूत करता है जिससे खिंचाव के निशान कम होते है।

प्रोटीन और विटामिन
प्रोटीन और विटामिन हमेशा त्वचा के लिए अच्छा माना जाता है। विटामिन सी और विटामिन युक्त भोजन खिंचाव के निशान के उपचार में बहुत उपयोगी होते हैं। खिंचाव के निशान के इलाज में दूध और अन्य डेयरी उत्पादों का सेवन भी ज्यादा करना चाहिए।

हरी सब्जियां
भोजन में हरी सब्जियां खिंचाव के निशान के स्थायी रूप से छुटकारा पाने में मदद करता है। आयरन जो हरी पत्तेदार सब्जियों में होता है, स्टार्च के निशान को हटाने में रबड़ का काम करता है।

स्क्रब
खूबानी और अखरोट जैसे स्क्रब रगडने से भी स्टा‍र्च के निशान को कम करने मे मदद करता है। यदि एक महिला जब वह गर्भवती है, तब से इन स्क्रब का इस्तेमाल करती है, तो स्टार्च के निशान गर्भावस्था के बाद कभी भी विकसित नही होंगे।

स्ट्रेच मार्क्‍स हटाने के लिए तेल
2 चम्मच बादाम तेल के साथ 1 चम्मच वीट जर्म तेल मिलाएं। अब उसमें 5 बूंदें गुलाब के तेल और मेंहदी के तेल की डाल दें। इस मिश्रण से 15-20 मिनट मालिश करने से काफी लाभ मिलता है।
10 बूंदें मेंहदी और 2 चम्म च बादाम के तेल को मिलाकर हल्केि हाथों से स्ट्रैच निशान पर तब तक मालिश करें जब तक त्वाचा सारा तेल सोख न ले।
स्ट्रैच निशान के इलाज के लिए एक प्राकृतिक उपाय यह भी है कि जैतून के तेल की कुछ बूंदों के साथ 5 बूंदें लैवेंडर के तेल की मिला दें और फिर मालिश करें।
3 चम्मच जोजोबा तेल, 10 बूंदें पचौली तेल और 5 बूंदें लैवेंडर की लें और 15 मिनट तक मालिश करें।
खुबानी, जिसको ऐप्रीकोट भी कहा जाता है। इसको लेवेंडर के तेल के साथ मिला कर मालिश करने से फायदा होता है।

इसके अलावा आप बाजार में मिलने वाली स्ट्रैच मार्क्स क्रीम जो विटामिन ई युक्त हो का प्रयोग कर सकती हैं। रेटिनोइक एसिड पील, पिक्ज़ल लेज़र, डर्मारोलर  और कार्बोक्सीथेरेपी जैसे उपचार भी ले सकती हैं। स्ट्रैच मार्क्स के सही उपचार के लिए आपको त्वचा रोग विशेषज्ञ से परामर्श ले लेना चाहिए

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फैट कम करने के उपाय

मोटापा शरीर के लिए बीमारी का घर होता है। मोटापा शरीर में जमा होनेवाली अतिरिक्त चर्बी होती है जिससे वजन बढ़ जाता है और यही मोटापा कई बीमारियों का घर बनता है। मोटापे का मतलब है, शरीर में बहुत ज्यादा चर्बी होना। जबकि ज्यादा वजनदार होने का मतलब है, वजन का सामान्य से ज्यादा होना।

जिस व्यक्ति का BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स 25 से 29.9 के बीच होता है, उसे डॉक्टरी भाषा में ओवरवेट या ज्यादा वजनदार कहा जाता है। दूसरी ओर जब BMI 30 या उससे अधिक होता है, तो इसे मोटापा कहा जाता है। मोटापा घटाने के लिए खान-पान में सुधार जरूरी है।

कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी हैं, जिनके सेवन से वजन नियंत्रित रहता है। मोटापा कम करने के लिए यूं तो खानपान पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। कुछ कसरत और नमाज ईबादत को भी नियमित कर मोटापा पर काबू पाया जा सकता है। साथ ही कुछ प्राकृतिक चीजों को रोजाना अपनाकर आप मोटापा कम कर सकते हैं। यदि आप वजन कम करने के लिए बहुत मेहनत नहीं कर पाते हैं तो ये छोटे-छोटे उपाय आपके बढ़ते वजन को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

-खाना खाने के बाद गुनगुने पानी को पीने से वजन तेजी से घटता है। लेकिन खाना खाने के लगभग पौन या एक घंटे बाद एक ग्लास पानी का सेवन करना चाहिए।

-कच्चे या पके हुए पपीता का सेवन खूब करना चाहिए। इससे शरीर में अतिरिक्त चर्बी नहीं जमती और वजन तेजी से घटता है।
कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खा सकते हैं
-दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करना लाभदायक है।

-छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के वक्त छाछ के साथ लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है।

-गरम पानी में नींबू का रस और शहद घोलकर रोज सुबह खाली पेट पिएं। इससे पेट सही रहेगा और मोटापा दूर होगा।

-ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो मोटापा घटाने के साथ-साथ चेहरे की झुर्रियों को भी दूर करता है। ग्रीन टी को बिना चीनी के पीने से इसका फायदा जल्द होता है।

-एप्पल साइडर वेनिगर को पानी या जूस के साथ मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। यह पाचन तंत्र को सही रखता है और कोलेस्ट्रॉल भी कम करता है।

– एक रिसर्च के मुताबिक वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। हरी या काली मिर्च में पाए जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से भूख कम होती है। इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।

-रोज सुबह-सुबह एक गिलास ठंडे पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पिएं। इस घोल को पीने से शरीर से वसा की मात्रा कम होती है।

– रोज पत्तागोभी का जूस पिएं। पत्तागोभी में चर्बी घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सही रहता है।

– सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से वसा में कमी होती है।

– एक चम्मच पुदीना रस को 2 चम्मच शहद में मिला कर लेते रहने से मोटापा कम होता है।

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अच्छी सेहत मे विटामिन की महती भूमिका : A role of vitamins in good health

विटामिन छोटे अणु होते हैं और  शरीर की विभिन्न गतिविधियों को चलाने के लिए इनकी जरूरत पड़ती है। हमारा शरीर अपने आप विटामिनों का निर्माण नहीं करता, इसलिए विटामिन उस भोजन से ही आना चाहिए जो हम खाते हैं। हमारे शरीर को 13 अलग-अलग विटामिनों की आवश्यकता होती है, जिनमें से ए, बी कॉम्प्लेक्स, सी, डी, ई और के बहुत महत्वपूर्ण हैं। जब कोई विटामिन आप पर्याप्त मात्रा में नहीं लेते, तब शरीर में इसकी कमी हो जाती है, जिससे अनेक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।

विटामिन ए

वसा में घुलनशील विटामिन ए मुख्य रूप से रेटिनॉइड और कैरोटिनॉइड, दो रूपों में पाया जाता है। सब्जियों का रंग जितना गहरा होगा, उनमें कैरोटिनॉइड की मात्रा उतनी ही अधिक होगी। अनेक कैरोटिन में से बीटा-कैरोटिन, अल्फा  कैरोटिन और बीटा-जैन्थोफिल सबसे महत्वपूर्ण हैं। यह विटामिन आंखों की रोशनी को बनाए रखता है। यह स्वस्थ त्वचा, दांतों, हड्डियों, मुलायम उतकों और म्युकस मेंब्रेन, प्रजनन और स्तनपान के लिए भी आवश्यक है। पालक, गाजर, कद्दू, ब्रोकली, गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडे, मांस, दूध, पनीर, क्रीम, लीवर, किडनी और मछली जैसे पशु उत्पादों में यह प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ‘ईसकी कमी से रतौंधी रोग जन्म लेता है , बच्चों में विटामिन ए की कमी के कारण पाचन मार्ग और श्वसन मार्ग के ऊपरी भाग के संक्रमण का खतरा आदि रोग होते  हैं|

विटामिन बी

इसमें सम्मिलित हैं विटामिन बी1 (थियामिन), राइबोफ्लेविन (विटामिन बी12),  नियासिन (विटामिन बी3), पैंटोथोनिक एसिड (विटामिन बी5), पाइरिडॉक्सिन (विटामिन बी6), बायोटिन (विटामिन बी7), फॉलिक एसिड (विटामिन बी9) और कोबालामिन (विटामिन बी12)। प्रत्येक की विशिष्ट संरचना और विशिष्ट कार्य होते हैं।
बी1 और बी2 मांसपेशियों, तंत्रिकाओं और हृदय की कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक हैं। बी3 तंत्रिका और पाचन तंत्र को नियंत्रित करने में सहायता करता है। बी6 इम्यून तंत्र को सहारा देता है और प्रोटीन को तोडऩे में शरीर की सहायता करता है। बी9 ब्रेस्ट कैंसर को रोकने में सहायता करता है। बी12 सर्वाइकल कैंसर की आशंका को कम करता है। साबुत अनाज, पालक, फलियां, अंकुरित अनाज, अंडे का पीला भाग, डेयरी उत्पाद, सुखे मेवे, किडनी और मांस विटामिन बी कॉम्प्लेक्स के अच्छे स्रोत माने जाते हैं।

विटामिन सी

यह एक एंटीऑक्सीडेंट है। विटामिन सी शरीर में एकत्र नहीं होता। यह शरीर की कोशिकाओं को एक साथ रखता है और रक्त नलिकाओं की दीवार को मजबूत करता है। दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ  रखता है। इम्यून तंत्र को मजबूत बनाता है। ब्रोकली, अंकुरित अनाज, गोभी, खट्टे फल, पालक, स्ट्रॉबेरीज, टमाटर आदि इसके स्रोत हैं। इसकी कमी से एनीमिया हो जाता है। मसूड़े कमजोर और दांत ढीले हो जाते हैं। इसकी कमी से त्वचा पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।

विटामिन डी

यह एक मात्र विटामिन है, जो हमें धूप से मुफ्त में मिलता है, फिर भी भारत में 49 प्रतिशत शहरी और 20 प्रतिशत ग्रामीणों में इसकी कमी है। यह शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करता है, जो तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली और हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूर्य की किरणें हैं।

जब हमारे शरीर की खुली त्वचा सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणों के संपर्क में आती है तो ये किरणें त्वचा में अवशोषित होकर विटामिन डी का निर्माण करती हैं। इसके अलावा दूध, अंडे, चिकन, मछलियां भी विटामिन डी के अच्छे  स्रोत हैं। इसकी कमी से ‘मांसपेशियों की कमजोरी,  जोड़ो में दर्द ,’मार्निंग सिकनेस ,शारीरिक कमजोरी आती है।

ऑस्टियोपोरोसिस से पीडि़त 50 प्रतिशत महिलाओं में विटामिन डी की कमी पाई जाती है।

एक अनुमान के अनुसार विश्व के एक तिहाई बच्चे विटामिन ए की कमी से पीडि़त हैं।

जिनके रक्त में विटामिन सी का स्तर अधिक होता है, उनमें स्ट्रोक की आशंका 42 प्रतिशत कम हो जाती है।

विटामिन के-2 का पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से डायबिटीज का खतरा 20 प्रतिशत तक कम हो जाता है।

विटामिन बी6 को सबसे ज्यादा स्थिर विटामिन माना जाता है।

सप्ताह में तीन दिन 15 मिनट तक धूप में बैठने से शरीर अपने लिए जरूरी विटामिन डी का निर्माण कर लेता है।

वसा में घुलनशील विटामिनशरीर के वसा उतकों में संग्रहित होते हैं। चार विटामिन वसा में घुलनशील होते हैं, ए, डी, ई और के। पानी में घुलनशील विटामिनों को शरीर सीधे उपयोग कर लेता है। बचे हुए विटामिन यूरीन के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते हैं। विटामिन बी12 पानी में घुलनशील इकलौता विटामिन है, जो लीवर में कई वर्षों तक स्टोर रह सकता है। इनकी कुल संख्या 9 हैं।

आपको कितने विटामिन की प्रतिदिन आवश्यकता होती है, यह आपकी उम्र और लिंग पर निर्भर करता है। दूसरे तत्व  जैसे गर्भावस्था और आपका स्वास्थ्य भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रतिदिन संतुलित भोजन खाएं। ऑस्टियोपोरोसिस से पीडित लोगों को कैल्शियम और विटामिन डी, विशेषकर विटामिन डी3 और बायोफास्फोनेट को सप्लीमेंट के रूप में लेने की सलाह दी जाती है।

विटामिन “के” भी हड्डियों की मजबूती बढ़ाता है, इसलिए कई लोगों को यह विटामिन भी सप्लीमेंट के रूप में दिया जाता है। वसा में घुलनशील विटामिनों ए, डी, ई और के को सावधानीपूर्वक लें, क्योंकि ये वसा कोशिकाओं में संग्रहित हो जाते हैं, आपके शरीर में एकत्र होते रहते हैं और हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं।
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सर्दियों में कैसे रहें फिट?
*हमदर्द शिफाखाना*
28 नवम्बर 2015 07:38

स्वस्थ शरीर पाने के लिए हर मौसम में व्यायाम करना बहुत ही जरूरी है। खास तौर पर सर्दियों के मौसम में तो एक घंटे के बजाए डेढ़ से दो घंटा व्यायाम (एक्सरसाइज)
करना चाहिए।क्यूं कि इस मौसम में गर्म और चटपटा खाने की इच्छा होती है और हम खुद के मन को कंट्रोल नहीं कर पाते और ऐसे में शरीर का वजन तेजी से बढ़ता ही चला जाता है।

विंटर में खुद को कैसे रखे फिट?

एक्सरसाइज से पहले वॉर्मअप : एक्सरसाइज से पहले वॉर्मअप करना बेहद जरूरी है। बिना वॉर्मअप किए एक्सरसाइज करने से शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द हो सकता है। इसलिए वॉर्मअप के स्टेप्स को १० से २० बार दोहराना चाहिए उसके बाद ही एक्सरसाइज शुरू करनी चाहिए।
सही मात्रा में खाएं : शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में ७० प्रतिशत रोल आप की डायट का होता है वहीं ३० प्रतिशत एक्सरसाइज से आप स्वस्थ बने रहते है। इस  को हमेशा के लिए जीवन में शामिल कर लीजिए ताकि हर बार आप को वजन बढ़ने की शिकायत ही ना रहे।

हैवी करे ब्रेकफास्ट :

शरीर में फुर्ती और चुस्ती को बनाए रखना है तो ब्रेक फास्ट हैवी करे। उससे लाइट खाना लंच में खाए और रात को अगर फूट या सूप डायट पर ही रह सकते है तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता।
खुद को दे २० मिनट: अक्सर कामकाजी महिलाएं एक्सरसाइज को एवाइड कर देती है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। आप अपने बिजी शेड्यूल में से बस २० मिनट का समय जरूर निकाले। इस समय में आप वॉक करे या फिर कोई भी फिजिकल एक्सरसाइज करे जैसे आउट डोर गेम,स्वीमिंग, ऐरोबिक्स या फिर साइकलिंग इनमें से कोई भी एक्सरसाइज जरूर करें।

टीआर एक्स एक्सरसाइज :

अपनी स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए इन दिनों टी आरएक्स एक्सरसाइज का ट्रैंड बहुत बढ़ रहा है। इसमें रबर बैल्ट के जरिए शरीर के सभी अंगों की एक्सरसाइज की जाती है। इससे शरीर का वजन कम होने के साथ साथ स्ट्रेंथ मिलती है। हर एक्स साइज ४५ सेकेंड तक करे।
ऐसे रखे वजन कंट्रोल : एक बार आप तन मन लगाकर करके वजन को कंट्रोल कर लीजिए। क्यूं कि सर्दियों में वजन को आसानी से कंट्रोल रखा जा सकता है। इसमें बस आप को ये करना है कि इन दिनों आ रही हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा मात्रा में करना है। लंच में सिर्फ १ या दो चपाती ही खाए बाकी अपने पेट को हरी सब्जियों, ज्यूस और वेजीटेबल सूप से ही भरे। इससे आप का वजन पुरी तरह कंट्रोल रहेगा
इसलिए कि ज्यादा वजन सेहतमंद होने की निशानी नहीं है।
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डॉ, कादरी

चोट-(INJURY)
आज के व्यस्त माहौल में चोट लगना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि हमारे रोजाना के कामों में सावधानी बरतने के बाद भी चोट लग ही जाती है। बच्चे भी अक्सर खेलते-खेलते अपने आपको चोट पहुंचवा ही लेते हैं।

ग्वार
ग्वार और तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पानी में डालकर पका लें। इसे मोच या चोट वाली जगह पर लगाने से दर्द कुछ ही देद में दूर हो जाता है।
वनहल्दी
वनहल्दी का लेप चोट, मोच एवं सूजन में काफी उपयोगी होता है। वनहल्दी के सिद्ध तेल का प्रयोग भी लेप की तरह ही उपयोगी होता है। इस तेल से रोजाना 3-4 बार मालिश करने से चोट के कारण होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
घी
घी और कपूर को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी भी चोट के स्थान पर बांधने से दर्द दूर होता है तथा खून बहना भी बंद हो जाता है।
कुन्दुरू
चोट लगने के कारण सूजन होने पर कुन्दरू और खस-खस के तेल और सफेद मोम को हल्की आग पर पिघलाकर कपड़े से छानकर, तैयार मलहम को रोजाना 2-3 बार लगाने से लाभ होता है।
कुन्दुरू की गोंद, अफीम, धतूरा और अजवायन को एकसाथ मिलाकर मोटे कपड़े पर सूखा लेप चढ़ाकर पट्टी करने से रक्तवाहिनियों के संकुचन के कारण होने वाला दर्द कम हो जाता है।
पान
पान के रस में चूना मिलाकर सूजन वाले भाग पर पट्टी बांधने से दर्द और सूजन में आराम होता है।
पान के पत्ते पर चूना और कत्था लगाकर उसमें थोड़ा सा तम्बाकू डालकर पीस लें फिर गुनगुना करके चोट पर बांधने से दर्द दूर होता हैं और जख्म जल्दी भर जाता है।
पान के पत्तें को चोट लगी हुई जगह पर बांधने से लाभ होता है।
तारपीन
चाकू, छूरी, तलवार आदि से कटे हुए स्थान से खून बह रहा हो तो असली तारपीन के तेल में रूई का फोहा गीला करके कटे हुए स्थान पर रखें। इससे कुछ ही देर में खून बहना बंद हो जाता है।

आमचूर
अगर नाखून पर चोट लगे तो आमचूर व नमक को पीसकर पानी में मिलाकर लगाने से आराम होता है।
गेंदा
गेंदे का पंचांग का रस निकालकर चोट, मोच, सूजन पर लगाने व मालिश करने से आराम मिलता है।
बकायन
चोट से पीड़ित स्थान पर खून जमकर उत्पन्न हुई सूजन पर बकायन के 10-20 पत्तों को पीसकर पुल्टिश बनाकर बांधने से सूजन के कारण जमा हुआ खून पिघल जाता है।
10 ग्राम बकायन के फल की गिरी को 100 ग्राम खोपरे के तेल में पीसकर गर्म पानी, घी या तेल आदि के कारण होने वाले घावों में लाभ होता है।

मेथी
मेथी के पत्तों को पीसकर लेप करने से चोट या मोच के दर्द में आराम मिलता है।
मेथी के पत्तों की पुल्टिश (पोटली) बांधने से चोट की सूजन मिट जाती है।
मेथी के पत्तों की पुल्टिश बांधने से चोट की सूजन मिट जाती है। यह बालों को सफेद होने से रोकती है। कब्ज हो तो मेथी के पत्तों की सब्जी खाने से आराम मिलता है।

पानी
चोट लगने या जख्म होने पर ठंडे पानी से भीगा हुआ कपड़ा उस स्थान पर बांध दें। इस कपड़े को बांधने के बाद भी हमेशा गीला रखे रहने से जख्म जल्दी ठीक हो जाता है।

हल्दी
गुम चोट लगने पर 1 चम्मच हल्दी को गर्म दूध के साथ पीने से दर्द और सूजन दूर होती है। चोट लगे स्थान पर हल्दी को पानी में गूंथ कर लेप करने से आराम मिलता है। चोट से खून बह रहा हो तो उस स्थान पर हल्दी भर देने से लाभ मिलता है। आंख में चोट लगने पर भी हल्दी का सेवन करना लाभदायक होता है।
2 चम्मच पिसी हुई हल्दी, 4 चम्मच गेहूं का आटा, 1 चम्मच देशी घी, आधा चम्मच सेंधानमक को थोड़े से पानी में मिलाकर हलुआ बना लें। शरीर में चोट लगे स्थान पर इस हलुवे की पट्टी बांधने से आराम मिलता है। आधा किलो उबलते हुए गर्म पानी में आधा चम्मच नमक डालें। फिर पानी को उतारकर जब पानी सेंक करने जैसा हो जायें तो उसमें कपड़ा भिगोकर चोट लगे हुए अंग पर सिंकाई करने से दर्द आदि में आराम मिलता है।
शरीर की कोई सी भी हड्डी टूटने पर हल्दी का रोजाना सेवन करने से लाभ होता है।
1 प्याज को पीसकर हल्दी में मिलाकर कपड़े सें बांध लें। इसे तिल के तेल में रखकर गर्म करें और चोट लगे हुए स्थान पर सेंक करें। कुछ देर सेंकने के बाद पोटली खोलकर दर्द वाले स्थान पर बांधने से आराम मिलता है।
शरीर में कहीं भी चोट लगी हो या सूजन आ गई हो तो 2 भाग पिसी हुई हल्दी और 1 भाग चूने को एकसाथ मिलाकर लेप करने से लाभ होता है।
चोट लगने के कारण सूजन आने पर 10 कली लहसुन और आधा चम्मच हल्दी को एकसाथ पीसकर 1 चम्मच तेल में गर्म करके सूजन वाली जगह पर लेप करके रुई लगाकर पट्टी बांधने से सूजन जल्दी ही दूर हो जाती है।
3 ग्राम पिसी हुई हल्दी को सुबह-शाम दूध से लेने से चोट या सूजन दूर हो जाती है।
शरीर में कटी हुई जगह पर हल्दी के साथ पिसी फिटकरी या घी भर देने से लाभ होता है।
चोट लगने पर 1 चम्मच हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर पीने से दर्द और सूजन दूर हो जाती है।
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आंखों की सूजन कम करने के लिए घरेलू उपचार

आंखों को सूजन से बचाने के लिए आंखों पर हलका गर्म सेंक करना चाहिए।
आंखों पर ठंडे खीरे या ककड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े रखने से बहुत आराम मिलता है।
घरेलू उपचारों में एक बहुत ही उत्तम उपाय है कि आप आंखों में गुलाब जल डालें इससे आंखों को बहुत आराम मिलेगा।
आंखों को हल्के ठंडे पानी से दिन में कई बार धोना चाहिए।
आंखों से सूजन को दूर करने के लिए कच्चे आलू के रस मे तेल मिलाकर आंखों पर लगाना चाहिए।

एलोवेरा जेल जो कि आंखों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके लिए आपको एक सूखे स्वच्छ कपड़े को एलोवेरा जूस में डूबाना चाहिए और उसके बाद उससे आंखे पोछ लें।
एक चम्मच शहद में आंवले का रस मिलाकर दिन में दो बार पीने से आंखों की सूजन को प्रभावी रूप से कम किया जा सकता है। इससे आंखों को अन्य संक्रमण से भी बचाया जा सकता है।

धनिये के माध्यम से भी आंखों की सूजन को कम किया जा सकता है। धनिए का काढ़ा बनाकर पीने से आंखों की जलन को कम किया जा सकता है।

गाजर, पालक जैसी सब्जियों के रस का दिन में दो बार सेवन करें।
(पथरी वाले इसका प्रयोग न करें)
तुलसी का रस और शहद (दोनो समान ) एक चम्मच  मिलाकर खाने से आखों को फायदा पहुंचता है

रोज रात को सोने से पहले एक चुटकी कालीमिर्च पावडर में स्वाद अनुसार नमक मिलाकर चाटने से आखों को फायदा होता है
(एक घंटे तक पानी न पिएं)

आंखों की सूजन कम करने के लिए विटामिन ए और ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही हेल्दी फूड लेना चाहिए। इससे आंखों की सूजन कम करने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा आंखों की साफ-सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए और आंखों को बार-बार मलना नहीं चाहिए। साथ ही दिन में चार-पांच बार आंखों को ठंडे पानी से धोना चाहिए।

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तुलसी के औषधीय गुण-

तुलसी एक औषधि है जो स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक गुणों से भरपूर है।
यह दिल की बीमारी, संक्रमण, जुकाम आदि में गुणकारी है।
श्‍वांस की बीमारी, गुर्दे की पथरी के उपचार के लिए इसे खायें।
त्‍वचा रोग और सांस की दुर्गंध दूर करने के लिए आजमायें।

तुलसी में कई औषधीय गुण होते हैं। हृदय रोग हो या सर्दी जुकाम, भारत में सदियों से तुलसी का इस्तेमाल होता चला आ रहा है। और क्या-क्या हैं तुलसी की खूबियां, आइये डालते हैं एक नजर।

सर्दी जुकाम में लाभप्रद
सर्दी जुकाम होने पर तुलसी की पत्तियों को चाय में उबालकर पीने से राहत मिलती है। तुलसी का अर्क तेज बुखार को कम करने में भी कारगर साबित होता है। करीब सभी कफ सीरप को बनाने में तुलसी का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी की पत्तियां कफ साफ करने में मदद करती हैं। तुलसी के कोमल पत्तों को चबाने से खांसी और नजले से राहत मिलती है।

गले की खराश
चाय की पत्तियों को उबालकर पीने से गले की खराश दूर हो जाती है। इस पानी को आप गरारा करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। बच्चों में बुखार, खांसी और उल्टी जैसी सामान्य समस्याओं में तुलसी बहुत फायदेमंद है।

श्वास की समस्या
श्वास संबंधी समस्याओं का उपचार करने में तुलसी खासी उपयोगी साबित होती है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है। नमक, लौंग और तुलसी के पत्तों से बनाया गया काढ़ा इंफ्लुएंजा (एक तरह का बुखार) में फौरन राहत देता है।

गुर्दे की पथरी
तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है। यदि किसी के गुर्दे में पथरी हो गई हो तो उसे शहद में मिलाकर तुलसी के अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए। छह महीने में फर्क दिखेगा।

हृदय रोग
तुलसी खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को घटाती है। ऐसे में हृदय रोगियों के लिए यह खासी कारगर साबित होती है।

तनाव
तुलसी की पत्तियों में तनाव रोधीगुण भी पाए जाते हैं। हाल में हुए शोधों से पता चला है कि तुलसी तनाव से बचाती है। तनाव को खुद से दूर रखने के लिए कोई भी व्यक्ति तुलसी के 12 पत्तों का रोज दो बार सेवन कर सकता है।

संक्रमण और त्वचा रोग
अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है। दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। नैचुरोपैथों द्वारा  ल्यूकोडर्मा का इलाज करने में तुलसी के पत्तों को सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया गया है।

सांसों की दुर्गध
तुलसी की सूखी पत्तियों को सरसों के तेल में मिलाकर दांत साफ करने से सांसों की दुर्गध चली जाती है। पायरिया जैसी समस्या में भी यह खासा कारगर साबित होती है। सिर के दर्द में तुलसी एक बढिया दवा के तौर पर काम करती है। तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है। आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए।

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दाँत दर्द के घरेलू उपचार

दाँत दर्द में हमें बड़ी कठनाई का सामना करना पड़ता है । कई बार कुछ गलत खाने से तो कई बार दांतों की ठीक से सफाई न करने या कीड़े लगने के कारण दांतों में दर्द होने लगता है. दांतों में दर्द का कारण कोई भी हो, लेकिन इसकी पीड़ा हमारे लिए बेहद कष्टकारी बन जाती है। यहाँ पर हम आपको दाँत दर्द में कुछ बहुत ही आसान से उपचार बता रहे है।

* खूब ठंडे पदार्थों के सेवन के तुरंत बाद गर्म पानी या गर्म पदार्थ का सेवन किया जाय अथवा खूब गर्म पदार्थों के सेवन के तुरंत बाद ठण्डा पानी या ठन्डे पदार्थ का सेवन किया जाय तो दाँत जल्दी गिरते हैं अत: इसका विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए ।

* दाँतों पर हलके हलके ब्रश करना चाहिए , ब्रश को कभी भी दाँतो पर कस कर नहीं रगड़ना चाहिए । अगर आप ऊँगली से मन्जन करते हो तो तो कभी भी तर्जनी उँगली (अँगूठे के पास वाली पहली उँगली) से मंजन न करें, वरन् मध्यमा (सबसे बड़ी) उँगली से ही मंजन करें। क्योंकि तर्जनी उँगली में एक प्रकार का विद्युत प्रवाह होता है, जिसके दाँतों में प्रविष्ट होने पर दाँत शीघ्र ही कमजोर हो जाते है ।

*पिसी हल्दी, नमक व सरसो का तेल मिलाकर पेस्ट सा बना कर उसे डिब्वे में रख ले सुबह इस पेस्ट को ब्रुश अथवा उगली के द्वारा दाँतों व मसूड़ों पर लगा लें थोड़ी देर लगा कर रखे फिर बाद में कुल्ला कर लें इस प्रयोग से हिलते हुए दाँत जम जाते हैं दाँतो से पीलापन दुर होकर दाँत विल्कुल सफेद हो जाते हैं।इस प्रयोग करते रहने से कभी भी पायरिया नही होगा।

*नींबू के छिलकों पर थोड़ा-सा सरसों का तेल डालकर दाँत एवं मसूढ़ों पर लगाने से दाँत सफेद एवं चमकदार होते हैं, मसूढ़े मजबूत होते हैं, हर प्रकार के जीवाणुओं तथा पायरिया आदि रोगों से बचाव होता है।

*जामफल के पत्तों को अच्छी तरह चबाकर उसका रस मुँह में फैलाकर, थोड़ी देर तक रखकर थूक देने से अथवा जामफल की छाल को पानी में उबालकर उसके कुल्ले करने से हर तरह के दाँत के दर्द में लाभ होता है।

*हींग दांत में दर्द से तुरंत मुक्ति दिलाता है । हींग को मौसमी के रस में डुबोकर दांतों में दर्द की जगह पर रखें, मौसमी न होने पर हींग में नींबू भी मिलाया जा सकता है। इससे शीघ्र ही आपको दर्द से छुटकारा मिल जायेगा।

*तिल के तेल में पीसा हुआ नमक मिलाकर उँगली से दाँतों को रोज घिसने से दाँत की पीड़ा दूर होती है ।

*दांतों के दर्द में लौंग दांतों के सभी बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता हैं। ऐसे में लौंग को दांतों के दर्द की जगह पर रखना चाहिए, कुछ ही देर में आपका दर्द जाता रहेगा। लेकिन चूँकि इसमें दर्द कम होने की प्रक्रिया थोड़ी धीमी होती है इसलिए इसमें धैर्य रखना चाहिए ।

*जामुन के वृक्ष की छाल के काढ़े के कुल्ले करने से दाँतों के मसूढ़ों की सूजन मिटती है व हिलते दाँत भी मजबूत होते हैं।

*प्याज दांत दर्द के लिए एक उत्तम घरेलू उपचार है। जो व्यक्ति रोजाना कच्चा प्याज खाते हैं उन्हें दांत दर्द की शिकायत होने की संभावना कम रहती है क्योंकि प्याज में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो बैकटीरिया को नष्ट कर देते हैं। अगर आपके दांत में दर्द है तो प्याज के टुकड़े को दांत के पास रखें अथवा प्याज चबाएं। आपको आराम महसूस होने लगेगा।

*10 ग्राम बायविडंग और 10 ग्राम सफेद फिटकरी थोड़ी कूटकर तीन किलो पानी में उबालें। एक किलो बचा रहने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें। तेज दर्द में दिन में 2-3 बार इस पानी से कुल्ला करने से दो दिन में ही आराम आ जाता है। कुछ अधिक दिन कुल्ला करने से दाँत पत्थर की तरह मजबूत हो जाते हैं।

*प्रायः दाढ़ में कीड़ा लगने पर असहय दर्द उठता है। तब अमरूद के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करने से दाँत और दाढ़ की भयानक टीस और दर्द दूर हो जाता है। पतीले में पानी में अमरूद के पत्ते डालकर इतना उबालें कि वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।

*नमक के पानी के कुल्ले करने एवं कत्थे अथवा हल्दी का चूर्ण लगाने से गिरे हुए दाँत का रक्तस्राव जल्दी ही बंद हो जाता है।

*लहसुन में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं जो अनेकों प्रकार के संक्रमण से लड़ने की क्षमता रखते हैं।लहसुन में एलीसिन होता है जो दांत के पास के बैकटीरिया, जर्म्स, जीवाणु इत्यादि को नष्ट कर देता है।इसलिए एक फांक लहसुन को सेंधा नमक के साथ पीसकर यदि आप दांतों में दर्द की जगह पर लगायेंगे तो आपको दर्द में आराम मिलेगा।

*दाँत-दाढ़ दर्द में अदरक का टुकड़ा कुचलकर दर्द वाले दाँत में रखकर मुँह बंद कर लें और धीरे-धीरे रस चूसते रहें। फौरन राहत महसूस होगी।

*नीम के पत्तों की राख में कोयले का चूरा तथा कपूर मिलाकर रोज रात को सोने से पहले लगाकर पायरिया में लाभ होता है।

*सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दाँतों पर लगाने से दाँतों से निकलती दुर्गन्ध एवं रक्त बंद होकर दाँत मजबूत
होते हैं तथा पायरिया भी जड़ से ख़त्म हो जाता है।

*फिटकरी को तवे या लोहे की कड़ाही में पानी के साथ आग पर रखें। जब पानी जल जाए और फिटकरी फूल जाए तो तवे को आग पर से उतारकर फिटकरी को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। जितना फिटकरी का पावडर बने उसका 1/4 भाग पिसी हल्दी उसमें मिला कर लकड़ी की सींख की नोक से दाँत के दर्द वाले स्थान पर या सुराख के भीतर यह मिश्रण भर दें।यह बहुत ही लाभकारी प्रयोग है ।

*भोजन अथवा अन्य किसी भी पदार्थ को खाने के बाद अच्छी तरह से कुल्ला जरूर करें तथा गर्म वस्तु के तुरंत पश्चात् ठण्डी वस्तु का सेवन न करें।

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: मोतियों जैसे चमकते सफेद दांत आपकी सुंदरता और व्यक्तित्व में चार चांद लगा देते हैं। दिन में दो बार ब्रश और उचित साफ-सफाई से दांत मोतियों से चमकदार और मजबूत बने रहते हैं। गुटका, पान, तंबाकू, सिगरेट,  आदि दांतों की चमक तो समाप्त कर ही देते हैं, इनकी जड़ों को भी कमजोर करते हैं। यदि आप भी दांतों के पीलेपन से परेशान हैं तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे….

1. तुलसी में दांतों का पीलापन दूर करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। साथ ही, तुलसी मुंह और दांत के रोगों से भी बचाती है। तुलसी के पत्तों को धूप में सुखा लें। इसके पाउडर को टूथपेस्ट में मिलाकर ब्रश करने से दांत चमकने लगते हैं।
2. नमक से दांत साफ करने का नुस्खा बहुत पुराना है। नमक में 2-3 बूंद सरसों का तेल मिलाकर दांत साफ करने से पीलापन दूर हो जाता है और दांत चमकने लगते हैं।
3. संतरे के छिलके और तुलसी के पत्तों को सुखाकर पाउडर बना लें। ब्रश करने के बाद इस पाउडर से दांतों पर हल्के से रोजाना मसाज करें। संतरे में मौजूद विटामिन सी और कैल्शियम के कारण दांत मोती जैसे चमकने लगते हैं।
4. रोजाना गाजर खाने से भी दांतों का पीलापन कम हो जाता है। दरअसल, भोजन करने के बाद गाजर खाने से इसमें मौजूद रेशे दांतों की अच्छे से सफाई कर देते हैं।
5. नीम का उपयोग प्राचीन काल से ही दांत साफ करने के लिए किया जाता रहा है। नीम में दांतों को सफेद बनाने व बैक्टीरिया को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं। यह नेचुरल एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-सेप्टिक है। रोजाना नीम के दातून से दांत साफ करने पर दांतों के रोग नहीं होते व दांतों का पीलापन भी दूर हो जाता है।
6. बेकिंग सोडा पीले दांतों को सफेद बनाने का सबसे अच्छा घरेलू तरीका है। ब्रश करने के बाद थोड़ा-सा बेकिंग सोडा लेकर दांतों को साफ करें। इससे दांतों पर जमी पीली पर्त धीरे-धीरे साफ हो जाती है। बेकिंग सोडा और थोड़ा नमक टूथपेस्ट में मिलाकर ब्रश करने से भी दांत साफ हो जाते हैं।
7. एक नींबू का रस निकालकर उसमें उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। खाने के बाद इस पानी से कुल्ला करें। यह उपाय रोज करने से दांतों का पीलापन चला जाता है और सांसों की दुर्गंध भी दूर हो जाती है।
सर्दियों में इसका प्रयोग न करें
8. स्ट्रॉबेरी दांतों को चमकदार बनाने का सबसे टेस्टी उपाय है। स्ट्रॉबेरी में पाया जाने वाला मैलिक एसिड दांतों को सफेद और चमकदार बनाता है। पहले स्ट्रॉबेरी को पीस लें। इसके पल्प में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाएं। ब्रश करने के बाद इस मिश्रण को उंगली से दांतों पर लगाएं। कुछ दिनों तक यह उपाय नियमित रूप से करने पर दांत चमकने लगेंगे।
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: दस घरेलू उपाय जो लीवर डिसीज से बचाए

लीवर शुगर, फैट और आयरन के चयापचय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही यह पित्तरस उत्पन्न करके शरीर में चर्बी को घटाता है। लीवर प्रोटीन तथा रक्त के थक्कों के उत्पादन में भी मदद करता है। इ‍सलिए लीवर का स्‍वस्‍थ होना बहुत जरूरी होता है।
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लीवर के लिए घरेलू उपाय
मानव पाचन तंत्र में लीवर एक म‍हत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। विभिन्‍न अंगों के कार्यों जिसमें भोजन चयापचय, ऊर्जा भंडारण, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलना, डिटॉक्सीफिकेशन, प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन और रसायनों का उत्‍पादन शामिल हैं। लेकिन कई चीजें जैसे वायरस, दवाएं, आनुवांशिक रोग और शराब लिवर को नुकसान पहुंचाने लगती है। लेकिन यहां दिये उपायों को अपनाकर आप अपने लीवर को मजबूत और बीमारियों से दूर रख सकते हैं।

हल्‍दी
हल्‍दी लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करने के लिए अत्‍यंत उपयोगी होती है। इसमें एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोगनिरोधन क्षमता हैपेटाइटिस बी व सी का कारण बनने वाले वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्‍दी को अपने खाने में शामिल करें, सर्दियों में रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी  हल्दी मिलाकर पिएं।

पपीता
पपीता लीवर की बीमारियों के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है, विशेष रूप से लीवर सिरोसिस के लिए। हर रोज दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पिएं। इस बीमारी से पूरी तरह निजात पाने के लिए इस मिश्रण का सेवन तीन से चार सप्ताहों के लिए करें।
(सर्दियों में यह प्रयोग न करें)

सेब का सिरका
सेब का सिरका, लीवर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब के सिरके को आप कई तरीके से इस्‍तेमाल कर सकते हैं- एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार लें।

सिंहपर्णी जड़ की चाय
सिंहपर्णी जड़ की चाय लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने वाले उपचारों में से एक है। अधिक लाभ पाने के लिए इस चाय को दिन में दो बार पिएं। आप चाहें तो जड़ को पानी में उबाल कर, पानी को छान कर पी सकते हैं। सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर बड़ी आसानी से मिल जाएगा।

आंवला
आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न स्रोतों में से एक है और इसका सेवन लीवर की कार्यशीलता को बनाये रखने में मदद करता है। अध्ययनों ने साबित किया है कि आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद हैं। लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य  के लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने चाहिए।

मुलेठी

लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी का इस्‍तेमाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। इसके इस्‍तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं।

अलसी के बीज
फीटकोंस्टीटूएंट्स की उपस्थिति के कारण, अलसी के बीज हार्मोंन को ब्‍लड में घूमने से रोकता है और लीवर के तनाव को कम करता है। टोस्‍ट पर, सलाद में या अनाज के साथ अलसी के बीज को पीसकर इस्‍तेमाल करने से लिवर के रोगों को दूर रखने में मदद करता है।

पालक और गाजर का रस
पालक और गाजर का रस का मिश्रण लीवर सिरोसिस के लिए काफी लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाकर पिएं। लीवर की मरम्मत के लिए इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार जरूर पिएं।

एवोकैडो और अखरोट
एवोकैडो और अखरोट को अपने आहार में शामिल कर आप लीवर की बीमारियों के आक्रमण से बच सकते हैं। एवोकैडो और अखरोट में मौजूद ग्लुटथायन, लिवर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर इसकी सफाई करता है।

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जड़ी-बूटियों का सेवन गर्भवती और गर्भस्‍थ शिशु के लिए नुकसानदेह।
गर्भावस्था में किसी भी प्रकार के हर्बल उपचार से पहले डॉक्‍टर की सलाह लें।
गर्भपात और जन्म दोष का कारण बन सकता है ऐलोवेरा का सेवन।
कड़वे ऑरेंज स्ट्रोक का कारण बन सकता है गर्भावस्‍था में।

गर्भावस्था के दौरान अगर आप किसी बीमारी का इलाज करवा रही है, तो जरा ध्‍यान रखें, क्‍योंकि कई बार कुछ दवाएं या जड़ी-बूटियां फायदे के बजाए नुकसान पहुंचा सकती हैं। जब आप गर्भवती हैं तो दवाओं का इस्‍तेमाल करते समय आपको जरा अतिरिक्‍त सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

साथ ही आप गर्भावस्था को सुरक्षित और स्वस्थ बनाये रखने के लिए अन्‍य तरीकों को अपनाएं। गर्भावस्था के दौरान कई जड़ी-बूटियां गर्भपात, अपरिपक्व जन्म या भ्रूण के चोट लगने, अग्रणी संकुचन आदि का कारण हो सकती हैं। इसके साथ ही उच्च रक्तचाप और जन्म दोष के जोखिमों में भी इजाफा हो जाता है।

गर्भावस्‍था के दौरान हर्ब के नुकसान
गर्भावस्था के दौरान कई हर्बल उपचार, हर्बल सप्लीमेंट, हर्बल दवाओं या औषधीय जड़ी-बूटियों आदि का सेवन गर्भवती महिला और गर्भस्‍थ शिशु दोनों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। ये दवाइयां फार्मेसियों में पाउडर, हर्बल सुई, कैप्सूल या गोलियों के रूप में उपलब्ध होती हैं। गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान खासतौर पर इनसे दूर रहना चाहिए।  सबसे जरूरी बात है कि गर्भावस्था या प्रसव के दौरान किसी भी प्रकार के हर्बल उपचार को करवाने से पहले अपने डॉक्‍टर से सलाह जरूर लें।

गर्भावस्था के दौरान हर्बल लेने से बचें
गर्भावस्था और प्रसव के दौरान हो सके तो इन जड़ी-बूटीयां से परहेज करें या सावधानी के साथ इनका प्रयोग करें।

ऐलोवेरा :
ये गर्भपात और जन्म दोष का कारण बन सकता है। दीर्घकालिक जटिलताओं के अलावा पोटेशियम की कमी, हृदय की समस्याओं और मांसपेशियों में कमजोरी को भी बढ़ाता हैं।
लौंग :
दिल की बीमारियों की जटिलताओं और रक्त के थक्के जमने का कारण हो सकता है।
जैस्मीन :
गर्भपात या समय से पहले प्रसव का कारण हो सकता है।
दाल चीनी :
दिल की बीमारियों को जन्म दे सकती है।
सौंफ :
त्वचा में जलन पैदा कर सकता है।

लहसुन :
गर्भाशय संकुचन और गर्भपात की जटिलताओं को जन्म दे सकती है।
लेडी मेंटल :
इसकी ज्‍यादा खुराक लेने से दिल की बीमारियां के होने का खतरा बढ़ सकता है।
हिरन का सींग :
ये ऐंठन और मतली जैसी का कारण हो सकती है।
दारुहल्दी :
निम्न रक्त चाप और भ्रूण संकट का कारण बन सकता है।
आर्बर :
उल्टी, दौरे, दस्त, अस्थमा और गर्भपात जैसे जटिलताओं के कारण हो सकता है।
कड़वे ऑरेंज :
स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
बेथ जड़ :
इससे पेट की समस्‍या हो सकती है, और यह गर्भपात या समय से पहले प्रसव का कारण हो सकता है।
एक प्रकार का पुदीना या मेंथा : जड़ी-बूटी दिल और गुर्दे को प्रभावित हो सकती है। यह खून की उल्टी, रक्तचाप और रक्त के थक्के जैसे विकारों को जन्म दे सकता है।
अजवायन की पत्ती : गर्भाशय उत्तेजना पैदा करने के लिए, गर्भपात के लिए अग्रणी हो सकता है।

इन हर्बलों को गर्भावस्था के दौरान लेने से बचें।

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हर महिला कि यह इच्छा होती है कि वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे। इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए गर्भावस्था मे पौष्टिक आहार का सेवन पर्याप्त मात्रा मे करना बेहद जरुरी है। गर्भस्थ शिशु का विकास माता के आहार पर निर्भर होता है। गर्भवती महिला को ऐसा आहार करना चाहिए जो उसके गर्भस्थ शिशु के पोषण कि आवश्यक्ताओ को पुरा कर सके।

सामान्य महिला को प्रतिदिन 2100 calories का आहार करना चाहिए। Food and Nutrition Board के अनुसार सगर्भा महिला को आहार के माधयम से 300 calories अतिरिक्त मिलनी ही चाहिए। यानि सामान्य महिला कि अपेक्षा गर्भवती महिला को 2400 calories प्राप्त हो इतना आहार लेना चाहिए और विविध Vitamins, Minerals अधिक मात्रा में प्राप्त करना चाहिए।

गर्भावस्था में महिला को आहार में कौन से चीजे लेना चहिए ओर कितनी मात्रा में लेना चाहिए इसकि अधिक जानकारी निचे दि गयीं है।

1) प्रोटीन (Proteins)
गर्भवती महिला को आहार मे प्रतिदिन 60 से 70 ग्राम Proteins मिलना चाहिए।
गर्भवती महिला के गर्भाशय, स्तनों तथा गर्भ के विकास ओर वृद्धि के लिये Proteins एक महत्वपूर्ण तत्व है।
अंतिम 6 महीनो के दौरान करीब 1 किलोग्राम Proteins की आवश्यकता होती है।
Protein युक्त आहार मे दूध और दुध से बने व्यंजन, मूंगफली, पनीर, चिज़, काजू, बदाम, दलहन, मांस, मछली, अंडे आदि का समावेश होता है।

2) कैल्शियम (Calcium)
गर्भवती महिला को आहार मे प्रतिदिन 1500 -1600 मिलीग्राम Calcium मिलना चाहिए।
गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु की स्वस्थ और मजबूत हड्डियों के लिये इस तत्व कि आवश्यकता रहती है।
Calcium युक्त आहार में दूध और दूध से बने व्यंजन, दलहन, मक्खन, चीज, मेथी, बीट, अंजीर, अंगूर, तरबूज, तिल, उड़द, बाजऱा, मांस आदि का समावेश होता है।

3) फोलिक एसिड (Folic Acid)
पहली तिमाही वाली महिलाओं को प्रतिदिन 4 mg Folic Acid लेंने की आवश्यकता होती है। दूसरी और तीसरी तिमाही मे 6 mg Folic Acid लेंने की आवश्यकता होती है।
पर्याप्त मात्रा में Folic Acid लेने से जन्मदोष और गर्भपात होने का खतरा कम हो जाता है। इस तत्व के सेवन से उलटी पर रोक लग जाती है।
आपको Folic Acid का सेवन तब से कर लेना चाहिए जब से आपने माँ बनने का मन बना लिया हो।
Folic Acid युक्त आहार मे दाल, राजमा, पालक, मटर, मक्का, हरी सरसो, भिंड़ी, सोयाबीन, काबुली चना, स्ट्रॉबेरी, केला, अननस, संतरा, दलीया, साबुत अनाज का आटा, आटे कि ब्रेड आदि का समावेश होता है।

4) पानी (Water)
गर्भवती महिला हो या कोई भी व्यक्ति, पानी हमारे शरीर के लिये बहुत महत्वपुर्ण है। गर्भवती महिलाओ को अपने शरीर कि बढ़ती हुईं आवश्यकताओं को पुरा करने के लिये प्रतिदिल कम से कम 3 लीटर (10 से 12 ग्लास) पानी जरुर पीना चाहिए। गर्मी के मौसम में 2 ग्लास अतिरिक्त पानी पीना चाहिए।
हमेशा ध्यान रखे कि आप साफ़ और सुरक्षीत पानी पी रहे है। बाहर जाते समय अपना साफ़ पानी साथ रखे या अच्छा बोतलबंद पानी का उपयोग करे।
पानी की हर बूंद आपकी गर्भावस्था को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने मे सहायक है।

5)  विटामिन (Vitamins)
सगर्भावस्था के दौरान Vitamins कि जरुरत बढ़ जाती है।
आहार ऐसा होना चाहिए कि जो अधिकधिक मात्रा मे calories तथा उचित मात्रा में Proteins के साथ Vitamins कि जरुरत कि पूर्ति कर सके।
हरी सब्जियां, दलहन, दूध आदि से Vitamin उपलब्ध हो जाते है।

6) आयोडीन (Iodine)
गर्भवती महिलाओ  के लिये प्रतिदिन 200-220 माइक्रोग्राम Iodine कि आवश्यकता होती है।
Iodine आपके शिशु के दिमाग के विकास  के लिये आवश्यक है। इस तत्व की कमी से बच्चे मे मानसिक रोग, वजन बढ़ना और महिलाओ मे गर्भपात जेसी अन्य खामिया उत्पन्न होती है।
गर्भवती महिलाओ को अपने डॉक्टर कि सलाह अनुसार Thyroid Profile जॉंच कराना चाहिए।
Iodine के प्राकृतिक स्त्रोत्र है अनाज, दालें, ढूध, अंड़े, मांस। Iodine युक्त नमक अपने आहार मे Iodine शामिल करने का सबसे आसान और सरल उपाय है।

7) झींक (Zinc)
गर्भवती महिलाओ  के लिये प्रतिदिन 15 से 20 मिलीग्राम Zinc कि आवश्यकता होती है।
इस तत्व कि कमी से भूख नहि लगतीं, शारीरिक विकास अवरुद्ध हो जात्ता है, त्वचा रोग होते है।
पर्याप्त मात्रा में शरीर को Zinc कि पूर्ति करने के लिए हरी सब्जिया और Multi-Vitamin supplements ले सकते है।

गर्भवती महिलाओ को आहार संबंधी निम्नलिखित बातों का ख्याल रखना चाहिए :

गर्भवती महिला को हर 4 घंटे में कुछ खाने की कोशिश करनी चाहिए। हो सकता है आपको भूक न लगी हो, परन्तु हो सकता है कि आपका गर्भस्थ शिशु भूका हो।
वजन बढ़ने कि चिंता करने के बजाय अच्छी तरह से खाने कि ओर ध्यान देना चाहिए।
कच्चा दूध न पिए।
/ धूम्रपान न करे।
Caffeine की मात्रा कम करे
प्रतिदिन 200 mg से अधिक caffeine लेने पर गर्भपात और कम वजन वाले शिशु के जन्म लेने का खतरा बढ़ जाता है।
गर्भवती महिलाओ को गर्म मसालेदार चींजे नहीं खाना चाहिए।
Anaemia से बचने के लिए अखण्ड अनाज से बने पदार्थ, अंकुरित दलहन, हरे पत्तेवाली साग भाज़ी, ग़ुड़, तिल आदि लोहतत्व से भरपूर खाद्यपदार्थों का सेवन करना चाहिए।
सम्पूर्ण गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला का वजन 10 से 12 किलो बढ़ना चाहिए।
गर्भवती महिला को उपवास नहीं करना चाहिए।
गर्भवती महिला को मीठा खाने की इच्छा हो तो उन्हें अंजीर खाना चाहिए। इसमें प्रचुर मात्रा में Calcium है और इससे कब्ज भी दूर होता हैं।
Vegetable सूप और जूस लेना चाहिए। भोजन के दौरान इनका सेवन करे। बाजार में मिलने वाले रेडीमेड सूप व् जूस का उपयोग न करे।
गर्भवती महिला को fast foods, ज्यादा तला हुआ खाना, ज्यादा तिखा और मसालेदार खाने से परहेज करना चाहिए।
अपने डॉकटर कि सलाह अनुसार Vitamin और Iron कि गोलिया नियमित समय पर लेना चाहिए।

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Pregnancy के दौरान  क्या ना करें

1) भारी वज़न ना उठाएं , जैसे कि पानी से  भरी बाल्टी ,सील-बट्टा ,भारी कुर्सी, बक्सा इत्यादि .

2)  बहुत देर तक ना खड़े रहे. यदि आपको किचन में बहुत देर तक खड़ा होना पड़ता है तो चाहें तो वहां एक कुर्सी रख लें.

3) सीढ़ियों का प्रयोग कम से कम करें. यदि आप ground floor पर नहीं रहती हैं और मजबूरी में आपको नीचे जाना पड़ता है तो कोशिश करिए कि एक ही बार में अपने सारे काम निपटा लीजिये. इसके लिए एक कार्य-सूची बना लेना उचित होगा. सीढ़ियाँ  , रेलिंग पकड़ कर ही उतरें.

4) हील वाली सैंडल या चप्पल ना पहनें.  हमेशा flat चप्पल ही पहनें, यदि आप office जाती  हैं तो flat sandals का ही प्रयोग करें.

5) बाहरी खाना ना लें, खासतौर पे junk foods, जैसे कि pizza, burger,etc. होटलों, शादी-ब्याह वगैरह में भी ना खाएं. इनकि शुद्धता की गारंटी नहीं होती और आपको infection हो सकता है.

6) तला और मसालेदार न खाएं, इनसे गैस , acidity , जलन हो सकती है.

7) Pregnancy के दौरान बिना अपनी gynecologist  की सलाह के दवाओं का सेवन ना करें.  यहाँ तक कि छोटी -मोटी बीमारियों के लिए भी अपने से दावा ना लें.

8)  प्रेगनेंसी के दौरान कम से कम यात्रा करें. दो  पहिया , तीन  पहिया  वाहन  avoid करें . यदि आपको मजबूरी में public transport से office जाना भी पड़े तो odd-timings में ही बस पकडें, जब भीड़ कम से कम हो.

9)  गर्भावस्था के दौरान तनावपूर्ण या डरावने serials या movies  ना देखें.

10) ऐसा कोई काम ना करें  जिसमे आपको अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़े.

11) इस दौरान तंग कपडे ना पहने.

12) कुछ अध्यनो में पता चला है कि pregnancy के दौरान mobile फ़ोन का अत्यधिक इस्तेमाल होने वाले बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है.

13) अकेले ना रहे.यदि अकेले रहती हों तो हमेशा अपना mobile recharge करा कर रखिये.

14) बाथरूम में खड़े होकर ना नहाएं, और इस बात की पुष्टि करें की काई-वगैरह जमने से फिसलने का खतरा ना हो.

15) Pregnancy के दौरान smoking कत्तई ना करें, और किसी और को अपने करीब धूम्र-पान ना करने दें. Passive smoking से भी बच्चे को खतरा हो सकता है.

16) कैफीन का सेवन avoid करें.इसलिए Coffee,Soda,Green and Black Tea,Cold Drinks से बचें. Chocolate में भी caffeine होता है मगर कम मात्र में, इसलिए कभी-कभार chocolate ले

17) कुछ मछलियाँ जैसे कि ट्यूना मछली,king mackerel, tilefish , इत्यादि में mercury अधिक मात्र में होता है, इन्हें ना खाएं. इनके सेवन से शिशु के मस्तिष्क का विकास प्रभावित हो सकता है.

18) पहले तीन महीने में इन चीजों का सेवन ना करें: soft unpasteurised cheeses,कच्चे अंडे , salad dressings, raw fish, processed meats such as sausages and also meat spreads. इन चीजों में कुछ ऐसे बैक्टेरिया होते हैं जो  salmonella, toxoplasmosis and listeriosis, जैसे disorder cause कर सकते हैं, जिससे बच्चे में जन्मजात दोष आ सकते हैं.

19) अपने पालतू जानवरों के मल से बचें.उनमें Toxoplasma gondii नामक एक harmful पेरासाईट  हो सकता है जो foetus के मस्तिष्क को damage कर सकता है.

20) पहले तीन महीने  तेज गंध के बीच ना जाएं, इससे आपको मितली , उल्टी, होने के chances कम होंगे.

21) उछल-कूद बिलकुल ना करें. ऐसी कोई activity ना करीं जिसमे गिरने का खतरा हो.

22) बिना डाक्टरी सलाह के कोई व्यायाम ना करें.

23) कम ना खाएं. आप usually जितना खाती हैं उससे अधिक खाएं. आमतौर पर एक शिशु को 300 कैलोरी की आवश्यकता होती है, इसलिए कम से कम इतनी कैलोरिज़ और लें. ये भी ध्यान रखें की कहीं आप जरूरत से ज्यादा तो नहीं खा रही हैं.

24) गरम पानी से भरे bath tub में ना नहाएं. खासतौर पे पहले  महीनो में. इससे body के अन्दर का temperature बढ़ जाता है, जो बच्चे को बुखार होने जैसा होता है. ऐसा करने से बच्चा birth defects के साथ पैदा हो सकता है.

25) प्यासे ना रहे. समय समय पर पानी पीते रहे.इससे blood circulation सही रहेगा. Dehydrated होने पर premature delivery का खतरा होता है.

26) पेट के बल ना सोएं.

27) गर्भावस्था के दौरान X-Ray से दूर रहे.

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: शादी से एक महीना पहले सौंदर्य निखारने के उपाय

शादी के लिए मेकअप टिप्स // /////////////////
शादी में जब एक महीना रह जाए, तो सबसे पहले अपने स्किन केयर रूटीन को फिर से रिव्यू करें और देखें कि क्या यह रूटीन आपको अच्छा रिज़ल्ट दे रहा है ?
1. क्लीजिंग, टोनिंग और मॉइश्चराइजिंग को अपने स्किन केयर रूटीन में शामिल करें |

2. अपनी स्किन और हेयर प्रॉब्लम्स के लिए स्किन एक्सपर्ट से मिलकर सलाह लें |

3. अपने ब्यूटीशियन से रेग्युलर स्किन ट्रीटमेंट और फेशियल का शेड्यूल तय कर लें |

4. सप्ताह में एक बार स्क्रब करें, ताकि मृत त्वचा से छुटकारा मिले और चेहरे पर नज़र आए हेल्दी चमक |

5. रात को सोने से पहले मिल्क पाउडर या दूध चेहरे पर लगाएं | ये भी क्लींजर का काम करता है |

6. नींबू का रस और कच्चा दूध मिलाकर रोज़ रात को सोने से पहले चेहरे पर लगाएं | ऐसा हफ़्ते में तीन बार करें | ये एस्ट्रिजेंट का काम करता है और इससे कॉम्प्लेक्शन में निखार भी आता है |

7. ब्यूटी डायट लें यानी ऐसी डायट लें, जिससे खूबसूरती निखरे | सुपर फूड, जैसे- बेरीज और एवोकैडो को अपने डायट में शामिल करें | विटामिन ई रिच फूड लें या फिर विटामिन ई सप्लीमेंट लें | इससे त्वचा खूबसूरत बनेगी |

8. डिटॉकस डायट प्लान करें | सलाद-फल खाएं | खूब सारा पानी पीएं | इससे आपका वज़न तो कम होगा ही, डिटॉक्सिफिकेशन भी होगा, जिससे त्वचा पर ग्लो आएगा |

9. जब भी वक्त मिले, आलू की स्लाइस काटकर चेहरे पर रब करें | ये नेचुरल ब्लीच का काम करता है | जिससे काम्प्लेकशन में निखार आता है |

10. अपने हेयर स्पा और ब्यूटी सलोन में वापस जाकर सलाह लें कि अगर कोई समस्या है, तो कैसे ठीक किया जाए, जैसे- अंडर आई सर्कल, फटी एड़ियां, ड्राई हेयर या डैड्रफ आदि |

11. यही सही समय है, जब आपको अपना मेकअप और कॉस्मेटिक्स खरीदने चाहिए | उन्हें ट्राई करके देखें और अगर आपको उनसे एलर्जी वगैरह भी हो रही हो, तो आपके पास पूरा एक महीना है उसे ठीक करने के लिए |

12. अपने नाखून बढ़ाना शुरू कर दें | मेनीकयोर-पेडोक्योर करवाएं |

13. अगर आपका वज़न थोड़ा ज़्यादा है, तो अपने डायटीशियन से सलाह लेने का सही समय है | एक महीने में आप सही डायट व एक्सरसाइज़ से 5-6 किलो तक वज़न कम कर सकती हैं |

14. बॉडी वैक्स करवाएं और देख लें कि आपको यह सूट करता है या नहीं | अगर नहीं, तो आप ब्लीच कर सकती हैं |

15. जब 3 हफ़्ते रह जाएं, तो कोई भी नया ब्यूटी ट्रीटमेंट या प्रोडक्ट ट्राई न करें | रेग्युलर फेशियल व ब्यूटी ट्रीटमेंट्स ही करवाएं |

16. 3-4 हेयर स्टाइल्स ट्राई करके देख लें कि आपको कौन-सा स्टाइल फाइनल करना है |

17. जंक फूड एकदम बंद कर दें |

18. जब भी बाहर जाएं, तो सनस्क्रीन के साथ-साथ छतरी, स्कार्फ व सन ग्लासेस भी साथ रखें प्रोटेक्शन के लिए |

19. जब दो हफ्ते ही रह जाएं, तो अक्सर होनेवाली दुल्हन को घर पर ही रहने की सलाह दी जाती है | ऐसे में बेहतर होगा कि इंडोर एक्सरसाइज़ व योगा करें |

20. नींद पूरी लें | रिलैक्स करें |

21. बालों को अगर थोड़ा ट्रिम करवाना हो, तो करवा लें |

22. अगर बाल ड्राई हैं, तो हर तीसरे दिन गर्म तेल की मालिश करें | ऑलिव या आल्मंड ऑयल लें |

23. हेयर कलरिंग करवाना चाहती हैं, तो कम से कम दो हफ़्ते पहले करवा लें, ताकि हेयर कलर सेट हो सके |

24. स्ट्रेस लेवल बढ़ जाने के कारण स्किन ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है और पिंपल्स वगैरह भी होने लगते हैं | अपने ब्यूटी एक्सपर्ट से पहले ही पिंपल्स के लिए ट्रीटमेंट पूछ लें, ताकि आप समय पर इनसे छुटकारा पा सकें | रिलैक्स रहें और खूब सारा पानी पिएं |

25. एक्सफोलिएट करें |

26. ट्राई एंड टेस्टेड फेशियल मास्क यूज़ करें |

27. 1 हफ़्ते पहले लास्ट मिनट ट्रायल्स कर लें, लेकिन जितना संभव हो, तनाव न लें और रिलैक्स रहें |

28. फेशियल के दो दिन बाद स्किन खूबसूरत लगती है, इसलिए शादी के दो दिन पहले ही फेशियल शेडयूल करें, ताकि शादी के दिन आपकी स्किन ग्लो करे |

29. फेशियल कई तरह के होते हैं | अपनी स्किन के अनुसार आप चाहें तो पल, गोल्ड, ऑक्सी या डायमंड फेशियल करवा सकती हैं |

30. बॉडी मसाज, ब्लीचिंग-वैक्सिंग, पेडिक्योर-मेनीक्योर करवा लें |

31. रोजाना दो ग्लास अतिरिक्त पानी पिएं |
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नाखूनों की उचित देखभाल और उनकी खूबसूरती बनाए रखने वाले विशेष उपायों के बारे में यहां विधिवत बताया गया है। इनका लाभ उठायें-

अधिकंतर स्त्रियां नाखूनों की खूबसूरती के लिए बाजारू नेल-पॉलिश लगाती हैं पर इससे नाखून कठोर और आभाहीन हो जाते हैं। उम्दा किस्म के पॉलिश ही प्रयोग में लाएं। कई अनभिज्ञ स्त्रियां पॉलिश करने से पूर्व अपने सारे नाखूनों को खुरचती हैं, ऐसा करना ठीक नहीं होता है। नाखून खुरचे नहीं।
2.  नाखूनों को बाह्य संक्रमणों से बचाएं। मैल से उपजे विषाणुओं, बैक्टीरिया, सड़े पदाथों व के मिकल              आदि से सदा दूर रहे । संदेह की अवस्था में दस्ताने का प्रयोग करें, इससे नाखून सुरक्षित रहेंगे।

3.  नींबू का रस, गुलाब जल, खीरे का रस, मेंहदी की पत्तियों का रस नाखूनों को आर्द्र रखने में सहायक             है। कभी-कभार ऐसे रसों का इस्तेमाल करें। इसके लगातार प्रयोग से नाखून निखरते हैं।

4. बाहरी हानिकारक प्रभावों से बचाने के क्रम में नाखूनों की सुरुचिपूर्वक तेल मालिश उचित और अपेक्षित है। नहाने के बाद नाखूनों पर तेल लगाएं। शुद्ध सरसों या तिल का तेल उपयुक्त है, इससे                  नाखूनों में नमी बनी रहती है और नाखून सख्त नहीं पड़ते हैं।

5. नाखूनों को मुलायम बनाए रखने के लिए लेप-अवलेह भी प्रयोग में लाएं। अपनी अंगुलियों पर मेंहदी रचाने वाली स्त्रियों के नाखूनों में बेहतर चमक होती है। मेंहदी का लेप लगाएं। पालक-साग                 का लेप भी प्रभावकारी है, पालक की दो-चार पत्तियां पीस लें, उसमें जैतून का तेल मिलाकर नाखूनों पर लेप लगायें और थोड़ी देर इन्हें सूखने दें। इसी तरह कच्ची हल्दी का उबटन बनाएं और               उसमें शुद्ध सरसों का तेल डालें। यह उबटन नाखूनों की चमक बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

6.  कपड़े धोने, सब्जी काटने जैसे कार्यों से भी नाखून खराब होते हैं। हानिकारक साबुन और पाउडर,                 अधिक खारे जल, गर्म जल, अधिक ताप से नाखूनों को बराबर बचायें। इसी तरह अधिक ठंडा पानी भी खतरनाक है। अधिक गर्म पानी के तुरन्त बाद पानी में नाखूनों को कभी प्रविष्ट न कराएं क्योंकि तनाव और दबाव पाकर नाखून सख्त पड़ जाते हैं।

7. मैल या गंदगी नाखूनों के शत्रु हैं। नाखूनों में मैल न जमने दें। हाथों, खासकर अंगुलियों की विशेष साफ-सफाई करें पर अधिक गर्म पानी से नाखूनों को बचाएं। जैसे शरीर का स्नान होता                     है, उसी तरह नाखून-स्नान होना चाहिए। इस विशेष स्नान के लिए ठंडे पानी का ही इस्तेमाल करें।
मुलायम ब्रश से मैल हटाएं। अधिक साबुन, पाउडर का प्रयोग न करें।

8. नाखूनों की मालिश के अच्छे परिणाम देखे गए हैं। आप मनोयोग से मालिश करें। मालिश के लिए               कोई अच्छी क्रीम या जैतून का तेल लाभकारी है। मालिश से पहले सारी अंगुलियों को तेल में डुबोयें और एक हाथ से दूसरे हाथ की मालिश करें। मालिश के समय मीठे सोडे का प्रयोग करने से                         नाखूनों की चमक बढ़ती है।

9. नाखूनों की स्वाभाविक चमक को कायम रखने के लिए अधिक प्रोटीनयुक्त पदार्थों का सेवन करें।               शरीर को अपेक्षित मात्रा में कैल्शियम चाहिए। कमजोर और रोगों से ग्रस्त व्यक्ति डाक्टरों से नाखूनों का परीक्षण कराएं। अनिवार्य स्थिति में डॉक्टर कोई संबंधित टॉनिक या दवा दे सकता है।

10. नाखूनों की जांच-पड़ताल कराते रहें। विशेषकर नाखूनों की स्वस्थ स्थिति और नाखूनों की रंगत पर ध्यान दें। नाखून पीली और सफेद रंगत का एहसास कराएं तो चौकस हो जायें। इन्हें डाक्टर से अवश्य दिखाएं।

11. नाखूनों को उल्टे-सीधे ढंग से न काटें। नाखून काटने की एक अच्छी नींव डालें। बच्चों के नाखून गोलाई में काटें और लगातार नियमपूर्वक काटें, तभी ये देखने में अच्छे लगेंगे।

नाखूनों का सौंदर्य बढ़ाएं

लंबे और खूबसूरती से तराशे हुए नाखून हाथों का सौंदर्य दूना कर देते हैं। मगर नाखूनों को बढ़ाना, हर वक्त साफ रखना व शेप में रखना यानि उनकी देखभाल करते रहना इतना आसान नहीं है। क्योंकि आमतौर पर सबसे बड़ी समस्या ही है नाखूनों के बढ़ने की। किसी-न-किसी वजह से या तो नाखूनों की बढ़त होती नहीं है या कामकाज की वजह से नाखून बढ़ाना महिलाओं की आदत में नहीं आता है। लेकिन यदि इन दोनों की वजहों से परे नाखून बढ़ भी जाते हैं व आदत में भी आ जाते हैं तो एक खास लंबाई के बाद टूट जाने, चटख जाने या कहीं उलझकर विकृत हो जाने की समस्या खास तौर पर देखने में आती है और इन्हीं सब कारणों को देखते हुए
अधिकांश महिलाएं नाखूनों को बढ़ाने की इच्छा रखते हुए भी उन्हें न बढ़ाने के मलाल से ग्रसित रहती हैं।

मगर आज जबकि हर क्षेत्र में इन्सटेंट यानि तुरत-फुरत चीजों के विकल्प तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, जिनमें सौंदर्य क्षेत्र में ऐसे कई तुरत-फुरत विकल्प खोजे जा रहे हैं। बढ़े नाखूनों का तुरन्त विकल्प यानि बनावटी नाखून या प्लास्टिक नाखून वैसे तो काफी समय पहले से फैशन में हैं मगर ऐसे नाखूनों के ज्यादा समय तक न टिके रहने या ग्लू कमजोर पड़ जाने या कहीं अटक कर किसी एक वजह से इनका प्रयोग व्यावहारिक नहीं हो पाया था।

मगर आज सौंदर्य क्षेत्र में बनावटी नाखूनों के वास्तविक जैसे लगने व किसी भी शर्मनाक स्थिति से बचने के कई कारगर विकल्प हैं, मसलन उन्हें वास्तविक जैसा बनाने के लिए उनकी कटाई, सफाई, शेप व बफिंग के अलावा उन्हें दृढ़ता से चिपकाए रखने के लिए ‘एक्रेलिक’ एवं ‘जेल ओवर ले’ का प्रयोग। इनका प्रयोग जहां नाखूनों को बढ़ाने व उनकी रोज देख-भाल जैसे झंझटों से बचाने वाला है। वही स्वास्थ्य की दृष्टि से अपने वास्तविक नाखूनों को छोटा व साफ रखकर जरूरत पड़ने पर ही इनका कभी-कभार उपयोग स्वास्थ्यवर्धक भी है। बनावटी नाखूनों को वास्तविकता एवं व्यावहारिकता की कसौटी पर लाने के लिए क्या-क्या यत्न करें, आइये, स्टेप-दर-स्टेप जानें।

स्टेप एक

अपने नाखूनों को काटकर अच्छी तरह चारों तरफ से साफ करें। बाजार से खरीदी गयी बनावटी नाखूनों की किट से नाखून निकालें और उन्हें प्रत्येक नाखून पर लंबाई व आकार के आधार पर इस तरह फिट करके देखें कि उसके अग्रे भाग का ऊपरी हिस्सा वास्तविक नाखून के किनारों को पूरी तरह ढक ले ।

स्टेप दो

नाखूनों की ऊपरी सतह यदि जरूरत से ज्यादा चिकनी हो या समतल न हो तो उन पर बफर द्वारा बफिंग करें व चौड़ाई में किनारों से लगभग 1/4 इंच की जगह छोड़कर ग्लू की तीन बूंदें लगाएं व नाखून के अग्र आधार को नाखून के ऊपर रखें फिर पीछे दबाते हुए जमा दें।

स्टेप तीन

लगभग तीन मिनट बाद नाखूनों के सूख जाने पर उन्हें इच्छित लंबाई तक कैंची से काटें, फाइलर द्वारा किनारों को समतल करें व बफर द्वारा बफ करें। वैसे नाखूनों को सही प्रकार से ट्रीट करने के लिए रंगीन नाखूनों की बजाए रंगहीन यानि प्राकृतिक रंग लिए नाखूनों का ही चुनाव करें। क्योंकि ऐसे नाखूनों को पॉलिश व बेस कोट द्वारा ढक कर वास्तविक रूप में दर्शाना आसान हो जाता है।

स्टेप चार

असली बनावटी नाखूनों के उभरे किनारों को समतल बनाने के लिए, उन्हें अधिक देर तक टिकाए रखने के लिए, नाखूनों के ऊपर एक्रेलिक या जेल-ओवर ले का एक कोट लगाएं। यह दोनों ही बनावटी नाखूनों को एक समान चिकना व टिकाऊ बनाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाली रंगहीन कोटिंग है, जो उन्हें दृढ़ता से चिपकाने के अलावा नेल पॉलिश को एक साफ व ठोस आधार प्रदान करती है।

स्टेप पांच

अंत में नाखूनों के ऊपर रंगीन पॉलिश लगाकर ऊपर टॉप कोट लगाएं, इससे अस्वाभाविक होने के सभी चिह्न आसानी से छिप जाएंगे।
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होठों को रूखेपन और फटने से बचाने के लिए थोड़ी सी मलाई में चुटकी भर हल्दी मिलाकर धीरे-धीरे होठो पर मालिश करें।

होठों को फटने से बचाने के लिए रात में सोते समय और दिन में नहाने के बाद सरसों के तेल को गुनगुनाकर अपनी नाभि पर लगाएं। यह आयुर्वेदिक प्रयोग बेहद चमत्कारी है, इसका असर मात्र 12 घंटों में नजर आने लगता है। आप तेल को हथेली पर लेकर उसे दोनो हथेलियो से मसले इससे तेल हल्का पीला सफ़ेद हो जाएगा आप उसे लगाए ज्यादा लाभ मिलेगा।
होठों पर पपड़ी जमने पर- अगर आपके होठों पर पपड़ी जम जाती है तो बादाम का तेल रात को सोते समय होंठो पर लगाएं।
होंठो के कालेपन को दूर करने के लिए गुलाब की पंखुडिय़ों को पीसकर उसमें थोड़ी सी ग्लिसरीन मिलाकर इस लेप को रोजाना अपने होंठों पर लगाएं होंठों का कालापन जल्दी ही दूर होने लगेगा और लिपस्टिक लगाना बन्द कर दें।

होंठों को हमेशा गुलाबी रखने के लिए- दही के मक्खन में केसर मिला कर होठों पर मलने से आपके होंठ हमेशा गुलाबी रहेंगे।

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नेचुरल हेयर प्रोडक्टस जो रखें आपके बालों को स्वस्थ (Natural Hair Products For Healthy Hair)
कलर, डाई, जेल या अन्य हेयर प्रोडक्ट्स बालों की सेहत को बिगाड़ते हैं। बालों की सेहत बालों की जड़ से है। बालों की जड़ों को पोषण कुदरती जड़ी-बूटियों, तेल, पत्तियों के पेस्ट और फलों के हेयर पैक से मिलती है। आइए जानते हैं उन नेचुरल हेयर प्रोडक्ट्स के बारे में जो बालों की जड़ों को पोषण देते है और बालों को सेहतमंद बनाते हैं।

महाभृंगराज (Mahabhringraj)
महाभृंगराज को बालों की देखभाल में सर्वोत्तम माना गया है। इसे आयुर्वेद में हर्बल किंग के नाम से जाना जाता है। यह बालों को सफेद होने, झड़ने और टूटने से बचाता है। इसके इस्तेमाल से बाल काले, घने, लंबे और चमकदार बने रहते हैं। भृंगराज का सेवन सुबह चूर्ण बना कर खाने में किया जाता है। इसके बने तेल को भी बालों की जड़ों में लगाया जाता है। इसे पीस कर पेस्ट बनाते हैं और फिर बालों में लगाते हैं।

सुगंधित जटामांसी (Spikenard)
इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल आयुर्वेद में हेयर ग्रोथ के दवा के रुप में किया जाता है। इसे आप कैप्सूल की तरह खा भी सकते हैं और इसे सीधे बालों की जड़ में लगा भी सकते हैं। इसे लगाने से बालों में चमक आता है और यह रक्त की अशुद्धि को भी दूर करता है।
मेथी (Methi)
मेथी सबसे प्रचलित हर्ब्स है जो हर घर के किचन में दाल को छौंकने और कई तरह के व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में इसे हेयर ग्रोथ के लिए दवा के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। सूखे और भुने हुए मेथी को ग्राइंडर में कूट लें। इसके चूर्ण को गरम पानी में मिला कर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को बालों में लगा लें। करीब 20 मिनट के बाद बालों को धो लें। बाल काले, घने और लंबे होंगे।

आंवला (Anvala)
बालों की देखभाल में आंवला का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। यह आसानी से मिलता है और नेचुरल हेयर प्रोडक्टस में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। बालों के झड़ने-गिरने की समस्या का सबसे सटीक इलाज आंवला के सेवन से ही होता है। आंवला जल से बाल धोना, बालों की जड़ में आंवला तेल की मालिश, सुबह आंवला चूर्ण का सेवन समेत आंवले का इस्तेमाल कई तरीके से बालों की देखभाल के लिए किया जाता है। आंवला में विटामिन सी की मात्रा सबसे ज्यादा होती है जो हेयर ग्रोथ के लिए काफी जरुरी है।

शिकाकाई (Shikakai)
लंबे और रेशमी बालों के लिए बालों को शिकाकाई से धोना सबसे कारगर उपाय है। शिकाकाई के इस्तेमाल से केश सफेद नहीं होते और बाल काले, घने और लंबे होते हैं। शिकाकाई और सूखा आंवला 25-25 ग्राम कूट लें। रात में दोनों को आधा लीटर पानी में भींगने के लिए छोड़ दें। सुबह इस पानी को मसलकर कपड़े से छान लें और इसे सिर पर मलें। बालों की जड़ों की मालिश करें। दस मिनट बाद स्नान कर लें। केश सूखने के बाद केश में नारियल तेल लगाएं। केश रेशम की तरह मुलायम और चमकदार हो जाते हैं।

रीठा (Reetha)
रीठा को आयुर्वेद में स्वदेशी शैंपू के नाम से जाना जाता है। बालों के सौंदर्य निखार के लिए रीठे से बाल धोने को सबसे कारगर उपाय माना गया है। इसके इस्तेमाल से बाल मुलायम और चमकीले होते हैं। रात में रीठे के छिलके के छोटे-छोटे टुकड़े करके पानी में भिंगो दें। सुबह उस पानी को मसलकर अथवा उबाल कर छान लें। फिर उस पानी से बाल धोएं। इसे आजमाने से बाल मुलायम और रेशम की तरह चमकीले होते हैं।

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आयुर्वेद में किफायती और केमिकल रहित अनेक उपाय हैं जो त्वचा को मुलायम (Soft), कोमल (Supple) और सुंदर (Beautiful) बनाते हैं। इन्हें जानने से पहले आइये उन कारणों के जानते हैं जो हमारी त्वचा को रुखा बनाते हैं।
त्वचा में रुखेपन के कारण (Causes of Dryness in Skin)
उम्र का बढ़ना
मौसम में परिवर्तन
शरीर में वात (Vata) का बढ़ जाना
तनाव (Stress)
संतुलित भोजन (Balanced Diet) न ग्रहण करना
त्वचा में रुखेपन के आयुर्वेदिक नुस्खे

(Ayurvedic Tips to curb Dryness in Skin)

1. सब्जियों का सेवन (Intake of Vegetables)
हमें पानी से भरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए जो पाचन में आसान होती हैं जैसे गाजर, लौकी, खीरा, मूली आदि। यह सब्जियाँ त्रिदोषक होती हैं और हर प्रकार की त्वचा के लिए लाभदायक होती हैं। हमे प्रतिदिन कम से कम तीन सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

2. चिड़िया की तरह सेवन (Eat Like A Bird)
परम्परागत आयुर्वेद में बताया गया है की हमें सीड्स और नट्स (Seeds and Nuts) का सेवन भोजन के साथ करना चहिये। ऐसा करने से हमारी त्वचा में अच्छा बदलाव आता है और वह साफ़ दिखाई देता है। वात के कारण हमारी तवचा खुश्क (Dry Skin) हो जाती है परन्तु सीड्स और नट्स में ओमेगा 3 (Omega 3) और प्राकृतिक फैट्स पाये जाते है जो त्वचा को संतुलन प्रदान करते हैं। इनमे फाइबर (Fiber) भी पाया जाता है जो हमारे हाजमे की कमजोरी को दूर करता है।

3. हर्बल चाय (Herbal Tea only)
वात से खुश्की बढ़ जाती है और नमी की कमी के कारण त्वचा की कोमलता नष्ट हो जाती है। इससे बचने के लिए हम गर्म पदार्थ जैसे हर्बल टी आदि का दिन में कई बार सेवन कर सकते हैं। अदरक और नींबू के मिश्रण से तैयार चाय का सेवन करने से त्वचा हमेशा चमकती रहती है। इससे पाचन भी ठीक रहता है।

4. व्यायाम कीजिये (Do Exercise)
व्यायाम से हम शरीर में वात का बढ़ना रोक सकते हैं। यही नही, व्यायाम करने से हमारे शरीर के टॉक्सिन्स पसीने के रूप में बहार निकल जाते हैं, जो स्वतः अपने आप में त्वचा की चमक बरकरार रखने में महत्वपूर्ण होता है।

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एलोवेरा एक औषधीय पौधा है. इसे ग्वारपाठा, घीकवार और धृतकुमारी के नाम से भी जाना जाता है. एलोवेरा के जूस का सेवन करने से शरीर में होने वाले पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है. एलोवेरा में एक जड़ी-बूटी की तरह कई गुण होते हैं. चेहरे के लिए अमृत और औषधीय गुणों का भण्‍डार है एलोवेरा.
आइए जानते हैं एलोवेरा के गुणों के बारे में…..
* नजले-खांसी में एलोवेरा का रस दवा का काम करता है. इसके पत्ते को भूनकर रस निकाल लें और आधा चम्मच जूस एक कप गर्म पानी के साथ लेने से नजले-खांसी में फायदा होता है.
* जलने या चोट लगने पर एलोवेरा जेल या एलोवेरा को छिलकर लगाने से आराम मिलता है. जली हुई जगह पर एलोवेरा जेल लगाने से छाले भी नहीं निकलते और तीन-चार बार लगाने से जलन भी खत्म हो जाती है.
* एलोवेरा का रस बालों में लगाने से बाल काले, घने और मुलायम रहते हैं.
* एलोवेरा का रस बवासीर, डायबिटीज और पेट की परेशानियों से निजात दिलाने में मदद करता है.
* एलोवेरा से मुहांसे, रूखी त्वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बों और आखों के काले घेरों को दूर किया जा सकता है.
* एलोवेरा गंजेपन को भी दूर करने की ताकत रखता है.
* एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज की बीमारी दूर होती है.
* एलोवेरा के जूस से शरीर में खून की कमी को दूर किया जा सकता है.
* फटी एड़ियों पर एलोवेरा लगाने से बहुत जल्दी ठीक हो जाती हैं.
* एलोवेरा का जूस ब्लड में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है.
* एलोवेरा का रस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार और स्वस्थ होते हैं.
* सरसों के तेल में एलोवेरा के रस को मिलाकर सिर धोनें से पहले लगाने से बालों में चमक आती है.
* एलोवेरा का जूस त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्वस्थ दिखाई देती है.
* एलोवेरा को सरसों के तेल में गर्म करके लगाने से जोड़ों के दर्द को कम किया जा सकता है.
* तेज धूप में निकलने से पहले एलोवेरा का रस अच्छी तरह त्वचा पर लगाने से त्वचा पर सनबर्न का कम असर पड़ता है.
* एलोवेरा को सौंदर्य निखार के लिए हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे एलोवेरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन में भी इस्तेमाल किया जाता है.

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मूंह के छाले

खाने में तीखे मसाले, घी, तेल, मांस, खटाई आदि अधिक मात्रा में खाने से पेट की पाचनक्रिया खराब हो जाती है जिससे मुंह व जीभ पर छाले पड़ जाते हैं।
पेट में कब्ज होने से या गर्म पदार्थ खाने से गर्मी के कारण मुंह में छाले, घाव व दाने निकल आते हैं। ये छाले लाल व सफेद रंग के होते हैं। मुंह में छाले हो जाने पर मुंह में बार-बार लार आती रहती है। कभी-कभी मुंह के छालों से पीब भी निकलने लगती हैं। मुंह को ढकने वाली झिल्ली लाल, फूली और दर्द या जख्म से भरी होती है। इसमें जीभ लाल, फूली हुई और दांत के मसूढ़े फूले हुए होते हैं। तालुमूल में जलन होती रहती है। इस रोग में भोजन चबाने पर छाले व दानों पर लगने से दर्द होता है। पानी पीने व जीभ तालू में लगने से तेज दर्द होता है।

जब पेट के अंदर गर्मी का प्रकोप बढ़ जाता है तो जीभ की ऊपरी परत पर छाले उभर आते हैं। ऐसा उस दशा में होता है जब हम खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक करते हैं। गर्म पदार्थों में आलू, चाट, पकौड़े, अदरक, खट्टी मीठी चीजें, अरहर या मसूर की दाल, बाजरे का आटा आते हैं। कभी-कभी शरीर भोजन को ठीक से नहीं पचा पाता है। तब आंतों में अपच का प्रदाह उत्पन्न हो जाता है। यदि हम किसी कारणवश मल-मूत्र को रोके रहते हैं तो तब मल दुबारा पचने लगता है और आंतों में सड़न क्रिया आरम्भ हो जाती है। इन सभी कारणों से जीभ पर छाले पड़ जाते हैं। इन छालों में असहनीय दर्द होता है लगता है जैसे कांटे चुभ रहे हों। मिर्च-मसालेदार चीजें खाने पर इनमें असहनीय दर्द होने लगता है तथा भोजन करना मुश्किल हो जाता है। साधारण भाषा में इसे मुंह का आना कहते हैं। इसके लिए धनिये का मिश्रण बहुत ही लाभकारी इलाज होता है।
कारण :
मुंह में छाले अपचन व कब्ज के कारण होता है। पेट की पाचनक्रिया खराब होने का कारण घी, तेल, मिर्च, खटाई, मांस तथा अधिक मसालेदार व अम्ल रस से बने खाद्य-पदार्थ आदि अधिक सेवन करना है, जिससे पेट में कब्ज बनने के कारण पाचनक्रिया खराब होकर मुंह में छाले, घाव, दाने आदि उत्पन्न हो जाते हैं।
लक्षण :
इस रोग मे जीभ, तालु व होठों के भीतर छोटी-छोटी फुंसियां या छाले निकल आते हैं। ये दाने लाल व सफेद रंगों के होते हैं। इस रोग में मुंह में लार बार-बार आती है। मुंह में छाले होने पर मुंह से बदबू आने लगती है, छालों में जलन होती है तथा सुई चुभने की तरह दर्द होता है। मुंह में छाले होने पर भोजन करने में कठिनाई होती है। बच्चों के मुंह में छाले होने पर लाल छाले, जीभ लाल व होठ के भीतरी भाग में लाल-लाल दाने निकल आते हैं।
भोजन तथा परहेज :
दांतों में गंदगी से भी मुंह में छाले पैदा हो जाते हैं अत: दिन में 2 से 3 बार दांत साफ करना जरूरी है। भोजन में लालमरसा का साग खायें। मुंह के छाले होने पर 2 केले रोजाना सुबह दही के साथ खायें। छाले होने पर टमाटर अधिक खाने चाहिए। ठण्डी फल व सब्जियां खायें। पेट की कब्ज खत्म करने के लियें सुबह 1 गिलास पानी शौच जाने से पहले पीने से लाभ होता है।
भोजन में अधिक तेल, मिर्च, मांस, तेज मसाले व गर्म पदार्थ न खायें। पेट में कब्ज होने पर छाले बनते हैं। पेट में कब्ज को बनाने वाले कोई भी पदार्थ न खाएं। अधिक गरिष्ठ भोजन न करें। चाय, शराब, बीड़ी-सिगरेट या किसी भी नशीली चीज का सेवन न करें।

सौंफ

•           सौंफ को मुंह में रखकर चबाने से मुंह के छाले, पीब और दाने आदि खत्म हो जाते हैं।
•           भोजन करने के बाद थोड़ी सौंफ खाने से मुंह में नए छाले नहीं होते हैं।
•           सौंफ का चूर्ण बनाकर छालों पर लगाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
•           जिन लोगों के मुंह में छाले अक्सर होते रहते हैं वे खाने के पश्चात थोड़ी सौंफ खाया करें तो उनके मुंह में छाले नही होते हैं।

1. छोटी हरड़ को बारीक  पीसकर छालों पर दिन में दो तीन बार लगाने से मुंह तथा जबान दोनों  के छाले ठीक हो जाते हैं।

2. तुलसी की चार पांच पत्तियां रोजना सुबह और शाम को चबाकर ऊपर से थोड़ा पानी पी लें( ऐसा चार पांच दिनों तक करें) ।

3. करीब दो ग्राम  सुहागे का पावडर बनाकर थोड़ी सी ग्लिसरीन में मिलाकर छालों पर दिन में दो तीन बार लगाएं छालों में जल्दी फायदा होगा।
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पेट के फैट को कम करने के  तरीके

पेट का फैट कम करना किसी के लिए भी चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है। हालांकि मुख्य समस्या होती है गलत तरीका अपनाने से। क्या आपने पेट का फैट कम करने का मन बना लिया है? आइए हम आपको पेट का फैट कम करने के 10 सबसे अच्छे तरीके के बारे में बताते हैं।

लोग अपने वजन को कम करने के लिये ना जाने क्‍या क्‍या नहीं करते मगर फिर भी उनका वजन कम होने का नाम ही नहीं लेता। आइये जानते हैं उन तरीको के बारे में जिनसे आप अपना वजन कम कर सकती हैं। मगर इन तरीको को नियमित रूप से आजमाना चाहिये, नहीं तो कोई लाभ नहीं मिलेगा।
गर्म पानी से शहद ले कर घटाएं वजन

1. सही खाएं
पेट के फैट को कम करना 80 प्रतिशत सही खाने पर निर्भर करता है। मैक्रो और माइक्रो न्यूट्रीअंट्स के साथ स्वस्थ और संतुलित आहार लें। सबसे महत्वपूर्ण यह कि फास्ट फूड से तौबा करें। जहां तक हो सके घर पर तैयार भोजन ही खाएं। अगर आपके पास समय का अभाव है तो कच्चे फल व सब्जी या भांप से पकी सब्जियां खाएं।

कई लोग प्यासे, थके हुए और भूखे होने में फर्क नहीं कर पाते हैं और अंतत: शुगरयुक्त या फैटी फूड खा लेते हैं। हमेशा साथ में पानी की बोतल रखें और यह सुनिश्चित करें कि आप पूरे दिन पानी पीते रहें। एक व्यक्ति को​ दिन में 6 से 8 ग्लास पानी की जरूरत होती है, हालांकि यह आपके वजन और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है। इस बात को सुनिश्चित करें कि आप दिन भर में पर्याप्त पानी पीते हों।

हालिया शोध से यह बात सामने आई कि घंटों वर्कआउट करने या मीलों दौड़ने के बजाय थोड़े-थोड़े समय के लिए एक्टिव एक्सरसाइज करना फैट को कम करने में काफी कारगर होता है। उदाहरण के लिए अगर आप ट्रेडमिल पर वॉकिंग कर रहे हैं तो अचानक से कुछ सेकेंड के लिए स्पीड बढ़ा दें और फिर से वॉकिंग पर वापस आ जाएं।

मीठा  न खाएँ; :
शुगर एक ऐसी चीज है, जिसका सेवन आपको अवश्य कम करना चाहिए। शुगर के कई छिपे हुए स्रोत भी होते हैं, इसलिए इसे कम करना अच्छा रहेगा। शुगर के विकल्प के तौर पर आप शहद, पाम सुगर और लिकरिश के अर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।

5. सोडियम का सेवन कम करें
बेशक आपके भोजन में नमक होना चाहिए। पर सोडियम नमक के बजाय आप पोटैशियम, लेमन और समुद्री नमक का भी सहारा ले सकते हैं। साथ ही काली मिर्च सहित कई मसाले के जरिए आप नमक की जरूरतों को कम कर सकते हैं।

6. विटामिन सी
विटामिन सी से कार्नीटाइन का स्राव होता है। यह एक ऐसा यौगिक है जो फैट को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है। इसके अलावा विटामिन सी कोर्टीसोल हार्मोन के स्राव को भी कम करता है जो कि तनाव के स्थिति में उत्पन्न होता है। कोर्टीसोल के स्तर में परिवर्तन पेट के फैट का मुख्य कारण है।

प्राकृतिक तरीके से फैट कम करने के कई तरीके हैं। लहसुन, प्याज, अदरक, लाल मिर्च, गोभी, टमाटर, दालचीनी और सरसो फैट कम करने वाले फूड हैं। सुबह-सुबह कच्चा लहसुन और एक इंच अदरक का टुकड़ा खाना अच्छा रहता है। साथ ही, सुबह गर्म पानी को नींबू के रस और शहद के साथ लेना वजन कम करने का कारगर तरीका है। इसी तरह और भी कई तरीके हैं, जिसके जरिए आप अपने आहार में फैट बर्निंग फूड को शामिल कर सकते हैं।

8. हेल्थी फैट को शामिल करें
खराब कोलेस्टेरोल से छुटकारा पाने के लिए अच्छे कोलेस्टेरोल का सेवन मददगार साबित होता है। एवाकाडो, जैतून, नारियल और नट्स अच्छे कोलेस्टेरोल के कुछ स्रोत हैं।

9. नाश्ता लेना न छोड़ो
कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि नाश्ता न लेने से वजन कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन अगर आप नाश्ता नहीं कर रहे हैं तो भारी भूल कर रहे हैं। इससे ब्लोटिंग बढ़ता है और शरीर भूख की अवस्था में चला जाता है। यह पेट में फैट जमा होने का मुख्य कारण है।

10. सोना
आप सोच रहे होंगे कि हम यहां सोने की बात क्यों कर रहे हैं। वजन को संतुलित रखने के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है। हर किसी के 6 से 8 घंटे की नींद चाहिए होती है। हाल ही में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई कि बहुत ज्यादा या बहुत कम सोने से वजन बढ़ जाता है।

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चेहरे के दाग-धब्बे हटाने के नुस्खे;

इन घरेलू टिप्स में छिपे हैं चेहरे के दाग-धब्बे को हटाने के नुस्खे:

-चेहरे के काले दागों को मिटाने के लिए टमाटर के रस में रुई भिगोकर दागो पर मलें। काले धब्बे साफ हो जाएंगे।

-रोजाना सुबह एक गिलास टमाटर के रस में नमक, जीरा, कालीमिर्च मिलाकर पीएं। चेहरे पर नारियल पानी लगाएं।

-आलू उबाल कर छिलके छील लें और इसके छिलकों को चेहरे पर रगड़ें, मुहांसे ठीक हो जाएंगे।

-जायफल को घिसकर दस पिसी काली मिर्च व थोड़े कच्चे दूध में मिलाकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। दो घंटे बाद चेहरा धो लें।

-त्वचा पर जहां कभी चकते हो उन पर नींबू का टुकड़ा रगड़े। नींबू में फिटकरी भरकर रगड़े। इससे चकते हल्के पड़ जाएंगे और त्वचा में निखार आएगा।

-नींबू के छिलके गर्दन पर रगडऩे से गर्दन का कालापन दूर होता है।

-संतरे के छिलकों को सुखाकर पीस लें। इसमें नारियल का तेल व थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा कोमल बन जाती है।

-संतरे के छिलके व नींबू छिलके को बारीक पीसकर दूध में मिलाकर चेहरे पर लगाने से निखार आ जाता है।

-मसूर की दाल और बरगद के पेड़ की नर्म पत्तियां पीसकर लेप करें अथवा दालचीनी पीसकर दूध की मलाई के साथ लगाएं।

-मुहांसों के दाग-धब्बे चेहरे पर ज्यादा हो तो दही को उबटन की तरह इस्तेमाल करें।

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चेहरे पर झाएँ, दाग –धब्बे

चेहरे पर दाग धब्बे ललाट , आँखों से कुछ नीचे, नाक पर छोटे छोटे, फैले हुए गहरे रंग के होते हैं। आँखों के आसपास की त्वचा बहुत कोमल होती है और इसमें चर्बी के सूक्ष्म कण होते हैं । यदि ये कण स्वस्थ रहते हैं तो काले धब्बे नहीं पड़ते। आँखों के आसपास की चर्बी कम होने से रक्त संचार सही नहीं हो पाता, इस दुर्बलता से आँखों के आसपास कालापन और धब्बे हो जाते हैं।

चेहरे पर झाईयां पड़ने पर भोजन में लोह (लोहा), कैल्शियम और विटामिन्स, प्रोटीन, हरी सब्जियां फल आदि प्रचुर मात्र में लें। धूप से बचें।

कारण : धूप में अधिक समय रहने से दाग धब्बे हो जाते हैं। धूप में रहने से मेलानिन अधिक मात्रा में पैदा होता है, जिससे त्वचा काली हो जाती है।

मानसिक तनाव इसका सबसे बड़ा कारण है। आँखे गड्ढों में बैठती जाती हैं और त्वचा काली होती जाती है, झाईयां सर चेहरे पर आ जाती है। धूप व तनाव से बचें। विटामिन- सी अधिक लें।

चाय के गरम पानी से से चेहरे के धब्बों, आँखों के पास की कालिमा को धोएं। बादाम रोगन की मालिश करें। इससे लाभ होता है।

सोयाबीन 12 घंटे भिगोयें। इसे पीसकर चेहरे पर एक दिन छोड़कर एक दिन लेप करे। आधा घंटे बाद गरम पानी से धोएं।

प्याज़ का रस एक चम्मच+मुल्तानी मिट्टी एक चम्मच+एक चम्मच शहद, इन सबको मिलाकर चेहरे पर लगायें। आधा घंटे बाद गरम पानी से धोएं। चेहरे के दाग धब्बे दूर हो जायेंगे।

डॉ, अब्दुर्रऊफ कादरी

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गुस्सा दूर करने के उपाय

✏डाॅक्टर, अब्दुर्रऊफ कादरी

वास्तव में गुस्सा एक भयानक तूफ़ान जैसा है, जो जाने के बाद पीछे अपनी बर्बादी का निशान छोड जाता हैं। गुस्से में सबसे पहले दिमाग फिर जबान अपना आपा खोती है, वह वो सब कहती है, जो नहीं बिलकुल भी कहना चाहिए और रिश्तों में जबरदस्त क़डवाहट आ जाती है। और तब तो और भी मुश्किल होती है जब गुस्सा हमारे दिमाग में घर कर जाता है और हमारे अन्दर बदला लेने की सामने वाले को नुकसान पहुँचाने की भावना प्रबल हो जाती है ।

हम यहाँ पर आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे है जिससे हम यथासंभव अपने गुस्से पर काबू कर सकते है ।

* दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर पन्द्रह दिन लगातार खाने से गुस्सा शान्त होता है। बर्तन फैंकने वाला, तोड़ फोड़ करने वाला और पत्नि और बच्चों पर हाथ उठाने वाला व्यक्ति भी अपने क्रोध से मुक्ति पा सकेगा। इसके सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।

* प्रतिदिन प्रातः काल आंवले का एक पीस मुरब्बा खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना शीघ्र ही बन्द होगा।

* गुस्सा आने पर दो तीन गिलास खूब ठंडा पानी धीरे धीरे घूँट घूँट लेकर पिएं । पानी हमारेशारीरिक तनाव को कम करके क्रोध शांत करने में मददगार होता है।

* गुस्सा बहुत आता हो तो,
लेट जाएं

* पलाश के छोटे छोटे पत्तों की सब्जी खाने से गुस्सा, और पित्त जल्दी ही शांत होता है ।

* रविवार को अदरक, टमाटर और लाल रंग के कपड़े गुस्सा अधिक बढ़ाते हैं अत: इनका कम से कम प्रयोग करें ।

* जिनको गुस्सा बहुत आता हो, बात- बात में चिड जाते हो वे सोमवार का रोजा रखें या एक समय भोजन करें। रात कों चांद देखे, तथा अपने गुस्से पर विजय प्राप्त करने के लिए दरूद शरीफ पढें । इससे भी मन शान्त रहता है, गुस्से पर नियंत्रण रहता है।

* बहुत अधिक खट्टी, तीखी, मसालेदार चीजें खाने से आँखें जलती हैं, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आता है, शीघ्र गुस्सा आता है, अकारण ही सीने और पेट में जलन होती है अत: इन चीजों का बिलकुल त्याग कर देना चाहिए ।

* जिन्हे ज्यादा गुस्सा आता हो उन्हें चाय, काफी, मदिरा से परहेज करना चाहिए ये शरीर को उत्तेजित करते है उसके स्थान पर छाछ, मीठा दूध या नींबू पानी का प्रयोग करना चाहिए ।

* यदि गुस्सा आने वाला हो तो 5-6 बार गहरी गहरी साँस लीजिए, कुछ पलों के लिए अपनी आँखे बंद करके अल्लाह का ध्यान करें उसे याद करें उनसे अपना कोई भी निवेदन करें। यह गुस्सा कम करने का सबसे बढ़िया तरीका है। इससे आप भड़कने से पहले ही निश्चित रूप से शांत हो जाएँगे।

* समान्यता गुस्सा सामने वाले से ज्यादा उम्मीदें पालने से आता है । इसलिए कभी भी सामने वाले से बहुत ज्यादा उम्मीदें ना पालें जिससे आपकी बात ना मानने पर भी आपका दिल बिलकुल ना दुखे
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खून की कमी❓
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आप में भी है अपने खून की समस्‍या से लड़ने की ताकत

*हमदर्द शिफाखाना*
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खून हमारे शरीर में को संचालित कर उसे ऊर्जावान बनाने में मदद करता है, इसलिए इसका संतुलन बनाये रखना बहुत जरूरी है, नहीं तो इसके कारण, डायबिटीज, कैंसर जैसी समस्‍यायें हो सकती हैं।
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रक्‍त संबंधित समस्‍यायें
खून लाल रंग का चिपचिपा पदार्थ है जो रक्‍त कोशिकाओं और प्‍लाज्‍मा से मिलकर बना है, यह हमारे शरीर में प्‍लाज्‍मा के माध्‍यम से शरीर में चलता रहता है। मानव शरीर में लगभग 5 लीटर खून होता है। यह को‍शिकाओं को ऑक्‍सीजन पहुंचाते हैं, पाचन क्रिया के साथ शरीर के ताप को नियंत्रित करते हैं, इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाते हैं। लेकिन अगर खून संबंधित कोई समस्‍या हो जाये तो इससे पूरा शरीर प्रभावित होता है। इसमें मौजूद, शुगर, कोलेस्‍ट्रॉल, आयरन के साथ खून की कमी से आप आसानी से निपट सकते हैं और खुद को स्‍वस्‍थ रख सकते हैं।
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ब्‍लड शुगर
रक्‍त में शुगर की मात्रा कम और अधिक होने से भी समस्‍या हो सकती है। अगर ब्‍लड में शुगर की मात्रा अधिक हो जाये तो इसके कारण डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारी हो जाती है और यदि ब्‍लड में शुगर का स्‍तर कम हो जाये तो हाइपोग्लाइसेमिया की समस्‍या हो जाती है। यह दोनों समस्‍या खतरनाक हैं, इसलिए ब्‍लड शुगर का स्‍तर नियंत्रण में होना चाहिए।

ब्‍लड शुगर करें नियंत्रित
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ब्‍ल्‍ड शुगर को नियंत्रण रखने के लिए खानपान पर विशेष ध्‍यान दें, नियमित रूप से व्‍यायाम करें और भरपूर नींद लें। आप रोज जितनी कैलोरी लेते हैं उसमें 55 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट्स, 30 प्रतिशत वसा और 15 प्रतिशत प्रोटीन होना चाहिए। इसके लिए ताजे फल खायें, संतृप्‍त वसा का सेवन न करें और शुगर का सेवन करने से बचें

आयरन की समस्‍या
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आयरन की कमी और से एनीमिया होता है,  और इसकी अधिकता के कारण हीमोक्रोमेटिक रोग होने लगता है। यानी शरीर में इसकी मात्रा संतुलित होनी चाहिए। आयरन की मात्रा 20 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए। आयरन का मुख्य कार्य खून के प्रमुख घटक लाल रक्त कणों का निर्माण करना करना है। इतना ही नहीं हीमोग्लोबिन के निर्माण का कार्य भी आयरन ही करता है, जो शरीर के अंग-प्रत्यंगों को सुडौल बनाकर, शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।

आयरन को संतुलित कैसे रखें
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शरीर में आयरन को संतुलित रखने के लिए खानपान का ध्‍यान रखें। इसके लिए चोकरयुक्त आटा, चना, मूंग और मसूर की दाल, सोयाबीन, राजमा, पालक, चौलाई की भाजी, मेथी और सरसों का साग, काजू, बादाम, सूखे मेवे, संतरा, अमरूद, आम आदि का सेवन कीजिए। रेड मीट, देसी चिकन और मछली के अलावा अंकुरित दालों और हरी पत्तेदार सब्जियों में यह भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

खून की कमी
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खून की कमी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, इसकी शिकार अधिकतर महिलायें हैं। बदलती जीवनशैली के साथ आहार संबंधी आदतों में होने वाला बदलाव इस समस्या के मुख्य कारण के रूप में सामने आ रहा है। वास्तव में एनीमिया कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह कई बीमारियों की वजह जरूर बन सकता है। शरीर को स्‍वस्‍थ और फिट रहने के लिए अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ आयरन की भी जरूरत होती है। आयरन ही हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर रक्त में ऑक्सीजन पहुंचाता है। इसलिए आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है और हीमोग्लोबिन कम होने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसकी वजह से कमजोरी और थकान महसूस होती है, इसी स्थिति को एनीमिया कहते हैं।
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खून की कमी से कैसे निपटें

खून की कमी को दूर करने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करना बहुत जरूरी है। इसके लिए मांस, अंडा, मछली, किशमिश, हरी बीन्स, पालक और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन कीजिए, इसमें भरपूर मात्रा में आयरन होता है। आयरन युक्त डाइट तभी फायदेमंद होती है, जब उसके साथ विटामिन सी का भी सेवन किया जाता है। विटामिन-सी के लिए अमरूद, आंवला और संतरे का जूस लें। कुछ लोग आयरन सप्लीमेंट्स लेना पसंद करते हैं, लेकिन इसे चिकितसक की सलाह पर ही लें

डाॅकटर,:अब्दुर्रऊफ कादरी”
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सर्दियों में आखों की देखभाल कैसे करें❓
(सर्दियों के शुष्क मौसम से बचाएं आंखें)

सर्दियों में हम अपने शरीर को ढकने पर तो पूरा ध्यान लगा देते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि हमारे शरीर का एक बेहद नाजुक हिस्सा पूरी सर्दियों खुला ही रहता है। हमारी आंखें सर्द मौसम और बर्फीली हवाओं से बहुत प्रभावित होती हैं। सर्दियों में आंखों में जाने वाली धूल-मिट्टी गर्मियों से अधिक नुकसान पहुंचाती है क्योंकि इस मौसम में आंखों के अंदर धूल जम जाती है और इनफेक्शन पैदा कर सकती है। सर्दियों के इस मौसम में आपकी आंखों में जलन, धुंधला दिखना और देखने में किसी तरह की दिक्कत आ रही हो तो उसे नजरअंदाज न करें। आइये जानते हैं सर्दियों के मौसम में आप कैसे अपनी आंखों को सुरक्षित रख सकते हैं।

सन ग्लासेज पहनें
अगर आपको घर के बाहर काफी रहना पड़ता है तो कोशिश करें कि आपने सनग्लासेज़ पहने हुए हों। ये आपकी आंखों की दो तरह से रक्षा करता है। सनग्लासेज लगाने से शुष्क हवाएं सीधे आपकी आंखों में नहीं लगती, जिससे आंखें शुष्क नहीं होती।
दूसरा, ये आपकी आंखों को यूवी सुरक्षा प्रदान करते हैं। अगर आप बर्फ के बीच जा रहे हैं तो फिर सन ग्लासेज लगाना आपके लिए बहुत जरूरी हो जाता है क्योंकि बर्फ सूरज के यूवी प्रकाश का 80 प्रतिशत तक रिफ्लैक्ट करता है।

आईड्रॉप्स;
सर्दियों में घर से बाहर शुष्क हवाओं और घर के भीतर शुष्क गर्मी के कारण अक्सर ड्राई-आई सिंड्रोम हो जाता है। आंखों में नमी की कमी हो जाना आंखों के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक होता है। ऐसी स्थिति में लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स के इस्तेमाल से राहत मिल सकती है। ये आई ड्रॉप आपको किसी भी मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध हो जाएंगी। ये प्राकृतिक टियर लेयर की मदद करता है और आंसुओं के तुरंत सूख जाने से आंखों को बचाता है।

अधिक पानी पियें
आप ये तो जानते हैं कि जब बाहर गर्मी हो तो अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए लेकिन सर्दियों में ड्राई आई से बचने के लिए हाईड्रेट रहना भी उतना ही जरूरी है, शायद ही आपने इस बात पर ध्यान दिया हो। रोज पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से ड्राई आई की स्थिति में काफी लाभ होता है, खासतौर पर तब जब आप सर्द और शुष्क परिस्थितियों में बाहर निकल रहे हों।

पलकों को झपकाएं ज्यादा
जब आप किसी चीज पर ध्यान लगाते हैं तो आपकी पलकों का झपकना सामान्य से कम हो जाता है। बहुत अधिक ध्यान लगाने पर तो पलकों का झपकना लगभग बंद भी हो जाता है। जैसे मोबाईल स्क्रीन, टीवी आदि की स्क्रीन्स पर देखते हुए। कम पलके झपकाने से आंखें शुष्क हो जाती हैं। इसलिए अगर आपको अपनी आंखों में खुश्की महसूस हो रही है, भारीपन भी हो रहा है तो पलकों को ज्यादा झपकाना शुरू कर दें।

मछली खाएं
रिसर्च बताती हैं कि आप जो खाते-पीते हैं उसका आपकी आंखों पर काफी असर पड़ता है। ओमेगा-3 फैटी ऐसिड युक्त खाना खाने से ड्राई-आई की समस्या कम हो सकती है। ओमेगा-3 फैटी ऐसिड ड्राई-आई सिंड्रोम के लिए एक प्रभावी उपचार है। छोटी समुद्री मछली, ट्यूना, सैलमन और ट्राउट मछलियां इस तत्व का काफी अच्छा स्रोत माना जाता है। इन मछलियों का 3.5 आउंस खाने से लगभग 1 ग्राम ओमेगा-3 प्राप्त होता है।

हाथ रखें दूर;
ड्राई-आई की स्थिति में आंखों में खुजली और जलन होने लगती है, और इस वजह से लोग अपनी आंखों को हाथों से मलने लगते हैं। आपको लगता है कि ऐसा करने से आपको राहत मिलेगी लेकिन असल में ऐसा करने से स्थिति और खराब होती है। इससे आंखों में दर्द हो सकता है और लालिमा बढ़ सकती है। इसके अलावा, आपके हाथों में काफी बैक्टीरिया भी होते हैं जिससे आपकी आंखों को इन्फैक्शन हो सकता है

कंप्यूटर से ब्रेक लें;
कंप्यूटर और लैपटॉप पर देर तक काम करना आपकी आंखों को शुष्क बनाकर उन्हें थका सकता है। कंप्यूटर पर काम करते हुए थोड़ी थोड़ी देर में ब्रेक लें और अपनी आंखें किसी ओर तरफ करें। इसके लिए एक 20-20-20 नियम है। जब आप कंप्यूटर पर देर तक के लिए काम कर रहे हों, तो हर बीस मिनट में, बीस फुट दूर रखी किसी चीज़ को बीस सेकेंड के लिए देखें।

डाॅ,अब्दुर्रऊफ कादरी
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गैस और एसीडिटी से निजात पाने  के लिए हमदर्द की एक बेहतरीन दवा है
जो आयुर्वेदिक या यूनानी दवाओं की दुकान पर मिलेगी

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5 ग्राम,  रोज दोनों टाइम,  खाना खाने के बाद,
तीन महीने खाएं
पेट का सिस्टम दुरुस्त हो जाएगा
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अक्सर महीमहिलाओं को मिट्टी खाने की आदत पड जाती है
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कैलशियम और आयरन की कमी से ऐसा होता है

दूसरे जरूरी पोषक तत्वों की तरह ही तरह हमारी डाइट में कैल्शियम की बड़ी भूमिका होती है, हड्डियों व दांतों को स्वस्थ व मजबूत रखने के लिये कैल्शियम की जरूरत होती है, इसकी कमी के लक्षण इस तरह दिखाई देते हैं।

कैल्शियम की कमी के लक्षण
कैल्शियम शरीर के लिये एक बहुत जरूरी पोषक तत्व है। दूसरे जरूरी पोषक तत्वों की तरह ही हमारी डाइट में कैल्शियम की बड़ी भूमिका होती है। हड्डियों व दांतों को स्वस्थ व मजबूत रखने के लिये कैल्शियम की जरूरत होती है। साथ ही कैल्शियम हमारे स्वास्थ को भी बेहतर बनाता है। अगर शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाए तो कई समस्याएं हो जाती हैं। चलिये जानें 6 लक्षण जो बताते हैं कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी है।

हड्डियां कमजोर होना
कैल्‍शिम की कमी का सबसे पहला और बड़ा लक्षण हड्डियों की कमजोरी होता है। ऐसी स्थिति में बच्‍चों की हड्डियां पहले कमजोर होना शुरु हो जाती हैं। शरीर में कैल्‍शियम की कमी हो तो आसानी से हड्डी टूट सकती है। साथ ही मासपेशियों में अकड़न और दर्द भी रहता है। कुछ चरम मामलों में तो रिकेट्स नामक बीमारी होने की संभावना हो जाती है।

दांत कमजोर होना
कैल्‍शियम की कमी दांतों पर साफ दिखाई देती है। दांतों की सड़न पहला लक्षण है। अगर बचपन में ही कैल्‍शियम की कमी हो जाए तो बच्‍चे के दांत काफी देर से निकलेंगे।

नाखून कमजोर होना
मजबूत नाखूनों के लिये कैल्‍शियम की जरुरत होती है। तो जब आपके शरीर में कैल्‍शियम की कमी होती है तो नाखून बहुत कमजोर हो जाते हैं और वह टूटना शुरु हो जाते हैं। अगर ऐसा हो तो समझ लीजिये की आपके शरीर में कैल्शियम की कमी हो गई है।

किशोरियों में देरी से यौवन आना और (छोटे  ब्रेस्ट)

यदि किशोरियों में यौवन आने में देरी हो और मासिक धर्म में गड़बड़ी हो तो यह कैल्‍शियम की कमी का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में कई किशोरियों को मासिक से पहले काफी पीड़ा भी हो सकती है।

बाल झड़ना
कैल्‍शियम की कमी हो जाने पर व इसकी सही खुराक न मिलने पर बाल झड़ने लगते हैं। बाल कठोर हो जाते हैं और उनमें रूखापन हो जाता है। इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर कैल्शियम की कमी की जांच भी कराएं।
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कैल्शियम की कमी कैसे दूर करें
कैल्शियम की कमी के कारण व उपचार

इन खाद्य पदार्थों में पाया जाता है कैल्शियम
अनाज में :
गेहूँ, बाजरा व रागी।
जड़ व कंद में :
नारियल का गुड़, शकरकंद (रतालू)।
दूध व दूध के सभी पदार्थ।
दालों में :
मूँग दाल, राजमा, सोयाबीन, चना, मोठ।
हरी सब्जियों में :
कढ़ी पत्ता, पत्ता गोभी, अरबी के पत्ते, सुरजने के पत्ते, मैथी, मूली के पत्ते, पुदीना हरा, धनिया, ककड़ी, सेम ग्वारफली, गाजर, भिंडी, टमाटर।
मेवों में :
मुनक्का, बादाम, पिस्ता, अखरोट व तरबूज के बीज।
फलों में :
नारियल, आम, जामफल, सीताफल, संतरा, अनन्नास।
मसालों में :
अजवाइन, जीरा, हींग, लौंग, धनिया, कालीमिर्च।
ये सभी प्राकृतिक रूप से कैल्शियम प्रदान करने वाले तत्व हैं। ये पदार्थ तुरंत शरीर द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। माँ का दूध नवजात शिशु के लिए सर्वोत्तम कैल्शियमयुक्त रसायन है, जो उनमें कैल्शियम की पूर्ति और रोगों से मुक्ति दिलाता है। शरीर को प्रतिदिन 0.8 से 1.3 ग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
कैल्शियम की कमी के उपचार

जिन कारणों से शरीर में कैल्शियम की कमी हो रही है, उनको दूर कर प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत निम्न उपचार करना चाहिए-


पाचन संस्थान को ठीक करने के लिए पेडु पर मिट्टी की पट्टी, गरम-ठंडा कटि स्नान, धूप स्नान, गीली चादर लपेटना, एनिमा लेना आदि लाभकारी हैं।

अपनी रुचि के अनुसार घर के कार्य जैसे साफ-सफाई, बागवानी, तैराकी, पैदल चलना, भवनों में लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का उपयोग करना आदि।

नियमित नमाज़ पढना।

आहार के संबंध में विशेष रूप से सतर्क रहें। फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, तला-भुना, मिर्च-मसाला, मैदे तथा शकर से बने पदार्थों से बचें। प्राकृतिक आहार जैसे अंकुरित अनाज, मौसम के ताजे फल व सब्जियाँ, सलाद, मोटे आटे की रोटी, डेयरी प्रोडक्ट को अपने आहार में विशेष स्थान दें।

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बवासीर : कारण और निवारण

गुदा के मुख में छोटे-छोटे अंकुर (मस्से) होते हैं, इनमें से एक, दो या अनेक मस्से फूलकर बड़े हो जाएँ तो इस स्थिति को आयुर्वेद ने ‘अर्श’ कहा है।
ये मस्से पहले कठोर होना शुरू होते हैं, जिससे गुदा में कोचन और चुभन-सी होने लगती है। ऐसी स्थिति होते ही व्यक्ति को सतर्क हो जाना चाहिए।
इस स्थिति में ध्यान न दिया जाए तो मस्से फूल जाते हैं और एक-एक मस्से का आकार मटर के दाने या चने बराबर हो जाता है। ऐसी स्थिति में मल विसर्जन करते समय तो भारी पीड़ा होती है लिहाजा अर्श का रोगी सीधा बैठ नहीं पाता।
रोगी को न बैठे चैन मिलता है और न लेटे हुए। यह बादी बवासीर होती है, बवासीर रोग में यदि खून भी गिरे तो इसे खूनी बवासीर (रक्तार्श) कहते हैं। यह बहुत भयानक रोग है, क्योंकि इसमें पीड़ा तो होती ही है साथ में शरीर का खून भी व्यर्थ नष्ट होता है।
कारण :
बवासीर होने का प्रमुख कारण है लम्बे समय तक कठोर कब्ज बना रहना। सुबह-शाम शौच न जाने या शौच जाने पर ठीक से पेट साफ न होने और काफी देर तक शौचालय में बैठने के बाद मल निकलने या जोर लगाने पर मल निकलने या जुलाब लेने पर मल की स्थिति को कब्ज होना कहते हैं।

निवारण:

हमदर्द की, इञिफल मुकिल
5 ग्राम दवा, सुबह शाम दोनों समय खाना खाने के पश्चात पानी से दो महीने तक सेवन करें
और लगाने के लिए हमदर्द का
मरहम साईदा चोब नीम वाला, रोज राञी सोने से पहले गुदा मस्सों पर दो महीनो तक लगाएँ

परहेज, :
मिर्च,मसाला,चावल, मटन, आम,  मछली, अंडे, नॉनवेज में सभी,

सेवन करें:
पपीता, दही, छाछ, खरबूजा, तरबूज, अनार, मोसंबी,
सभी मौसमी फलों का सेवन करें

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ईसबगोल के फायदे

ईसबगोल पेट की समस्या को दूर करने के लिए एक प्राकृतिक और हर्बल उत्पाद हैं। इसमें औषधीय गुण पाया जाता हैं। ईसबगोल का प्रयोग कई बीमारियों जैसे डायरिया, मधुमेह, हृदय रोग, वजन कम करने, पेचिश और बवासीर के उपचार के लिए दवा के रूप में किया जाता हैं। ईसबगोल फाइबर का एक उच्च स्त्रोत हैं। इसबगोल विशेष रूप से कब्ज और पेट संबंधी समस्या के इलाज में इस्तेमाल किया जाता हैं।

ईसबगोल के लाभ –

इसबगोल के एक या दो चम्मच दही के साथ मिलाकर एक दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से दस्त से राहत मिलता हैं।
ईसबगोल के दो चम्मच एक गिलास पानी, दूध या फलों के रस के साथ लेने से कब्ज को दूर किया जा सकता हैं।
इसबगोल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, हृदय रोग और कोरोनरी धमनी की बीमारी के खतरे को कम करने में मदद करता हैं।
ईसबगोल मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा होता हैं। यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखता हैं।
ईसबगोल में मौजूद फाइबर वजन कम करने में सहायक होता हैं।
इसबगोल पेचिश और बवासीर के उपचार में मदद करता हैं।
इसबगोल में मौजूद घुलनशील और अघुलनशील फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत बनाता हैं और पेट संबंधी समस्याओं को दूर करता हैं।
ईसबगोल के बीज को गर्म पानी के साथ सुबह में सेवन करने से अस्थमा जैसे सांस लेने की समस्याओं को दूर किया जा सकता हैं।
ईसबगोल के चार चम्मच एक गिलास पानी के साथ पीने से पेशाब में जलन और रुकावट जैसे मूत्र समस्याओं को दूर किया जा सकता हैं।
सीने में बहुत ज्यादा कफ हो जाने पर ईसबगोल का सेवन करने से राहत मिलता हैं।
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आर्थराइटिस: जोडों का दर्द

उम्र बढऩे के साथ ही लोग जोड़ों के दर्द से परेशान होने लगते हैं। बहुत से उपाय करने के बाद भी दर्द से निजात पाना मुश्किल होता है। आमतौर पर वे आर्थराइटिस से पीडित होते हैं जिसे आमतौर पर गठिया भी कहा जाता है।

भारत में लगभग 15 प्रतिशत लोग आर्थराइटिस से पीडित हैं और इसकी बढ़ती संख्या एक चिंता का विषय बनता जा रहा है।  वैसे तो आम धारणा में आर्थराइटिस को बुढापे  की बीमारी समझा जाता है, लेकिन कई मरीजों में ये बीस या तीस की ही उम्र में भी उत्पन्न हो सकती है। 45 व 50 वर्षीय लोग अब अधिक मात्रा में इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। आज लगभग दस करोड़ भारतीय ओस्टियोआर्थराइटिस से पीडित हैं। यह आर्थराइटिस का बहुत ही साधारण रूप है जो बीमारी को बढ़ाने का एक प्रमुख कारण भी है।

संधिवात  होने के कारण बहुत स्पष्ट नहीं है, फिर भी निम्रलिखित कारणों को इसके लिए जिम्मेदार माना जा सकता है। जैसे:-जोड़ों में चोट लगना, जॉगिंग, टेनिस व स्कीइंग के दौरान अधिक सक्रियता। शरीर का भारीपन। अधिक वजन बढऩा। मेनोपॉज एस्ट्रोजन की कमी (महिलाओं में), विटामिन डी की कमी। हमारी आरामदायक जीवनशैली, धूम्रपान, शराब, जंक फूड, व्यायाम की कमी, कंप्यूटर के काम आदि से भी ये बीमारी हमें अपनी चपेट में ले सकती है।

कार्टिलेज के अंदर तरल व लचीला उत्तक होता है जिससे जोड़ों में संचालन हो पाता है और जिसकी वजह से घर्षण में कमी आती है। अस्थियों  के अंतिम सिरे में शॅार्क अब्जार्बर लगा होता है, जिससे फिसलन संभव हो पाता है। जब उपास्थि में रासायनिक परिवर्तन के कारण उचित संचालन नहीं हो पाता है, तब ऑस्टियोआर्थराइटिस की स्थिति हो जाती है। जोड़ों में संक्रमण के चलते कार्टिलेज के अंदर रासायनिक परिवर्तन के कारण ही आर्थराइटिस होता है। यह तब होता है, जब हड्डियों का आपस में घर्षण ज्यादा होता है।
आर्थराइटिस से पीडि़त लोग अपने बदन में दर्द और अकडऩ महसूस करते हैं। कभी-कभी उनके हाथों, कंधों व घुटनों में भी दर्द व सूजन रहती है।

शरीर में जोड़ वह जगह होती है जहां पर दो हड्डियों का मिलन होता है जैसे कोहनी व घुटना। आर्थराइटिस के कारण जोड़ों को क्षति पहुंचती है। पर खास तौर से चार तरह के आथ्र्राइटिस ही देखने में आते हैं-

1. रयूमेटाइड आर्थइटिस,
2. आस्टियो आर्थाइटिस
3. गाउटी आर्थाइटिस
4. जुनेनाइल आर्थाइटिस

ऑस्टियोआर्थराइटिस सभी आर्थराइटिस में सबसे अधिक पाया जाने वाला रोग है जो कि 40 वर्ष के ऊपर की आयु वाले लोगों को विशेषकर महिलाओं को प्रभावित करता है। यह रोग आमतौर पर शरीर के वजन सहने वाले जोड़ों विशेषकर घुटनों के जोड़ों को प्रभावित करता है। रोग के बढऩे के साथ-साथ रोगी की टांगों का टेढ़ापन तथा घुटनों के बीच की दूरी बढऩे लगती हैं। सीढिय़ां चढऩे-उतरने तथा अधिक दूर चलने में दर्द होता है।

अधिकतर लोगों में यह मिथ्या धारणा है कि आर्थराइटिस में केवल जोड़ों में दर्द होता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने के कारण होने वाले रयूमेटोइड आर्थराइटिस में जोड़ों के अलावा दूसरे अंग तथा सम्पूर्ण शारीरिक प्रणाली प्रभावित होती है। यह रोग 25 से 35 वर्ष की आयु के लोगों को प्रभावित करता है, जिनमें मुख्य लक्षण हाथ-पैरों के छोटे जोड़ों में दर्द, कमजोरी तथा टेढ़ा-मेढ़ापन, मांसपेशियों में कमजोरी, ज्वर, अवसाद उभर जाते हैं। इसके अलावा गुर्दो व जिगर की खराबी भी हो सकती है।

कसरत को अपने नियमित दिनचर्या में शामिल करें। इससे आप के जोड़ों को कुछ राहत मिलती है। लेकिन अगर आप को शरीर में दर्द है तो उस समय व्यायाम न करें। अपनी दवा की नियति खुराक लेते रहें। इससे आप को दर्द व अकडऩ में आराम मिलेगा। सुबह गरम पानी से नहाएं। खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

दर्द घटाने के बाम या क्रीम का इस्तेमाल बार बार न करें। इनसे पैदा हुई गर्मी से राहत तो मिलती है परंतु ये बाद में नुकसान पहुंचाते हैं। जोड़ों में दर्द के समय या बाद में गरम पानी के टब में कसरत करें या गरम पानी के शावर के नीचे बैठें।
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शराब, गुटखा, सिगरेट, छुडाएं

आपके घर मे एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसको आप सब अच्छे से जानते है और पहचानते हैं ! उस ओषधि का नाम है अदरक ! यह आसानी से सबके घर मे होती है ! अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के
बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है बीड़ी सिगरेट पीनी है ! तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो ! यह अदरक ऐसे अदभुत चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है ! इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब
ही नहीं उठेगी ! तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा ! बहुत आसन है कोई मुश्किल काम नहीं है ! फिर से लिख देता हूँ ! अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! डिब्बी मे रखो पुड़िया बना के रखो जब तलब उठे
तो चूसो और चूसो ! जैसे ही इसका रस लार मे घुलना शुरू हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका – तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट आदि की इच्छा ही नहीं होगी ! सुबह से शाम तक चूसते रहो ! और 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया ! तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा !
आप बोलेगे ये अदरक मैं ऐसे क्या चीज है !???? यह अदरक मे एक ऐसे चीज है जिसे हम रसायनशास्त्र (क्मिस्ट्री) मे कहते है सल्फर ! अदरक मे सल्फर बहुत अधिक मात्रा मे है ! और जब हम अदरक को चूसते है जो हमारी लार के साथ मिल कर अंदर जाने लगता है ! तो ये सल्फर जब खून मे मिलने लगता है !
तो यह अंदर ऐसे हारमोनस को सक्रिय कर देता है ! जो हमारे नशा करने की इच्छा को खत्म कर देता है !
और विज्ञान की जो रिसर्च है सारी दुनिया मे वो यह मानती है की कोई आदमी नशा तब करता है ! जब उसके
शरीर मे सल्फर की कमी होती है ! तो उसको बार बार तलब लगती है बीड़ी सिगरेट तंबाकू आदि की ! तो सल्फर की मात्रा आप पूरी कर दो बाहर से ये तलब खत्म हो जाएगी ! इसका हजारो लोगो पर परीक्षण किया और बहुत ही सुखद प्रणाम सामने आए है ! बिना किसी खर्चे के शराब छूट जाती है बीड़ी सिगरेट शराब गुटका आदि छूट जाता है ! तो आप इसका प्रयोग करे ! और इसका दूसरे उपयोग का तरीका पढे !
अदरक के रूप मे सल्फर अल्लाह ने बहुत अधिक मात्रा मे दिया है ! और सस्ता है! इसी सल्फर को आप
होमिओपेथी की दुकान से भी प्राप्त कर सकते हैं ! आप कोई भी होमिओपेथी की दुकान मे चले जाओ और विक्रेता को बोलो मुझे सल्फर नाम की दवा दे दो ! वो दे देगा आपको शीशी मे भरी हुई दावा दे देगा ! और सल्फर नाम की दावा होमिओपेथी मे पानी के रूप मे आती है प्रवाही के रूप मे आती है जिसको हम Dilution कहते है अँग्रेजी मे ! तो यह पानी जैसे आएगी देखने मे ऐसे ही लगेगा जैसे यह पानी है ! 5 मिली लीटर
दवा की शीशी 5 रूपये आती है ! और उस दवा का एक बूंद जीभ पर डाल लो सवेरे सवेरे खाली पेट ! फिर अगले दिन और एक बूंद डाल लो ! 3 खुराक लेते ही 50 से 60 % लोग की दारू छूट जाती है ! और जो ज्यादा पियक्कड़ है !जिनकी सुबह दारू से शुरू होती है और शाम दारू पर खत्म होती है ! वो लोग हफ्ते मे दो दो बार लेते रहे तो एक दो महीने तक करे बड़े बड़े पियक्कडों की दारू छूट जाएगी ! ऐसे ऐसे पियक्क्ड़ो की दारू छुड़ाई है ! जो सुबह से पीना शुरू करते थे और रात तक पीते रहते थे ! उनकी भी दारू छूट गई बस इतना ही है दो तीन महीने का समय लगेगा !

तो ये सल्फर अदरक मे भी है ! होमिओपेथी की दुकान मे भी उपलब्ध है ! आप आसानी से खरीद सकते है ! लेकिन जब आप होमिओपेथी की दुकान पर खरीदने जाओगे तो वो आपको पुछेगा कितनी ताकत की दवा दूँ ??!
मतलब कितनी Potency की दवा दूँ ! तो आप उसको कहे 200 potency की दवा देदो ! आप सल्फर 200 कह कर भी मांग सकते है ! लेकिन जो बहुत ही पियक्कड है उनके लिए आप 1000 Potency की दवा लें !आप 200
मिली लीटर का बोतल खरीद लो एक 150 से रुपए मे मिलेगी ! आप उससे 10000 लोगो की शराब छुड़वा सकते हैं ! मात्र एक बोतल से ! लेकिन साथ मे आप मन को मजबूत बनाने के लिए रोज सुबह बायीं नाक से सांस ले ! और अपनी इच्छा शक्ति मजबूत करे !!!

अब एक खास बात ! बहुत ज्यादा चाय और काफी पीने वालों के शरीर मे arsenic तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप arsenic 200 का प्रयोग करे ! गुटका,तंबाकू,सिगरेट,बीड़ी पीने वालों के शरीर मे phosphorus तत्व की कमी होती है ! उसके लिए आप phosphorus 200 का प्रयोग करे !
और शराब पीने वाले मे सबसे ज्यादा sulphur तत्व की कमी होती है ! सके लिए आप sulphur 200 का प्रयोग करें
10 बूंद लिक्विड दवा,  शुगर पिल्स में मिलाकर फार्मेसी वाला आपको दे देगा, 10 गोली दिन में तीन बार लें
एक महीने तक खाएं
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सिर दर्द से निजात पाने के घरेलू उपाय
. लौंग और नमक का पेस्ट सिर दर्द के लिए यह एक प्रभावी उपचार है। इसके लिए आप लौंग पाउडर और नमक का पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को दूध में मिलाकर पीएं। नमक में हाइग्रस्कापिक गुण पाया जाता है, जिससे यह सर में मौजूद सभी द्रव्य पदार्थ को सोख लेता है। नतीजतन सिर दर्द से आराम मिलता है।
ताजा नींबू और गर्म पानी का घोल एक ग्लास में गर्म पानी लें और नींबू का रस मिला कर पीएं। इससे आपको सिर दर्द से राहत पहुंचेगा। कई बार पेट में गैस बनने से भी सिर दर्द होता है। यह घरेलू उपचार इस तरह के सिर दर्द को आसानी से ठीक कर देता है। नींबू पानी पीने से न सिर्फ गैस की समस्या दूर होती है, बल्कि सिद दर्द भी ठीक होता है।
. यूकेलिप्टस तेल से करें मसाज सिर दर्द से छुटकारा पाने का एक और अच्छा तरीका यह है कि आप यूकेलिप्टस तेल से मसाज करें। इस तेल में दर्द से छुटकारा दिलाने का गुण होता है और इससे तुरंत आराम पहुंचता है।
अपने पांव को गर्म पानी में रखें सिर दर्द से निजात पाने का एक और तरीका है। कुर्सी पर बैठ कर अपने पांव गर्म पानी में डुबो कर रखें। सोने से पहले कम से कम 15 मिनट तक ऐसा करें। अगर आप स्थाई सिर दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं तो कम से कम दो से तीन सप्ताह तक ऐसा करें
13. धनिया, जीरा और अदरक का घोल पीएं धनिया पत्ती, जीरा और अदरक से बनी चाय पीएं। इससे सिर दर्द से काफी तेजी से राहत पहुंचता है। थोड़ा गर्म पानी लें और इसमें इन तीनों को डाल कर पांच मिनट तक उबालें। अच्छे परिणाम के लिए इसे दिन में कम से कम दो बार पीएं।
एक्‍यूपंक्‍चर एक्‍यूपंक्‍चर सिरदर्द और माइग्रेन को ठीक करने के लिये बहुत लाभकारी है। सिरदर्द को दूर करने के लिये जबड़े वाला प्‍वाइंट दबाइये।
गर्मागरम मासाला चाय यह सिरदर्द के लिए एक रामबाण उपाय है जिसको आसानी से घर में आजमाया जा सकता है। अपने गुणों के आधार पर यह एक उत्‍तेजक पेय पदार्थ है जो नींद को भगा कर दिमाग को सचेत करती है। नीदं गायब करने के लिए अगर आप चाय बना रहे हों तो उसमें थोडी से अदरख के साथ लौंग और इलायची भी मिला दें
पुदीने का तेल सूंघे सरदर्द से मुक्त करता है पुदीने के तेल का इस्तेमाल, आपके सरदर्द को दूर भगा देगा। अगर आप सरदर्द से परेशान है, तो पुदीने के तेल की कुछ बूँदें अपने रुमाल पर या कलाई पर डालकर सूँघे। यह तेल आपको तनाव से भी मुक्त कराएगा।
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चेहरे के दाग-धब्बे हटाने के नुस्खे;

इन घरेलू टिप्स में छिपे हैं चेहरे के दाग-धब्बे को हटाने के नुस्खे:

-चेहरे के काले दागों को मिटाने के लिए टमाटर के रस में रुई भिगोकर दागो पर मलें। काले धब्बे साफ हो जाएंगे।

-रोजाना सुबह एक गिलास टमाटर के रस में नमक, जीरा, कालीमिर्च मिलाकर पीएं। चेहरे पर नारियल पानी लगाएं।

-आलू उबाल कर छिलके छील लें और इसके छिलकों को चेहरे पर रगड़ें, मुहांसे ठीक हो जाएंगे।

-जायफल को घिसकर दस पिसी काली मिर्च व थोड़े कच्चे दूध में मिलाकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। दो घंटे बाद चेहरा धो लें।

-त्वचा पर जहां कभी चकते हो उन पर नींबू का टुकड़ा रगड़े। नींबू में फिटकरी भरकर रगड़े। इससे चकते हल्के पड़ जाएंगे और त्वचा में निखार आएगा।

-नींबू के छिलके गर्दन पर रगडऩे से गर्दन का कालापन दूर होता है।

-संतरे के छिलकों को सुखाकर पीस लें। इसमें नारियल का तेल व थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा कोमल बन जाती है।

-संतरे के छिलके व नींबू छिलके को बारीक पीसकर दूध में मिलाकर चेहरे पर लगाने से निखार आ जाता है।

-मसूर की दाल और बरगद के पेड़ की नर्म पत्तियां पीसकर लेप करें अथवा दालचीनी पीसकर दूध की मलाई के साथ लगाएं।

-मुहांसों के दाग-धब्बे चेहरे पर ज्यादा हो तो दही को उबटन की तरह इस्तेमाल करें।

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चेहरे पर झाएँ, दाग –धब्बे

चेहरे पर दाग धब्बे ललाट , आँखों से कुछ नीचे, नाक पर छोटे छोटे, फैले हुए गहरे रंग के होते हैं। आँखों के आसपास की त्वचा बहुत कोमल होती है और इसमें चर्बी के सूक्ष्म कण होते हैं । यदि ये कण स्वस्थ रहते हैं तो काले धब्बे नहीं पड़ते। आँखों के आसपास की चर्बी कम होने से रक्त संचार सही नहीं हो पाता, इस दुर्बलता से आँखों के आसपास कालापन और धब्बे हो जाते हैं।

चेहरे पर झाईयां पड़ने पर भोजन में लोह (लोहा), कैल्शियम और विटामिन्स, प्रोटीन, हरी सब्जियां फल आदि प्रचुर मात्र में लें। धूप से बचें।

कारण : धूप में अधिक समय रहने से दाग धब्बे हो जाते हैं। धूप में रहने से मेलानिन अधिक मात्रा में पैदा होता है, जिससे त्वचा काली हो जाती है।

मानसिक तनाव इसका सबसे बड़ा कारण है। आँखे गड्ढों में बैठती जाती हैं और त्वचा काली होती जाती है, झाईयां सर चेहरे पर आ जाती है। धूप व तनाव से बचें। विटामिन- सी अधिक लें।

चाय के गरम पानी से से चेहरे के धब्बों, आँखों के पास की कालिमा को धोएं। बादाम रोगन की मालिश करें। इससे लाभ होता है।

सोयाबीन 12 घंटे भिगोयें। इसे पीसकर चेहरे पर एक दिन छोड़कर एक दिन लेप करे। आधा घंटे बाद गरम पानी से धोएं।

प्याज़ का रस एक चम्मच+मुल्तानी मिट्टी एक चम्मच+एक चम्मच शहद, इन सबको मिलाकर चेहरे पर लगायें। आधा घंटे बाद गरम पानी से धोएं। चेहरे के दाग धब्बे दूर हो जायेंगे।
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नेचुरल हेयर प्रोडक्टस जो रखें आपके बालों को स्वस्थ (Natural Hair Products For Healthy Hair)
कलर, डाई, जेल या अन्य हेयर प्रोडक्ट्स बालों की सेहत को बिगाड़ते हैं। बालों की सेहत बालों की जड़ से है। बालों की जड़ों को पोषण कुदरती जड़ी-बूटियों, तेल, पत्तियों के पेस्ट और फलों के हेयर पैक से मिलती है। आइए जानते हैं उन नेचुरल हेयर प्रोडक्ट्स के बारे में जो बालों की जड़ों को पोषण देते है और बालों को सेहतमंद बनाते हैं।

महाभृंगराज (Mahabhringraj)
महाभृंगराज को बालों की देखभाल में सर्वोत्तम माना गया है। इसे आयुर्वेद में हर्बल किंग के नाम से जाना जाता है। यह बालों को सफेद होने, झड़ने और टूटने से बचाता है। इसके इस्तेमाल से बाल काले, घने, लंबे और चमकदार बने रहते हैं। भृंगराज का सेवन सुबह चूर्ण बना कर खाने में किया जाता है। इसके बने तेल को भी बालों की जड़ों में लगाया जाता है। इसे पीस कर पेस्ट बनाते हैं और फिर बालों में लगाते हैं।

सुगंधित जटामांसी (Spikenard)
इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल आयुर्वेद में हेयर ग्रोथ के दवा के रुप में किया जाता है। इसे आप कैप्सूल की तरह खा भी सकते हैं और इसे सीधे बालों की जड़ में लगा भी सकते हैं। इसे लगाने से बालों में चमक आता है और यह रक्त की अशुद्धि को भी दूर करता है।
मेथी (Methi)
मेथी सबसे प्रचलित हर्ब्स है जो हर घर के किचन में दाल को छौंकने और कई तरह के व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में इसे हेयर ग्रोथ के लिए दवा के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। सूखे और भुने हुए मेथी को ग्राइंडर में कूट लें। इसके चूर्ण को गरम पानी में मिला कर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को बालों में लगा लें। करीब 20 मिनट के बाद बालों को धो लें। बाल काले, घने और लंबे होंगे।

आंवला (Anvala)
बालों की देखभाल में आंवला का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। यह आसानी से मिलता है और नेचुरल हेयर प्रोडक्टस में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। बालों के झड़ने-गिरने की समस्या का सबसे सटीक इलाज आंवला के सेवन से ही होता है। आंवला जल से बाल धोना, बालों की जड़ में आंवला तेल की मालिश, सुबह आंवला चूर्ण का सेवन समेत आंवले का इस्तेमाल कई तरीके से बालों की देखभाल के लिए किया जाता है। आंवला में विटामिन सी की मात्रा सबसे ज्यादा होती है जो हेयर ग्रोथ के लिए काफी जरुरी है।

शिकाकाई (Shikakai)
लंबे और रेशमी बालों के लिए बालों को शिकाकाई से धोना सबसे कारगर उपाय है। शिकाकाई के इस्तेमाल से केश सफेद नहीं होते और बाल काले, घने और लंबे होते हैं। शिकाकाई और सूखा आंवला 25-25 ग्राम कूट लें। रात में दोनों को आधा लीटर पानी में भींगने के लिए छोड़ दें। सुबह इस पानी को मसलकर कपड़े से छान लें और इसे सिर पर मलें। बालों की जड़ों की मालिश करें। दस मिनट बाद स्नान कर लें। केश सूखने के बाद केश में नारियल तेल लगाएं। केश रेशम की तरह मुलायम और चमकदार हो जाते हैं।

रीठा (Reetha)
रीठा को आयुर्वेद में स्वदेशी शैंपू के नाम से जाना जाता है। बालों के सौंदर्य निखार के लिए रीठे से बाल धोने को सबसे कारगर उपाय माना गया है। इसके इस्तेमाल से बाल मुलायम और चमकीले होते हैं। रात में रीठे के छिलके के छोटे-छोटे टुकड़े करके पानी में भिंगो दें। सुबह उस पानी को मसलकर अथवा उबाल कर छान लें। फिर उस पानी से बाल धोएं। इसे आजमाने से बाल मुलायम और रेशम की तरह चमकीले होते हैं।

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पेट के फैट को कम करने के  तरीके

पेट का फैट कम करना किसी के लिए भी चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है। हालांकि मुख्य समस्या होती है गलत तरीका अपनाने से। क्या आपने पेट का फैट कम करने का मन बना लिया है? आइए हम आपको पेट का फैट कम करने के 10 सबसे अच्छे तरीके के बारे में बताते हैं।

लोग अपने वजन को कम करने के लिये ना जाने क्‍या क्‍या नहीं करते मगर फिर भी उनका वजन कम होने का नाम ही नहीं लेता। आइये जानते हैं उन तरीको के बारे में जिनसे आप अपना वजन कम कर सकती हैं। मगर इन तरीको को नियमित रूप से आजमाना चाहिये, नहीं तो कोई लाभ नहीं मिलेगा।
गर्म पानी से शहद ले कर घटाएं वजन

1. सही खाएं
पेट के फैट को कम करना 80 प्रतिशत सही खाने पर निर्भर करता है। मैक्रो और माइक्रो न्यूट्रीअंट्स के साथ स्वस्थ और संतुलित आहार लें। सबसे महत्वपूर्ण यह कि फास्ट फूड से तौबा करें। जहां तक हो सके घर पर तैयार भोजन ही खाएं। अगर आपके पास समय का अभाव है तो कच्चे फल व सब्जी या भांप से पकी सब्जियां खाएं।

कई लोग प्यासे, थके हुए और भूखे होने में फर्क नहीं कर पाते हैं और अंतत: शुगरयुक्त या फैटी फूड खा लेते हैं। हमेशा साथ में पानी की बोतल रखें और यह सुनिश्चित करें कि आप पूरे दिन पानी पीते रहें। एक व्यक्ति को​ दिन में 6 से 8 ग्लास पानी की जरूरत होती है, हालांकि यह आपके वजन और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है। इस बात को सुनिश्चित करें कि आप दिन भर में पर्याप्त पानी पीते हों।

हालिया शोध से यह बात सामने आई कि घंटों वर्कआउट करने या मीलों दौड़ने के बजाय थोड़े-थोड़े समय के लिए एक्टिव एक्सरसाइज करना फैट को कम करने में काफी कारगर होता है। उदाहरण के लिए अगर आप ट्रेडमिल पर वॉकिंग कर रहे हैं तो अचानक से कुछ सेकेंड के लिए स्पीड बढ़ा दें और फिर से वॉकिंग पर वापस आ जाएं।

मीठा  न खाएँ; :
शुगर एक ऐसी चीज है, जिसका सेवन आपको अवश्य कम करना चाहिए। शुगर के कई छिपे हुए स्रोत भी होते हैं, इसलिए इसे कम करना अच्छा रहेगा। शुगर के विकल्प के तौर पर आप शहद, पाम सुगर और लिकरिश के अर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।

5. सोडियम का सेवन कम करें
बेशक आपके भोजन में नमक होना चाहिए। पर सोडियम नमक के बजाय आप पोटैशियम, लेमन और समुद्री नमक का भी सहारा ले सकते हैं। साथ ही काली मिर्च सहित कई मसाले के जरिए आप नमक की जरूरतों को कम कर सकते हैं।

6. विटामिन सी
विटामिन सी से कार्नीटाइन का स्राव होता है। यह एक ऐसा यौगिक है जो फैट को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है। इसके अलावा विटामिन सी कोर्टीसोल हार्मोन के स्राव को भी कम करता है जो कि तनाव के स्थिति में उत्पन्न होता है। कोर्टीसोल के स्तर में परिवर्तन पेट के फैट का मुख्य कारण है।

प्राकृतिक तरीके से फैट कम करने के कई तरीके हैं। लहसुन, प्याज, अदरक, लाल मिर्च, गोभी, टमाटर, दालचीनी और सरसो फैट कम करने वाले फूड हैं। सुबह-सुबह कच्चा लहसुन और एक इंच अदरक का टुकड़ा खाना अच्छा रहता है। साथ ही, सुबह गर्म पानी को नींबू के रस और शहद के साथ लेना वजन कम करने का कारगर तरीका है। इसी तरह और भी कई तरीके हैं, जिसके जरिए आप अपने आहार में फैट बर्निंग फूड को शामिल कर सकते हैं।

8. हेल्थी फैट को शामिल करें
खराब कोलेस्टेरोल से छुटकारा पाने के लिए अच्छे कोलेस्टेरोल का सेवन मददगार साबित होता है। एवाकाडो, जैतून, नारियल और नट्स अच्छे कोलेस्टेरोल के कुछ स्रोत हैं।

9. नाश्ता लेना न छोड़ो
कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि नाश्ता न लेने से वजन कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन अगर आप नाश्ता नहीं कर रहे हैं तो भारी भूल कर रहे हैं। इससे ब्लोटिंग बढ़ता है और शरीर भूख की अवस्था में चला जाता है। यह पेट में फैट जमा होने का मुख्य कारण है।

10. सोना
आप सोच रहे होंगे कि हम यहां सोने की बात क्यों कर रहे हैं। वजन को संतुलित रखने के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है। हर किसी के 6 से 8 घंटे की नींद चाहिए होती है। हाल ही में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई कि बहुत ज्यादा या बहुत कम सोने से वजन बढ़ जाता है।

Aafreen Seikh is an Software Engineering graduate from India,Kolkata i am professional blogger loves creating and writing blogs about islam.
Aafreen Seikh
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